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सेवानिवृत हुए बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत कुल 201 शिक्षक

गाजीपुर। जिले के बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत कुल 201 शिक्षकों ने 31 मार्च को अपना सेवाकाल पूर्ण कर अवकाश ग्रहण कर लिया। अवकाश ग्रहण करने वाले शिक्षकों में बेसिक विभाग के 148, एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 52 और राजकीय विद्यालयों से एक शामिल हैं।
इन शिक्षकों के अवकाश ग्रहण करते ही दोनों स्तर के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बढ़ गई है। शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। शिक्षकों की भर्ती अधर में लटकी होने के कारण यह साफ जाहिर है कि अगले कुछ महीनों तक कक्षाओं में शिक्षकों का टोटा बना रहेगा।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, जिले के बेसिक विभाग के विद्यालयों में कार्यरत कुल 148 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक के शिक्षकों ने 31 मार्च को अवकाश ग्रहण कर लिया। इनके अवकाश ग्रहण करने से कुछ विद्यालय एकल की स्थिति में आ गए हैं। अवकाश ग्रहण करने वाले बेसिक शिक्षकों की ब्लाकवार स्थिति देखें तो उसमें सबसे अधिक 23 शिक्षक देवकली ब्लाक और सबसे कम एक शिक्षक भांवरकोल ब्लाक से अवकाश ग्रहण करने वाले हैं। इसके अलावा, सादात से 16, मनिहारी से 15, सैदपुर से 14, करंडा के 12 शिक्षकों ने अवकाश ग्रहण किया है। इसके अलावा, अन्य ब्लाकों में यह संख्या दहाई से कम है। यह संख्या रेवतीपुर, कासिमाबाद और बाराचवर में 08-08 है। मरदह में 07, बिरनो, मुहम्मदाबाद, सदर और जमानिया में 06-06 हैं। जखनिया और भदौरा में 05-05 है। जबकि नगर क्षेत्र में 02 हैं। इसके अलावा, राजकीय हाईस्कूल रेवतीपुर से उर्मिला देवी सेवानिवृत्त हुई हैं। एडेड माध्यमिक विद्यालयों से कुल 52 शिक्षकों ने अवकाश ग्रहण किया है। इनमें प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक शामिल हैं। राजकीय हाईस्कूल सौरी के प्रधानाचार्य राम अवतार यादव ने बताया कि दोनों स्तरों पर शिक्षकों की कमी पहले ही मौजूद थी। उसमें अब और वृद्धि हो गई है। उन्होंने बताया कि राजकीय विद्यालयों की स्थिति तो और दयनीय है। जिले में 12 राजकीय इंटर कालेज संचालित हो रहे हैं। इनमें एक बालक और शेष 11 बालिका के हैं। इन सभी विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्य से काम लिया जा रहा है। श्री यादव ने बताया कि जिले में 16 राजकीय हाईस्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें से चार स्कूलों बिरनो, कनुआन, गोड़ी और रेवतीपुर में प्रधानाचार्य नहीं है। इसके अलावा, इंटर और हाईस्कूल दोनों में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के कई पद रिक्त हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर एवं गुणवत्तापरक शिक्षा की बात करना हवा में पुल बांधने के समान है।
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