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कैबिनेट फैसले : अब दस लाख तक के काम ई-टेंडरिंग से मुक्त

लखनऊ (जेएनएन)। सरकार ने ठेके-पट्टे और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता के लिए एक लाख से ऊपर के सभी कार्य ई-टेंडरिंग से कराए जाने का फैसला किया था लेकिन, कामकाज में कशमकश और असुविधा को देखते हुए सरकार को अपना ही फैसला पलटना पड़ा है। कैबिनेट ने ई-टेंडरिंग से पांच लाख रुपये तक के काम की छूट दी है। आकस्मिक परिस्थिति और दैवीय आपदा आदि के लिए जिलाधिकारी को इसमें दस लाख रुपये तक की छूट दी गई है।

सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि पांच लाख रुपये तक टेंडर्स के लिए अब ई-टेंडरिंग आवश्यक नहीं होगी। सरकार ने मई 2017 में ई-टेंडरिंग प्रणाली लागू की थी। इसमें नियमों और प्रक्रिया में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। वित्त विभाग के शासनादेश के अनुसार एक लाख रुपये से अधिक मूल्य के सामान की खरीद में भी पहले ई-टेंडरिंग का प्रावधान था। अब एक लाख की वित्तीय सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया गया है। कैबिनेट ने तय किया है कि बाढ़, भूकंप, ठंड एवं शीतलहरी, दैवीय आपदा आदि आकस्मिक स्थिति में संबंधित जिले के जिलाधिकारी ई-टेंडरिंग प्रणाली के जरिये आमंत्रित की जाने वाली इस सीमा को शिथिल करने तथा इस प्रस्तावित सीमा को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दस लाख करने के लिए अधिकृत होंगे।

डिप्लोमा सेक्टर में शैक्षिक अर्हता और वेतनमान में बदलाव 
प्राविधिक शिक्षा विभाग डिप्लोमा सेक्टर के अन्तर्गत अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के नियम 2010 के अनुसार पदों की शैक्षिक अर्हता और अन्य पदों के लिए वेतनमान लागू किये जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। पहले इसमें त्रिस्तरीय नियम लागू थे लेकिन, इसमें चार स्तरीय सिस्टम लागू किया गया है। प्रवक्ता ने बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की संस्तुतियां लागू करने के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर यह कार्यवाही की गई है। इसमें प्रवक्ता, विभागाध्यक्ष, कर्मशाला, अधीक्षक, प्रधानाचार्य एवं पुस्तकालयाध्यक्ष की शैक्षिक योग्यता और वेतनमान अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की संस्तुतियों के अनुरूप किया गया है।
मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल को 60 करोड़ कर्ज के लिए शासकीय गारंटी

कैबिनेट ने मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल के संबंध में वित्तीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा शासकीय गारंटी प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि चीनी मिल की 3500 टीसीडी मय कोजन प्लांट पर पेराई सत्र 2017-18 में संचालित किये जाने के लिए इंडियन बैंक गोमतीनगर, लखनऊ से 60 करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट प्राप्त की जानी है। इसके लिए ही शासकीय गारंटी दी गई है। कैश क्रेडिट लिमिट चीनी मिल में पेराई सत्र 2017-18 में उत्पादित चार लाख क्विंटल चीनी को बैंक द्वारा बंधक रखकर दी जाएगी। कैश क्रेडिट लिमिट के विरूद्ध मिलने वाली धनराशि से मुख्यत: गन्ना मूल्य, वेतन आदि का भुगतान किया जाना प्रस्तावित है। इससे किसानों को समय से गन्ना मूल्य का भुगतान दिया जाएगा।
अमेठी के निष्प्रयोज्य भवनों के ध्वस्तीकरण को मंजूरी 
कैबिनेट ने अमेठी जिले में राज्य एनएचम योजना के तहत चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नियंत्रणाधीन प्रस्तावित तीन योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए निष्प्रयोज्य भवनों के ध्वस्तीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 18 लाख 46 हजार 201 रुपये की धनराशि मंजूर की है। अमेठी के मुसाफिरखाना में ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए पुराना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मुख्य भवन और आवासों का ध्वस्तीकरण होगा। अमेठी के जगदीशपुर ब्लाक मुख्यालय पर एएनएम, टीसी भवन निर्माण के लिए पुराना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आवासीय भवनों का ध्वस्तीकरण होगा। अमेठी में प्रस्तावित 30 शैय्या मैटरनिटी विंग के भवन निर्माण के लिए ब्लाक जामों स्थित पुराना स्वास्थ्य केंद्र और चिकित्साधिकारियों के आवासों का ध्वस्तीकरण होगा।
खाद्य रसद विभाग में किराया वृद्धि का अधिकार डीएम और कमिश्नर को 
खाद्य एवं रसद विभाग के अन्तर्गत प्राइवेट गोदामों के किराये की स्वीकृति एवं किराया वृद्धि में अधिकारों में बदलाव के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। अब डीएम और कमिश्नर को इसका अधिकार होगा। इससे शासन से अनुमोदन लेने और स्वीकृति की जटिल प्रक्रिया समाप्त होगी। इससे एक माह के भीतर किराया निस्तारण हो सकेगा। मौजूदा व्यवस्था के अनुसार संभागीय खाद्य नियंत्रक, जिलाधिकारी को 160 रुपये प्रति सैकड़ा बोरा, मंडलायुक्त को 320 रुपये प्रति सैकड़ा बोरा, खाद्य आयुक्त को 400 रुपये प्रति सैकड़ा बोरा और सचिव खाद्य एवं रसद को प्रति सैकड़ा बोरा से अधिक प्रकरणों में फैसले का अधिकार था। किराया स्वीकृति की जटिल प्रक्रिया, अनावश्यक मुकदमेबाजी, गोदाम किराये पर लिये जाने की प्रक्रिया को सरल बनाने एवं विकेन्द्रीकृत करने के उद्देश्य से वर्तमान शासनादेश को निरस्त कर नए प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत सभी मामलों में एक प्रक्रिया लागू करते हुए जिलाधिकारी और मंडलायुक्त को अधिकार दिया गया है। इस नई व्यवस्था में संभागीय खाद्य नियंत्रक को 160 रुपये प्रति सैकड़ा बोरा, जिलाधिकारी को 320 रुपये प्रति सैकड़ा बोरा तथा मंडलायुक्त को 320 प्रति सैकड़ा बोरा से अधिक के प्रकरणों में निर्णय का अधिकार निहित होगा। जिलाधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किराया शीघ्रता से अधिकतम एक माह में निर्गत कर दिया जाए।
गोरखपुर मेडिकल कालेज में बनेगा अतिरिक्त लेबर काम्प्लेक्स 
बाबा राघवदास राजकीय मेडिकल कालेज, गोरखपुर से सम्बद्ध नेहरू चिकित्सालय में अतिरिक्त लेबर काम्प्लेक्स का निर्माण किये जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि यह लेबर रूम 37 वर्ष पुराना था। इसके लिए 932.69 लाख रुपये की लागत का अनुमोदन किया गया है। रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग द्वारा की गई संस्तुति के क्रम में सम्मिलित उच्च विशिष्टियों यथा स्ट्रक्चरल ग्लेजिंग, एम्युमिनियम कम्पोजिट पैनल, ग्रेनाइट फ्लोरिंग, विट्रीफाइड टाइल्स, वाल क्लेडिंग आदि कार्य के लिए यह धनराशि प्रस्तावित है।
गोरखपुर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के लिए 3448 वर्ग मीटर भूमि हस्तांतरित 
कैबिनेट ने गोरखपुर मेडिकल कालेज परिसर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के निर्माण व स्थापना किये जाने के लिए नि:शुल्क भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। पूर्वांचल एवं तराई क्षेत्र में व्याप्त संचारी और असंचारी रोगों के निदान के संबंध में उच्च स्तरीय शोध के लिए रीजनल रिसर्च सेंटर की स्थापना होनी है। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च द्वारा राजकीय मेडिकल कालेज, गोरखपुर परिसर में रीजनल रिसर्च सेंटर के लिए निर्माण के लिए 3448 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की भूमि निशुल्क स्थानांतरित होगी। सिद्धार्थनाथ ने बताया कि यह प्रकिया 2014 से चल रही है लेकिन, पिछली सरकार ने इसमे रुचि नहीं ली। पहले सिर्फ 2600 वर्गमीटर जमीन मिली थी। उन्होंने बताया कि इस सेंटर के लिए केंद्र 84 करोड़ रुपये देगा। इसका भी अनुमोदन किया गया है।
उद्यान विभाग में दूर हुई वेतन विसंगति

उप्र उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की नियमावली 1993 में संशोधन से लंबे समय से चल रही वेतन विसंगति दूर हो गई। विभाग में ग्रेड टू के 27 पद ऐसे हैं जो राजपत्रित हैं। इनकी जिला उद्यान अधिकारी के पद पर तैनाती भी होती रही है, पर नियमित ग्रेड टू के अधिकारियों का वेतनमान नहीं मिलता था। कैबिनेट ने संशोधन के जरिये अब इनको भी नियमित ग्रेड टू अफसर का वेतनमान देने का फैसला लिया है। मालूम हो कि जिला उद्यान अधिकारी के 50 फीसद पद सीधी भर्ती से और 50 फीसद पद पदोन्नति से भरे जाते हैं। पदोन्नति पाकर जिला उद्यान अधिकारी बनने वालों के  साथ ही यह विसंगति थी।

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