इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 12460 सहायक
अध्यापकों की भर्ती में फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी पाने का प्रकरण
सामने आया है। जांच में यह पुष्ट होते ही अफसरों ने 32 सहायक अध्यापकों का
चयन निरस्त कर दिया है।
परिषद सचिव संजय सिन्हा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों
को निर्देश दिया है कि वह नियुक्त शिक्षकों के अभिलेखों का तत्परता से
परीक्षण कराएं। जिनके अभिलेख गड़बड़ मिले उनका चयन निरस्त करके एफआइआर भी
दर्ज कराई जाए। 1परिषदीय स्कूलों की 12460 शिक्षक भर्ती एक वर्ष तक लंबित
रहने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर शुरू हुई थी। इसके तहत प्रदेश के 51
जिलों में ही भर्ती हो रही है। इसके तहत मथुरा जिले में 216 पदों में से
185 शिक्षकों की नियुक्ति हुई। जिला स्तरीय चयन समिति ने नियुक्तियों के
अभिलेख जांचने के लिए तत्काल भेजे। उनमें से 25 शिक्षकों के अभिलेख गड़बड़
मिलने पर नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश किया। जांच में टीईटी के फर्जी
प्रमाणपत्र लगे मिले हैं। सूत्रों की मानें तो बाकी शिक्षकों के अभिलेखों
की अब भी जांच चल रही है। साथ ही बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के संबंधित
पटल सहायक को भी प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर किया गया है।
1हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों के संबंध में आदेश दिया था कि जिन अभ्यर्थियों
ने दूसरे जिलों से प्रशिक्षण लिया है, उन्हें नियुक्ति आदेश न दिए जाएं।
इस पर परिषद सचिव ने आदेश जारी किया था कि भले ही दूसरे जिले के
अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र न दिया जाए लेकिन, उनका स्थान सुरक्षित रखा
जाए। इसके विपरीत मथुरा में सात ऐसे लोगों को नियुक्ति पत्र जारी हुए
जिन्होंने दूसरे जिले से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। आदेश मिलते ही
उन्होंने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया था। चयन समिति ने 25 शिक्षकों को नोटिस
जारी कर उन्हें 21 मई को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है। 1चयन समिति ने
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी गई रिपोर्ट में मामले को गंभीर मानते हुए
उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने की संस्तुति की है। सचिव का कहना है कि
अफसरों की तत्परता से फर्जीवाड़े का तत्काल पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने
सभी बीएसए से कहा है कि नियुक्त सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्र व अंकपत्रों की
शीघ्र जांच कराई जाए।
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