एक साल में हुई 600 शिक्षामित्रों की मौत, नहीं समाधान निकाल पा रही सरकार

लखनऊ. समायोजन रद्द होने के बाद से निराश शिक्षा मित्रों की स्थिति बेहद लचर होती दिख रही है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ का दावा है कि पिछले दस महीन में अब तक 600 से अधिक शिक्षा मित्रों की मृत्यु हो चुकी है लेकिन सरकार हमारी समस्याओं को नहीं समझ रही है। सरकार से मिल रही उपेक्षा के बाद शिक्षा मित्र फिर से आंदोलन के मूड में हैं। एक जून से वे प्रदेश व्यापी आंदोलन करेंगे।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष ग़ाज़ी इमाम आला के नेतृत्व में संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तहत जो मीटिंग हुई उस मीटिंग में यह निष्कर्ष निकला कि 1 जून से सत्याग्रह आंदोलन शुरू होगा और जब तक शिक्षा मित्रों की समस्याओं को सुना नहीं जाएगा तब तक यह आंदोलन अनवरत चलता रहेगा।
शिक्षा मित्रों का दावा अभी तक 600 से ज्यादा शिक्षा मित्रों की मुफलिसी में मौत
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के उपाध्यक्ष श्याम लाल के मुताबिक अभी तक 600 से ज्यादा शिक्षा मित्रों की मुफलिसी में मौत हो गई है। कुछ ने आत्महत्या भी कर ली है। हाल ही में बाराबंकी के हैदरगढ़ के रहने वाले समायोति शिक्षा मित्र सुशील वर्मा का निधन हो गया। वह प्र म बैच के समायोजित शिक्षा मित्र थे।जिनका समायोजन 1 अगस्त 2014 में प्रा0 वि0 चिरैया वि0 खंड हैदरगढ़ में हुआ था

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'योगी सरकार वादा करके भी नहीं कर रही मदद'
श्याम लाल के मुताबिक विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने शिक्षामित्रों की हरसंभव मदद करने का वादा किया था लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं की। यहां तक की जो मानदेय तय हुआ है वे भी बेसिक योजना के अंतर्गत आने वाले लगभग 20 हजार शिक्षा मित्रों को नहीं दिया मिला है। वहीं सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत आने वाले कई शिक्षा मित्रों का मानदेय सही समय से नहीं मिल रहा है।
सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन
सोशल मीडिया पर तमाम पेज व ग्रुप्स बनाकर भी शिक्षा मित्र लगातार अपील कर रहे हैं। UP Shiksha mitra (@shiksha_mitra) नामक ट्वीटर एकाउंट से लगातार ट्वीट किए जा रहे हैं। एक शिक्षा मित्रा ने लिखा है ''124000 शिक्षामित्र पैराटीचर होते हुए भी मर रहे हैं ।सभी शिक्षामित्र ग्रेजुएशन+विशिष्ट बीटीसी हैं जबकि 17 साल पुराने टीचर केवल 12 पास हैं और आज हेड हैं। सभी के पास 17 साल का अनुभव है, वेतन 50 से 55 हजार है। हमें मात्र 10 हज़ार मानदेय मिल रहा है।वहीं एक दूसरे शिक्षा मित्र ने कहा कि शिक्षामित्र हों या आंगनबाड़ी या हों प्रेरक सभी आर्थिक रूप से टूटे हुए हैं मात्र 6 महीने में 700 शिक्षामित्र 100 के लगभग आंगनबाड़ी मर गए क्या इन्हीं दिनों के लिए संकल्प पत्र पर भरोसा किया था 3 माह में समाधान होना था क्या हुआ उसका।
पहले भी कर चुके हैं कोशिश
बता दें कि इससे पहले भी शिक्षा मित्र बड़ा आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर चुके हैं। शिक्षा मित्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में समायोजन रद्द होने के बाद अब तक 600 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है। उन सभी के परिवार को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। शिक्षामित्रों का कहना है कि जब वह 10 हजार के मानदेय पर काम करते हैं तो पढ़ाने के लिए योग्य हो जाते हैं। वहीं 40 हजार के वेतन के लिए उनको अयोग्य माना जाता है। उन्होंने इसे सरकार की दोहरी नीति बताया।
शिक्षामित्रों के अनुसार उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. एक सरकार ने नियुक्ति दी तो दूसरे ने समायोजन रद्द कर दिया. मालूम हो कि 25 जुलाई, 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सूबे के करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था।
सरकार से ये थी मांग
शिक्षामित्रों ने टीईटी से छूट दिलाने, ‘समान कार्य समान वेतन’ की तर्ज पर मानदेय बढ़ाने और अध्यादेश जारी कर उनकी समस्या के स्थायी समाधान का रास्ता निकालने की मांग की । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समायोजन की मांग को लेकर शिक्षा मित्र आंदोलनरत हैं। पिछले दिनों उन्होंने विधानसभा के सामने धरना-प्रदर्शन किया था। इस दौरान लाठीचार्ज भी हुआ था। इसके बाद शिक्षामित्रों ने व्यापक आंदोलन की घोषणा की थी। सरकार से बातचीत भी हुई लेकिन उचित मानदेय न देने पर वार्ता विफल हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था विकल्प


अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करने का विकल्प दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समायोजन रद्द करने का निर्णय सुनाया था। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट समायोजन को नियम विरुद्ध करार दे चुका है। समायोजन के बाद शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार से कुछ कदम उठाने की मांग की थी लेकिन सरकार के साथ शिक्षा मित्रों की बात नहीं बनी।