बेसिक व माध्यमिक का शैक्षिक सत्र बदलने का असर नहीं: माध्यमिक कालेजों में पंजीकरण व परीक्षा फार्म प्रक्रिया जुलाई से बेसिक स्कूलों में छात्र संख्या घटी जुलाई में स्कूल चलो अभियान

इलाहाबाद : प्रदेश भर में शैक्षिक सत्र शुरू करने का समय बदल चुका है लेकिन, स्कूल-कालेजों में इसका कोई असर नहीं है। जिस तरह से स्कूलों में पहले अगस्त व सितंबर माह में पढ़ाई शुरू होती थी, वही ढर्रा अब भी बरकरार है। इससे यह बदलाव बेमतलब साबित हो रहा है।
शासन स्तर पर भी आधी-अधूरी तैयारियों का प्रभाव पढ़ाई पर पड़ रहा है। 1सूबे में नए शैक्षिक सत्र का शुभारंभ एक अप्रैल से सभी स्कूल-कालेजों में हो रहा है। अधिकांश माध्यमिक कालेज माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित हैं। उसका हाईस्कूल व इंटर का परीक्षा परिणाम अन्य वर्षो की अपेक्षा काफी पहले 29 अप्रैल को जारी हुआ। ऐसे में कक्षा नौ, दस व बारह के छात्र-छात्रओं की कक्षाएं जैसे-तैसे चलीं। हालांकि बोर्ड अफसरों ने तेजी दिखाकर मध्य अप्रैल तक किताबें बाजार में मुहैया करा दी थी, फिर भी कक्षाएं नियमित नहीं हो सकी। यही नहीं, जुलाई से कक्षा 9 व 11 का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने की तैयारी है तो अगस्त में हाईस्कूल व इंटर के परीक्षा फार्म भरवाए जाएंगे। यह कार्य जुलाई से सत्र शुरू होने पर एक माह बाद शुरू होता था। अब आंशिक सुधार हुआ है। ऐसे ही सीबीएसई बोर्ड ने मई के अंत में रिजल्ट घोषित किया। उन कालेजों में भी पढ़ाई का यही हाल रहा। 1सबसे खराब हाल बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों का रहा। सत्र का समय तय होने के बाद भी छात्र-छात्रओं को किताब, ड्रेस, बैग आदि मुहैया कराने की तैयारी पहले नहीं हो सकी। विद्यालयों को ऐन मौके पर निर्देश हुआ कि पुराने सत्र की किताबें छात्रों से लेकर पढ़ाई कराई जाए। शिक्षकों ने इसका अनुपालन जरूर किया लेकिन, केवल किताबों की अदला-बदली ही हुई, पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। इसीलिए विद्यालयों में छात्रों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। नामांकन बढ़ाने के लिए जुलाई में भी स्कूल चलो अभियान को विस्तार देने की पूरी उम्मीद है। वहीं, किताबें व अन्य सामग्री भी छात्रों को जुलाई-अगस्त में ही मुहैया हो सकेगी। 1खास बात यह है कि पिछले वर्ष सरकार ने स्वेटर बांटने का निर्णय लिया। इसके लिए अफसर स्वेटर मुहैया कराने की एजेंसी तलाशते रहे। इसमें देर होने से ठंड शुरू हो गई लेकिन, एजेंसी नहीं मिली। अंत में शिक्षकों को ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई। ऐसे ही बीते सत्र में भी किताबें दिसंबर तक बांटी गई।