शिक्षक भर्ती के रद्द होने का मामला पकड़ा तूल, 60 हजार छात्र जाएंगे कोर्ट

इलाहाबाद. सपा सरकार में निकाली गई भर्तियों को रद्द करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है । माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा इन भर्तियो की परीक्षा सितम्बर माह में प्रस्तावित हो चुकी थी। बोर्ड ने परीक्षा रद्द करने का तर्क दिया है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में यह विषय सम्मलित नहीं है।
बोर्ड ने आठ विषयों के 341 पदों के विज्ञापन को रद्द कर दिया है। इनकी परीक्षा 27, 28 और 29 सितम्बर को होनी थी। परीक्षा रद्द करने का विरोध शुरू हो चुका है। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि परीक्षा घोषित होने के बाद रद्द करना गलत है । छात्र अब एक बार फिर कोर्ट की शरण में जाने को तैयार है।


परीक्षा रद्द होने के विरोध में चयन बोर्ड पर प्रदर्शन करते हुए कहा कि, चयन बोर्ड द्वारा दिया गया हैं । जीव विज्ञान विषय हाईस्कूल में खत्म कर दिया गया यह पूरी तरह से सही नहीं है। उन्होंने बताया कि अब जीव विज्ञान स्वतंत्र विषय के तौर नहीं है, बल्कि उसे विज्ञान वर्ग में सम्मिलित कर लिया गया है। अभी भी हाई स्कूल के छात्रो को जीव विज्ञान पढया जाएगा । बताया कि अभी हाईस्कूल में पढ़ाई के लिए संबधित विषय में स्नातक के अलावा बीएड अनिवार्य है। इसे रद्द करना सही नहीं है, सरकार का यह कदम अस्वीकार है ।


नये नियमों के तहत हाईस्कूल के छात्रों को जीव विज्ञान को विज्ञान वर्ग में ही पढ़ाया जायेगा। ऐसे में जीव विज्ञान को पढाने के लिए शिक्षक की आवश्यकता है उसे कौन पढाएगा । जिन लोगों ने स्नातक स्तर पर जीव विज्ञान की पढ़ाई नहीं की है। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि इस तरह से छात्रों के भविष्य के खिलवाड़ किया जा रहा है । ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर घटेगा पूरी शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी। कहा कि चयन प्रक्रिया में विज्ञापन जारी होने के बाद नियमों में बदलाव नियमों के विपरीत गैर कानूनी है।


भर्ती रद्द करने के फैसले के खिलाफ खिलाफ प्रभावित हो रहे प्रतियोगी छात्र कोर्ट जाने की तैयारी में है । प्रतियोगी छात्रो का दावा की भर्ती से प्रभावित हो रहे 60 हजार छात्र कोर्ट की शरण में जाने को तैयार है । जिसके चलते पूरी परीक्षा अधर में लटक लटक सकती है। अगर छात्र कोर्ट जाते है तो नियमावली में किये गये बदलावों के अनुसार पूरी परीक्षा रद्द कर बोर्ड को नये सिरे से विज्ञापन जारी करने का बहाना मिल जायेगा। छात्रो की मांग कि परीक्षा निर्धारित समय पर ही करायी जाये जो बदलाव किये गयें हैं उन्हें वापस लिया जाये।