शिक्षकों के संबद्धीकरण ने बिगाड़ी स्कूलों की पढ़ाई

संवादसूत्र, लखीमपुर: प्रदेश सरकार एक तरफ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दे रही है। दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई है। इसके बावजूद खीरी जिले में बेसिक शिक्षा विभाग विपरीत कार्य में लगा है।
जिसने परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया है। बड़ी संख्या में शिक्षकों का संबद्धीकरण बीएसए कार्यालय, डायट और नगर क्षेत्र में कर दिया गया है। यहां तक की खुद बीईओ की पत्नी का भी संबद्धीकरण नगर क्षेत्र में है, जबकि शासन को भेजी गई रिपोर्ट में बेसिक शिक्षा विभाग में एक भी शिक्षक के संबद्धीकरण किए जाने से ही इंकार किया गया है।

शिक्षकों के संबद्धीकरण का यह मामला कोई नया नहीं है, जुलाई माह में हर वर्ष धन उगाही के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर यह खेल चलता है। यही कारण है कि बेसिक शिक्षा विभाग पर शासन के निर्देश भी बेअसर हो जाते हैं। बता दें कि हाल में ही हुए अंतरजनपदीय तबादले के कारण जिले में करीब 700 शिक्षक पहले से ही कम हो गए हैं। शिक्षकों के न होने से कई स्कूल एकल हो गए हैं या शिक्षक विहीन हो गए हैं। हालात ये हैं कि शिक्षक न होने की दशा में कई प्राथमिक स्कूल अनुदेशक या शिक्षामित्रों के सहारे हो गए हैं। नए शिक्षा सत्र में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी से अधिकारी अंजान नहीं हैं लेकिन, वे शिक्षण व्यवस्था को दरकिनार कर राजनैतिक संरक्षण वाले शिक्षकों को संरक्षण देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मौजूदा समय में दो शिक्षक बीएसए कार्यालय, आठ शिक्षक डायट और दूसरे ब्लॉकों के करीब एक दर्जन से अधिक शिक्षक शहरी क्षेत्र के स्कूलों से संबद्ध किए गए हैं। इनमें नकहा ब्लॉक का प्राथमिक विद्यालय अमृतागंज, उच्च प्राथमिक विद्यालय मझरा झंगा गौढ़ी, चहमलपुर, प्रथमिक विद्यालय खींचनपुरवा, पलिया ब्लॉक का इंद्रानगर, बिजुआ का राजगढ़, लखीमपुर ब्लॉक का चंदपुरा सहित कई स्कूल शामिल हैं, जिनके शिक्षक डायट और नगरीय क्षेत्र में अटैच किए गए हैं।
हैरत की बात है कि शासन ने पत्र भेजकर बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर यह पूछा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं चाहते कि शिक्षकों को सुविधा वाले स्कूलों से संबद्ध किया जाए। इस पत्र के जवाब में बेसिक शिक्षा विभाग ने जो जवाब भेजा वह चौकाने वाला है। अधिकारियों के मुताबिक पूरे जिले में एक भी शिक्षक संबद्ध नहीं है। जबकि जिम्मेदार अधिकारी खुलेआम शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यह पूरा खेल शिक्षकों से मोटी धनउगाही के लिए किया जाता है लेकिन, अधिकारी कभी भी संबद्धीकरण की बात नहीं मानते हैं।
जिम्मेदार की सुनिए


बीएसए बुद्धप्रिय ¨सह कहते हैं कि शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले से एक भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं हुए हैं। वहां शिक्षामित्र और अनुदेशक शैक्षणिक व्यवस्था संभाल रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों में संबद्धीकरण का कोई मामला संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी।