एससी/एसटी को प्रोन्नति में क्रीमी लेयर सिद्धांत नहीं, केंद्र सरकार ने गुरुवार को एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने की तरफदारी

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुरुवार को एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने की तरफदारी की। उसने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं होता। उन्हें अपने आप में पिछड़ा माना जाता है।
उन्हें सामाजिक पिछड़ेपन के कारण आरक्षण दिया जाता है। जब एक बार उन्हें पिछड़ा मानकर आरक्षण का लाभ दे दिया गया तो उसे सिर्फ संसद ही वापस ले सकती है। 1केंद्र सरकार की ओर से ये बात अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तब कही, जब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या एससी/एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण मामले में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू होगा। कोर्ट ने सरकार से एससी/एसटी के अंदर ही प्रतिस्पर्धा की बात पूछते हुए कहा कि इसी वर्ग में कुछ लोग लाभ पा रहे हैं और कुछ अभी भी पीछे रह गए हैं। इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि कुछ हद तक प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी उनमें सामाजिक पिछड़ापन कायम है। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए प्रोन्नति में आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि एससी/एसटी वर्ग के व्यक्ति के ऊपर उठ जाने और संपन्न हो जाने के बावजूद उसे अपनी ही जाति में शादी करनी होती है। क्योंकि संपन्न होने से उसका जातिगत पिछड़ापन समाप्त नहीं होता। जातिगत भेदभाव वाली व्यवस्था देश का दुर्भाग्य है।
हमारे धर्म का भी हंिदूूकरण हो गया : सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के जज आरएफ नरिमन ने कहा कि जाति भारत के हर धर्म में घुस गई है। यहां तक कि हमारे धर्म मे भी। मालूम हो कि जस्टिस नरिमन पारसी हैं। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म के मूल देश में इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां पैदा हुए हैं, लेकिन यहां पड़ता है। यहां पुजारी बनने के लिए आपका जन्म पुजारी परिवार में होना चाहिए। इस तरह देखा जाए तो हमारे धर्म का भी हंिदूूकरण हो गया है।