इसके अलावा स्क्रूटनी में 51 अभ्यर्थियों को राहत भी मिली है। यह रिजल्ट में फेल कर दिए गए थे लेकिन, अब स्क्रूटनी में इनका नंबर निर्धारित कट ऑफ से अधिक होने के कारण ये नौकरी पा सकेंगे। इन्हें जल्द ही नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा। इस बाबत मुख्य सचिव प्रभात कुमार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि स्क्रूटनी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और 51 ऐसे अभ्यर्थी मेरिट में आ रहे हैं जिन्हें फेल बताया गया था। लेकिन, यह निर्धारित कट ऑफ से अधिक अंक पाने में सफल हुए हैं, यह स्क्रूटनी की प्रक्रिया में स्पष्ट हो गया है । इन सभी को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा और इनकी जॉइनिंग भी होगी। उन्होंने बताया कि स्क्रूटनी के दौरान 53 ऐसे अभ्यर्थियों की कॉपियां भी सामने आई हैं जिनके नंबर निर्धारित कट ऑफ से नीचे हैं लेकिन इन्हें सफल बताया गया था।
पुनर्मूल्यांकन करा सकेंगे अभ्यर्थी
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि जितने भी अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में शामिल हुए थे वह अपनी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करा सकते हैं। पुनर्मूल्यांकन नि:शुल्क होगा और अगर पुनर्मूल्यांकन में उनका नंबर निर्धारित कट ऑफ के सापेक्ष आया तो उन्हें सहायक अध्यापक पद पर नौकरी दी जाएगी। डॉ प्रभात कुमार के अनुसार पुनर्मूल्यांकन के लिए अभ्यर्थी 11 से 20 अक्टूबर के बीच आवेदन कर सकते हैं। उसके बाद आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। आने वाले सभी आवेदन के आधार पर अभ्यर्थियों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। जिसमें निर्धारित कट ऑफ के अंदर आने वाले अभ्यर्थियों को नौकरी दी जाएगी ।
गौरतलब है कि 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में 107873 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। लेकिन रिजल्ट जारी होने के बाद उत्तर पुस्तिकाओं में हेराफेरी व अंको में गड़बड़ी करने का मामला सामने आया। जिसके बाद योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर स्क्रुटनी की प्रक्रिया पूरी की गई है और अब कमेटी की सिफारिश पर ही पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
इन पर हुई कार्रवाई
68500 सहायक अध्यापक भर्ती में गड़बड़ी को लेकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद के तत्कालीन रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह और डिप्टी रजिस्ट्रार प्रेम चंद कुशवाहा को भी निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा लापरवाही बरतने पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद लखनऊ के साथ कर्मियों पर भी अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। जबकि शुरुआत मे ही तत्कालीन परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव सुत्ता सिंह को भी निलंबित किया जा चुका है। इस मामले में उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में लापरवाही करने पर मूल्यांकन करने वाली लखनऊ की फर्म को भी ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। बता दें कि 68500 सहायक अध्यापक भर्ती उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने किया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने कंपनी को ब्लैक लिस्ट करते हुए और सरकार के किसी भी विभाग से काम ना देने का निर्देश दिया है।