नई दिल्ली/लखनऊ: यूपी में सहायक शिक्षक भर्ती मामले की जांच रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ
तक पहुंच गई है. संजय भूसरेड्डी कमेटी ने जांच रिपोर्ट सीएम को सौंप दी
है. रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों
को तलब किया है.
जांच रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है.
इसी के साथ-साथ योगी सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है. अब सभी
अभ्यर्थियों को कॉपी री-चेक कराने का अवसर मिलेगा. गड़बड़ी के आरोप में
परीक्षा नियमक प्राधिकारी के तत्कालीन रजिस्ट्रार और डिप्टी रजिस्ट्रार को
सस्पेंड कर दिया गया है.
कॉपी को री-चेक कराने के लिए अभ्यर्थियों को कोई फीस भी नहीं होनी. इसके
लिए 11 से 20 अक्टूबर तक री-चेकिंग के लिए आवेदन किया जा सकता है. इसके
अलावा जिन 53 फेल अभ्यर्थियों को नौकरी मिली थी, सीएम योगी आदित्यनाथ ने
आदेश दिया कि उनकी कॉपी भी दोबारा जांची जाए. उन्होंने कहा कि अगर वो पास
नहीं हुए, तो उनकी नौकरी से निकाल दिया जाएगा.
सहायक शिक्षक भर्ती में गड़बड़ियों की पुष्टि होने के बाद मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार शाम परीक्षा नियामक प्राधिकारी के तत्कालीन
रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह नेगी और डिप्टी रजिस्ट्रार प्रेमचंद कुशवाहा को
निलंबित कर दिया है. वहीं, सात के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश की
गई है. बताया जा रहा है कि 353 कॉपियों के मूल्यांकन में मिली गड़बड़ी के
आधार पर इन्हें जांचने वाले परीक्षक पर भी कार्रवाई की जाएगी. अपर मुख्य
सचिव बेसिक शिक्षा प्रभात कुमार ने सीएम योगी आदित्यनाथ को जांच रिपोर्ट
सौंप दी थी.
आपको बता दें कि यूपी में 68,500 सहायक शिक्षक के पदों पर भर्ती के लिए
लिखित परीक्षा में महज 41,556 अभ्यर्थी ही पास हुए थे. इसमें 40,700 को 5
सितंबर तक नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे. इसी दौरान कॉपियों के मूल्यांकन
में गड़बड़ियों और पास अभ्यर्थियों को भी रिजल्ट में फेल दिखाए जाने की
शिकायतें सामने आई थी.
सीएम योगी ने संज्ञान लेते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी की सचिव रूबी
सिंह को 8 सितंबर को निलंबित कर दिया था. साथ ही आईएएस संजय आर.
भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी. कमेटी को एक
सप्ताह की मोहलत थी. लेकिन करीब एक महीने बाद रिपोर्ट सौंपी गई है. इसको
लेकर हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की थी.
0 Comments