छत्तीसगढ़ में 15 साल का रमन राज खत्म हो गया है। कांग्रेस ने शानदार
वापसी करते पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। चुनाव के पहले भाजपा
और कांग्रेस दोनों अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे थे, इसके अलावा बीजेपी और
अजीत जोगी का गठबंधन के भी इसी तरह के दावे थे।
लेकिन मतगणना के शुरूवाती रुझानों ने ही स्थिति स्पष्ट कर दी, इसके बाद जैसे-जैसे परिणाम आते रहे वैसे वैसे कांग्रेसियों का उत्साह बढ़ता गया और भाजपाई खेमे में मायूसी छा गई।
कांग्रेस की जीत के पीछे प्रमुख क्या कारण रहे, आइए जानते हैं -
एंटी इंकंबेंसी : छत्तीसगढ़ में इस बार एंटी इंकंबेंसी का माहौल था। कांग्रेस ने इसे पूरी तरह से भुनाया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर स्थानीय नेता ओं ने अपनी हर रैली में सरकार के अधूरे कामों का जिक्र किया। राहुल गांधी रैलियों में केंद्र सरकार पर हमला बोलने के साथ ही रमन सरकार की नाकामी भी गिनाते थे।
मंत्रियों का व्यवहार : छत्तीसगढ़ में लोगों रमन सरकार से किस कदर नाराज थे यह चुनाव परिणाम बताते हैं। अभी तक के चुनाव आंकड़ों के मुताबिक मंत्री केदार कश्यप (नारायणपुर सीट), महेश गागड़ा (बीजापुर सीट), अमर अग्रवाल (बिलासपुर सीट), रामसेवक पैकरा (प्रतापपुर सीट), दयालदास बघेल (नवागढ़ सीट), राजेश मूणत (रायपुर नगर पश्चिम सीट) और प्रेम प्रकाश पांडेय (भिलाई नगर सीट) पीछे चल रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल (कसडोल सीट) भी पीछे चल रहे हैं।
किसानों की नाराजगी : छत्तीसगढ़ में किसान रमन सरकार से काफी नाराज थे। इस चुनाव में कर्ज माफी एक बड़ा मुद्दा था। कांग्रेस ने इसके अपने घोषणा पत्र में शामिल किया और एलान किया कि सरकार बनते ही दस दिनों के भीतर कर्ज माफी कर दी जाएगी। छत्तीसगढ़ के चुनाव अभियान में किसानों की कर्ज माफी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिक बोनस देने का कांग्रेस के वादे पर किसानों ने भरोसा जताया है और उन्होंने भाजपा को पूरी तरह दरकिनार कर कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया है।
आउट सोर्सिंग बना मुद्दा : प्रदेश में भिलाई स्टील प्लांट रोजगार का एक बड़ा केंद्र है। यहां 60 हजार से अधिक अधिकारी और कर्मचारी है। सैकड़ों की संख्या में यहां आउट सोर्सिंग पर कर्मचारियों को रखा गयाा है, इन कर्मचारियों की मांग है कि इन्हें परमानेंट कर दिया जाए। रमन सरकार से कर्मचारी इस मुद़दे पर भी काफी नाराज थे। कांग्रेस ने इसे भी मुद्ा बनाया और कर्मचारियों को आश्वासन दिया।
शिक्षामित्र थे खफा : प्रदेश में लाखों की संख्या में शिक्षा मित्र हैं। यहां इन्हें रेगुलर करने की मांग चल रही है। इसके लिए शिक्षा मित्रों ने काफी धरना प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोक नतीजा नहीं निकाला। कई बार लाठीचार्ज भी हुए और शिक्षामित्रों ने गिरफ्तारियां भी दी। यह नाराजगी भी भाजपा की हार की एक बड़ी वजह रही।
भितरघात का फायदा : कांग्रेस को भाजपा के भीतरघातियों से बहुत फायदा पहुंचा। कई सीटों के परिणाम विश्लेशण करने पर पता चलता है जहां जहां भाजपा के बागी थे, वहां कांग्रेस को सीधा फायदा पहुंचा। भाजपा में यह असंतोष टिकट वितरण के समय से ही शुरू हो गया था।
अजीत जोगी से भी फायदें का अनुमान :
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी जब बसपा के साथ गठबंधन बनाकर चुनावी समर में उतरे तो लोगों ने कयास लगाए कि ये गठबंधन कांग्रेस के वोटों को काटेगा। हालांकि चुनाव के परिणाम बताते हैं कि जोगी फैक्टर ने कांग्रेस की जगह भाजपा के वोटों में ही सेंध लगा दी।
बिजली : पूरे प्रदेश में बिजली एक बड़ा मुद्दा था। हर स्थानीय रैलियों में कांग्रेसियों ने इस पर फोकस किया।
लेकिन मतगणना के शुरूवाती रुझानों ने ही स्थिति स्पष्ट कर दी, इसके बाद जैसे-जैसे परिणाम आते रहे वैसे वैसे कांग्रेसियों का उत्साह बढ़ता गया और भाजपाई खेमे में मायूसी छा गई।
कांग्रेस की जीत के पीछे प्रमुख क्या कारण रहे, आइए जानते हैं -
एंटी इंकंबेंसी : छत्तीसगढ़ में इस बार एंटी इंकंबेंसी का माहौल था। कांग्रेस ने इसे पूरी तरह से भुनाया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर स्थानीय नेता ओं ने अपनी हर रैली में सरकार के अधूरे कामों का जिक्र किया। राहुल गांधी रैलियों में केंद्र सरकार पर हमला बोलने के साथ ही रमन सरकार की नाकामी भी गिनाते थे।
मंत्रियों का व्यवहार : छत्तीसगढ़ में लोगों रमन सरकार से किस कदर नाराज थे यह चुनाव परिणाम बताते हैं। अभी तक के चुनाव आंकड़ों के मुताबिक मंत्री केदार कश्यप (नारायणपुर सीट), महेश गागड़ा (बीजापुर सीट), अमर अग्रवाल (बिलासपुर सीट), रामसेवक पैकरा (प्रतापपुर सीट), दयालदास बघेल (नवागढ़ सीट), राजेश मूणत (रायपुर नगर पश्चिम सीट) और प्रेम प्रकाश पांडेय (भिलाई नगर सीट) पीछे चल रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल (कसडोल सीट) भी पीछे चल रहे हैं।
किसानों की नाराजगी : छत्तीसगढ़ में किसान रमन सरकार से काफी नाराज थे। इस चुनाव में कर्ज माफी एक बड़ा मुद्दा था। कांग्रेस ने इसके अपने घोषणा पत्र में शामिल किया और एलान किया कि सरकार बनते ही दस दिनों के भीतर कर्ज माफी कर दी जाएगी। छत्तीसगढ़ के चुनाव अभियान में किसानों की कर्ज माफी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिक बोनस देने का कांग्रेस के वादे पर किसानों ने भरोसा जताया है और उन्होंने भाजपा को पूरी तरह दरकिनार कर कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया है।
आउट सोर्सिंग बना मुद्दा : प्रदेश में भिलाई स्टील प्लांट रोजगार का एक बड़ा केंद्र है। यहां 60 हजार से अधिक अधिकारी और कर्मचारी है। सैकड़ों की संख्या में यहां आउट सोर्सिंग पर कर्मचारियों को रखा गयाा है, इन कर्मचारियों की मांग है कि इन्हें परमानेंट कर दिया जाए। रमन सरकार से कर्मचारी इस मुद़दे पर भी काफी नाराज थे। कांग्रेस ने इसे भी मुद्ा बनाया और कर्मचारियों को आश्वासन दिया।
शिक्षामित्र थे खफा : प्रदेश में लाखों की संख्या में शिक्षा मित्र हैं। यहां इन्हें रेगुलर करने की मांग चल रही है। इसके लिए शिक्षा मित्रों ने काफी धरना प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोक नतीजा नहीं निकाला। कई बार लाठीचार्ज भी हुए और शिक्षामित्रों ने गिरफ्तारियां भी दी। यह नाराजगी भी भाजपा की हार की एक बड़ी वजह रही।
भितरघात का फायदा : कांग्रेस को भाजपा के भीतरघातियों से बहुत फायदा पहुंचा। कई सीटों के परिणाम विश्लेशण करने पर पता चलता है जहां जहां भाजपा के बागी थे, वहां कांग्रेस को सीधा फायदा पहुंचा। भाजपा में यह असंतोष टिकट वितरण के समय से ही शुरू हो गया था।
अजीत जोगी से भी फायदें का अनुमान :
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी जब बसपा के साथ गठबंधन बनाकर चुनावी समर में उतरे तो लोगों ने कयास लगाए कि ये गठबंधन कांग्रेस के वोटों को काटेगा। हालांकि चुनाव के परिणाम बताते हैं कि जोगी फैक्टर ने कांग्रेस की जगह भाजपा के वोटों में ही सेंध लगा दी।
बिजली : पूरे प्रदेश में बिजली एक बड़ा मुद्दा था। हर स्थानीय रैलियों में कांग्रेसियों ने इस पर फोकस किया।