देश के 18 राज्यों में 50 केन्द्रीय
विद्यालय खोले जाएंगे। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस
प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में समिति
की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह जानकारी पत्रकारों को दी।
इस फैसले से करीब 50 हजार छात्र-छाद्वत्राओं का दाखिला इन स्कूलों में हो
सकेगा। जेटली ने कहा कि ये केन्द्रीय विद्यालय अर्ध सैनिक क्षेत्रों और उन
इलाकों में खोले जाएंगे जहां रेलवे कर्मचारियों की संख्या अधिक है। कुछ
स्कूल गृह मंत्रालय तो कुछ रेलवे मंत्रालय द्वारा बनाए जाएंगे। कुछ राज्य
तथा केंद्र शासित क्षेत्र द्वारा बनाए जाएंगे और ये कई नक्सल प्रभावित
इलाकों में बनेंगे।
वित्त मंत्री ने बताया ये स्कूल असम,
बिहार, हरियाणा, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश,
उत्तराखंड, झारखंड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश,
जम्मू कश्मीर, केरल, महाराष्ट्र तथा ओड़ीसा में खोले जाएंगे। उन्होंने कहा
ये विद्यालय केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल तथा भारत तिब्बत
सीमा सुरक्षा बल, सीमा सशस्त्र बल के परिसरों में खोले जाएंगे। इसके अलावा
रेलवे कॉलोनियों में भी खोले जाएंगे। नक्सल इलाकों में गढ़चिरौली क्योंझर,
गंजम, रायगढ़ आदि में खोले जाएंगे।
केंद्र ने शिक्षक भर्ती पर अध्यादेश को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को विश्वविद्यालय को एक इकाई मानते हुए संकाय सदस्यों की भर्ती के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी। केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2017 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को पलट देगा, जिसमें विभाग को भर्ती ईकाई बनाया था। यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालय आयोग द्वारा दायर विशेष अवकाश याचिका और एक पुनर्विचार याचिका को खारिज किए जाने के बाद अधिनियमित किया गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को विश्वविद्यालय को एक इकाई मानते हुए संकाय सदस्यों की भर्ती के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी। केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2017 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को पलट देगा, जिसमें विभाग को भर्ती ईकाई बनाया था। यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालय आयोग द्वारा दायर विशेष अवकाश याचिका और एक पुनर्विचार याचिका को खारिज किए जाने के बाद अधिनियमित किया गया है।
साल 2017 के आदेश से शिक्षक, विभाग को
भर्ती के लिए एक इकाई बनाए जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि यह अनुसूचित
जाति/अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के उम्मीदवारों के अवसर की
संभावनाओं को कम करता है।