समीक्षात्मक प्रस्तुतिकरण
*जैसा कि आरटीई एक्ट - 2009 के अनुसार चाहें सरकारी विद्यालय हो या प्राइवेट विद्यालय हो, प्रशिक्षित शिक्षक ही शिक्षण कार्य कर सकते हैं, स्मरण हो कि भारत सरकार ने आरटीई एक्ट-2009... 01अप्रैल -2010 में और यूपी सरकार ने 27 जुलाई - 2011 को पूर्ण रुप सीलागू करने का आदेश दिया था और 5 वर्ष तक सभी नियम शर्तें यानि कि 31 मार्च - 2015 पूरी तरह से पूरा करने का आदेश
हुआ था लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद एवं जब 31 मार्च-2015 तक जब मूल्यांकन किया गया तो देश भर में 12 लाख अप्रशिक्षित शिक्षक अपना शिक्षण कार्य कर रहे हैं, उक्त सभी को आरटीई एक्ट के नियमानुसार अनुसार प्रशिक्षित करने के लिए चार वर्ष का समय और दिया गया अर्थात - 31 मार्च -2019 तक। जो कि इस माह में उक्त समय सीमा समाप्त हो रही हैं, स्मरण हो कि उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य में सभी टीईटी पास शिक्षामित्रों को बिना किसी परीक्षा व प्रक्रिया के शिक्षक बना चुकी है और जो टेट नहीं पास हो पाये थे वह भी शिक्षक के पद पर शिक्षण कार्य सवेतन सहित कर रहे हैं, उन्हें 31 मार्च -2019 तक का टेट पास करने के लिए समय दिया गया है, इसमें भी बहुतायत शिक्षामित्र टेट पास हो चुके हैं, जो टेट नहीं पास कर पाये है अब उनको भाजपा पार्टी शासित सरकार पुनः शिक्षामित्र के पद पर रिवर्स करके सुरक्षित व संरक्षित कर देगी, उक्त के क्रम में यूपी में शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद उक्त सभी पीड़ित शत प्रतिशत राजनीतिक द्वेष भाव का शिकार हो चुका है, जो कि सभी प्रशिक्षित स्नातक भी है, लगभग 50,000/- शिक्षामित्र टेट पास भी कर चुके हैं लेकिन वर्तमान परिस्थिति में सभी का जीवन, बिन पानी तड़पे मीन, जैसी दुर्दशा गतिमान है, दिनांक - 31मार्च-2019 के बाद नियमतः प्रशिक्षित स्नातक शिक्षामित्रों को यूपी सरकार शिक्षामित्र के पद से च्युत तो नहीं कर सकती हैं लेकिन यदि चाहे तो उन टीईटी पास शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में नियम में शिथिलता दे करके शिक्षक जरूर बना सकती हैं, यदि आने वाली नयी केन्द्र सरकार की पूरी तरह से अनुकंपा हो जाए तो सभी पीड़ित पौने दो लाख शिक्षामित्र, जरूर अपना खोया हुआ सम्मान वापस पा सकते हैं*?
*जैसा कि आरटीई एक्ट - 2009 के अनुसार चाहें सरकारी विद्यालय हो या प्राइवेट विद्यालय हो, प्रशिक्षित शिक्षक ही शिक्षण कार्य कर सकते हैं, स्मरण हो कि भारत सरकार ने आरटीई एक्ट-2009... 01अप्रैल -2010 में और यूपी सरकार ने 27 जुलाई - 2011 को पूर्ण रुप सीलागू करने का आदेश दिया था और 5 वर्ष तक सभी नियम शर्तें यानि कि 31 मार्च - 2015 पूरी तरह से पूरा करने का आदेश
हुआ था लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद एवं जब 31 मार्च-2015 तक जब मूल्यांकन किया गया तो देश भर में 12 लाख अप्रशिक्षित शिक्षक अपना शिक्षण कार्य कर रहे हैं, उक्त सभी को आरटीई एक्ट के नियमानुसार अनुसार प्रशिक्षित करने के लिए चार वर्ष का समय और दिया गया अर्थात - 31 मार्च -2019 तक। जो कि इस माह में उक्त समय सीमा समाप्त हो रही हैं, स्मरण हो कि उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य में सभी टीईटी पास शिक्षामित्रों को बिना किसी परीक्षा व प्रक्रिया के शिक्षक बना चुकी है और जो टेट नहीं पास हो पाये थे वह भी शिक्षक के पद पर शिक्षण कार्य सवेतन सहित कर रहे हैं, उन्हें 31 मार्च -2019 तक का टेट पास करने के लिए समय दिया गया है, इसमें भी बहुतायत शिक्षामित्र टेट पास हो चुके हैं, जो टेट नहीं पास कर पाये है अब उनको भाजपा पार्टी शासित सरकार पुनः शिक्षामित्र के पद पर रिवर्स करके सुरक्षित व संरक्षित कर देगी, उक्त के क्रम में यूपी में शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद उक्त सभी पीड़ित शत प्रतिशत राजनीतिक द्वेष भाव का शिकार हो चुका है, जो कि सभी प्रशिक्षित स्नातक भी है, लगभग 50,000/- शिक्षामित्र टेट पास भी कर चुके हैं लेकिन वर्तमान परिस्थिति में सभी का जीवन, बिन पानी तड़पे मीन, जैसी दुर्दशा गतिमान है, दिनांक - 31मार्च-2019 के बाद नियमतः प्रशिक्षित स्नातक शिक्षामित्रों को यूपी सरकार शिक्षामित्र के पद से च्युत तो नहीं कर सकती हैं लेकिन यदि चाहे तो उन टीईटी पास शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में नियम में शिथिलता दे करके शिक्षक जरूर बना सकती हैं, यदि आने वाली नयी केन्द्र सरकार की पूरी तरह से अनुकंपा हो जाए तो सभी पीड़ित पौने दो लाख शिक्षामित्र, जरूर अपना खोया हुआ सम्मान वापस पा सकते हैं*?