उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) की भर्ती परीक्षाओं में धांधली का
खुलासा होने पर प्रतियोगी भड़क उठे हैं. UPPSC ने दिसंबर तक के लिए सभी
परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं. शुक्रवार (31 मई) को हजारों की संख्या में
अभ्यर्थी UPPSC दफ्तर के बाहर जुटे तो प्रयागराज-लखनऊ हाइवे पर जाम लग
गया. भीड़ हटाने को पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया तो दूसरी तरफ से पथराव
शुरू हो गया.
नारेबाजी के बीच UPPSC की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराने की मांग उठती रही. प्रदर्शन के दौरान लोक सेवा आयोग के गेट पर ‘चिलम सेवा आयोग’ लिखते समाजवादी पार्टी के तीन कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए. इनमें राजेश यादव, संदीप यादव और उनका एक साथी शामिल है.
STF अधिकारी के मुताबिक, 50 प्रतियोगियों को एग्जाम से एक दिन पहले
वाराणसी के यूपी कॉलेज में बुलाया गया था. फिर उनको यहां से कौशल विकास
केंद्र ले जाया गया. सबको सॉल्व्ड पेपर की कॉपीज दी गई और दो घंटे बाद
वापस ले ली गईं. शिकायतकर्ता अशोक ने इसका फोटो-वीडियो बना लिया था.
पेपर लीक करने के बदले प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमार ने UPPSC की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार को 10 लाख रुपये दिए थे. अभ्यर्थियों से 20-20 लाख में पेपर लीक कराने का सौदा तय हुआ.
अंजू लता, कौशिक के अलावा जौनपुर, गाजीपुर के कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. अंजू और कौशिक को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि बाकी फरार हैं. अंजू लता की गिरफ्तारी के बाद अभ्यर्थियों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने आयोग मुख्यालय का घेराव शुरू कर दिया.
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नारेबाजी के बीच UPPSC की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराने की मांग उठती रही. प्रदर्शन के दौरान लोक सेवा आयोग के गेट पर ‘चिलम सेवा आयोग’ लिखते समाजवादी पार्टी के तीन कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए. इनमें राजेश यादव, संदीप यादव और उनका एक साथी शामिल है.
क्या है पूरा मामला
UPPSC की ओर से जुलाई, 2018 को आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया था. हिंदी और सामाजिक विज्ञान की परीक्षा से एक दिन पहले पेपर आउट कर दिया गया था. कोलकाता के रहने वाले अशोक देव चौधरी ने इसकी शिकायत पश्चिम बंगाल की CID से की थी. आरोप था कि कोलकाता के ब्लेंयिंग स्क्वॉयर प्रिंटिंग प्रेस से पर्चे आउट हुए.पेपर लीक करने के बदले प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमार ने UPPSC की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार को 10 लाख रुपये दिए थे. अभ्यर्थियों से 20-20 लाख में पेपर लीक कराने का सौदा तय हुआ.
अंजू लता ने नहीं मानी पुलिस की सलाह
पुलिस और STF ने UPPSC को सलाह दी थी कि इस प्रकाशक को आगे पेपर छापने को न दिए जाएं. अंजू लता कटियार ने सलाह नहीं मानी. उन्हें 30 मई को वाराणसी की क्राइम ब्रांच ने प्रयागराज से अरेस्ट कर लिया है. उनके मोबाइल-लैपटॉप को सील कर दिया गया है. ये पता लगाने की कोशिश हो रही है कि ऐसे ही और कितनी परीक्षों के पेपर लीक किए गए हैं.अंजू लता, कौशिक के अलावा जौनपुर, गाजीपुर के कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. अंजू और कौशिक को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि बाकी फरार हैं. अंजू लता की गिरफ्तारी के बाद अभ्यर्थियों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने आयोग मुख्यालय का घेराव शुरू कर दिया.
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