बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में भर्ती के एक आयोग:- नए आयोग (उ.प्र. शिक्षा सेवा आयोग) के नियम भी खामियों से भरे हैं। नाम बदलने से कुछ नहीं होता साहब, आखिर अधिकारी तो वही हैं।

-👉 नए आयोग (उ.प्र. शिक्षा सेवा आयोग) के नियम भी खामियों से भरे हैं। नाम बदलने से कुछ नहीं होता साहब, आखिर अधिकारी तो वही हैं।


👉 प्राथमिक विद्यालयों की सहायक अध्यापक भर्ती में अकादमिक जुड़ेगी । अकादमिक के अंक, फाइनल मेरिट में जुड़ने से बीजेपी सरकार में इंटर, हाईस्कूल और ग्रेजुएशन करने वाले, समाजवादी पार्टी सरकार में इंटर, हाईस्कूल और ग्रेजुएशन करने वालों से पीछे हो जायेंगे। क्योंकि ये सर्वविदित है कि समाजवादी पार्टी के सरकार में नक़ल का रिकॉर्ड ही टूट ही गया था। तो सरकार नकलचियों को सहायक अध्यापक बनाना चाहती है या फिर जिन्होंने भर्ती परीक्षा में और अध्यापक पात्रता परीक्षा में अच्छा स्कोर किया उनको।

👉 एल.टी. ग्रेड में इंटरव्यू होंगे। एल. टी. ग्रेड में इंटरव्यू भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा। जबकि सरकार सत्ता में यह कह कर आयी थी कि इंटरव्यू ख़त्म किये जाएंगे ताकि अध्यापक भर्ती में पारदर्शिता रहे।

👉 प्राथमिक और माध्यमिक तो बता दिया जूनियर (Class 6 to 8) की भर्ती गायब कर दी, मतलब साफ़ है सरकार की नियत और नीति दोनों बदल चुकी हैं। साहब का जूनियर में अध्यापक भर्ती करने का कोई इरादा नहीं है।

👉👉 ये समय उ.प्र. शिक्षा सेवा आयोग के गठन की खुशियां मनाने का नहीं बल्कि खामियों का विरोध करने का है।