प्रदेश सरकार ने यूपी बोर्ड व सीबीएसई बोर्ड में पढ़ाई का फासला मिटाने के लिए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को अपनाया। लेकिन, यूपी बोर्ड से संबद्ध राजकीय व एडेड माध्यमिक कालेजों में शिक्षक चयन का फासला मिटने का नाम नहीं ले रहा। एक ही पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों का चयन किया गया है तो एडेड कॉलेजों के विज्ञापन में विषय और पद ही नहीं है।
अहम यह है कि 2016 जीव विज्ञान विषय में शिक्षक चयन का प्रकरण हाईकोर्ट तक पहुंचा और शासन को भर्ती कराने का हलफनामा देना पड़ा, फिर 2020 भर्ती में उसे जगह नहीं मिली है।राजकीय व अशासकीय सहायताप्राप्त यानी एडेड माध्यमिक कॉलेजों में शिक्षक चयन की असमानता अक्टूबर माह में नए सिरे से जगजाहिर हुई है। उप्र लोक सेवा आयोग ने राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 में पहली बार कंप्यूटर शिक्षकों के 1673 पदों का विज्ञापन जारी किया। हालांकि इसमें बालकों के 898 पदों के सापेक्ष महज 30 व बालिकाओं के 775 पदों के सापेक्ष छह का ही चयन हो सका। चयनितों को नियुक्ति पत्र मिल चुका है। कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती एडेड कालेजों में नहीं हो रही है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का कहना है कि अधियाचन जिलों से डीआइओएस भेजते हैं उसमें कंप्यूटर शिक्षक का जिक्र नहीं है।
राजकीय कॉलेजों में जीव विज्ञान विषय पढ़ाने के लिए 336 बालक व 259 बालिकाओं का चयन किया गया है। वहीं, एडेड कॉलेजों की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक भर्ती में यह विषय घोषित नहीं है। चयन बोर्ड ने 2016 की भर्ती से जीव विज्ञान विषय के पदों को निरस्त कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर लिखित परीक्षा कराने की हामी भरी गई है। वहीं, 2011 की टीजीटी भर्ती में जीव विज्ञान का रिजल्ट नहीं आ सका है। ऐसे ही कला व हंिदूी विषय में आवेदन की अर्हता राजकीय व एडेड कॉलेजों में भिन्न है।