यूपी बोर्ड से जुड़े सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों एवं राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया अलग- अलग है। एक बोर्ड होने के बाद भी एक ही कोर्स पढ़ाने के लिए दो अलग- अलग अर्हताएं रखे जाने पर अभ्यर्थियों ने सवाल खड़ा कर दिया है। हालत यह है कि विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानें की ओर में जिस
कोर्म आउट डेटेड मानकर बंद कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उस कोर्स को आज भी जैबित रखे है। अभ्यर्थियों ने पुराने नियमों को बदलकर नए नियमों के आधार पर भर्ती करने की मांग की है। शिक्षक भर्ती के दावेदारों ने चयन बोर्ड के अध्यक्ष एवं यूपी बोर्ड सचिव से शिक्षक चयन को अर्हता एक करने एवं बंद हो चुके कोर्स को चयन बोर्ड से बाहर करने की मांग की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि अब पूरे देश में विश्वविद्यालयों को ओर से त्रिवर्षीय स्नातक कोर्स संचालित किए जा रहें हैं, ऐसे में संबंधित विषय में त्रिवर्षीय कार्यक्रम के में स्नातक आनर्स करने वालों को मौका देने का कोई मतलब नहीं रह गया है। उनका कहना है कि त्रिवर्षीय कार्यक्रम (डिप्लोमा ) यूजीसी की ओर से यूनिवर्सिटी में थ्री'-ईयर डिग्री कोर्स लागू करने के साथ ही बंद हो गया, ऐसे में इस पुराने कोर्स को जीवित रखने का कोई अर्थ नहीं है। चयन बोर्ड 1921 में बने इंटरमीडिएट ऐक्ट के पुराने नियमों पर भर्ती कर रहा है।
अब विवि की ओर से नए-नए कोर्स संचालित किए जा रहे हैं, ऐसे मेंसौ साल पुराने नियमों को बदलकर शिक्षकों के चयन के लिए नईअ्हता तय करनो चाहिए। एसपी तिवारी, प्रधानाचार्य परिचद केम्रीडिया प्रभारी
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