धन नहीं, कैसे पहचाने जाएं फर्जी शिक्षक, देखें कहां कितनी सत्यापन फीस

 प्रदेश के राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों एवं संस्कृत पाठशालाओं में फर्जी शिक्षकों की पहचान में बजट कारोड़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों सत्यापन के निर्देश दिए थे।

लेकिन सत्यापन शुल्क देने के लिए रुपये नहीं होने के कारण पूरा काम ठप पड़ा है। अकेले प्रयागराज में 2989 शिक्षकों के अलग-अलग विश्वविद्यालयों एवं बोर्ड से 10 हजार से अधिक दस्तावेजों के सत्यापन के लिए 40 लाख रुपये की आवश्यकता है।



जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के पास बजट नहीं होने के कारण सत्यापन रिपोर्ट शासन को उपलब्ध नहीं करा पा रहे। अपर निदेशक माध्यमिक डॉ. महेन्द्र देव ने पिछले दिनों सभी मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर तीन दिन में सत्यापन रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। विशेष सचिव शासन जय शंकर दुबे ने 8 जुलाई को दस्तावेजों की जांच के निर्देश दिए थे । पूरी रिपोर्ट 31 जुलाई तक मांगी गई थी।

लेकिन बजट के अभाव में डेडलाइन बीते दो महीने बाद भी सत्यापन नहीं हो सका है। यही स्थिति पूरे प्रदेश की बनी हुई है। जिला विद्यालय निरीक्षकों ने शिक्षा निदेशालय से सत्यापन शुल्क के रूप में लाखों रुपये की डिमांड की है।

कहां कितनी सत्यापन फीस
भारतीय खेल प्राधिकरण का सत्यापन शुल्क सबसे अधिक है। प्राधिकरण ने प्रति डिग्री दो हजार रुपये सत्यापन शुल्क मिलने पर ही रिपोर्ट देने की बात कही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और राजर्षि टंडन मुक्त विवि का प्रति डिग्री सत्यापन शुल्क 500-500 रुपये, कुरुक्षेत्र विवि 250, कानपुर विवि 300 जबकि बुंदेलखंड विवि का प्रति डिग्री सत्यापन शुल्क 550 रुपये है।

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