उ.प्र. के बेसिक शिक्षक हुए कमजोर : भूपेन्द्र प्रताप सिंह

 बुलंदशहर। उप्र में वेसिक शिक्षकों की संख्या लाखों में है लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षक लगातार कमजोर हो रहे हैं इसका मुख्य कारण है कि शिक्षक संवर्ग जाति-धर्म के आधार पर आपस में बंटे हुए हैं इसलिए शिक्षक

एकसूत्र में नहीं बंध पाते है। सर्वप्रथम वेसिक शिक्षकों का एक ही संगठन था। प्राथमिक शिक्षक संघ लेकिन आज उप्र में प्राथमिक शिक्षक संघ के नाम से ही 05 संगठन चल रहे है जिसमें 03 संघो का चुनाव भी हुआ है जिसमें एक में सुषमा प्रकाश एक मे डा. दिनेश चंद शर्मा व एक मे सुशील पांडेय निर्विरोध प्रांतीय अध्यक्ष मनोनीत हुए है। प्राथमिक संघ में से ही जूनियर शिक्षक संघ निकला है जिसकी कोई भी आवश्यकता नहीं थी अव जूनियर शिक्षक संघ नाम से ही 02 संघ चल रहे हैं इसके अलावा जातियों व धर्मी के नाम पर कम से कम प्रदेश में 06 संघ चल रहे है।


इसके अलावा शिक्षा मित्र संघ अनुदेशक संघ विशिष्ट बीटीसी संघ राष्ट्रीय शैक्षिक संघ वेसिक शिक्षक वेलफेयर संघ प्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षक संघ राष्ट्रवादी शिक्षक संघ यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन 389 यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन 1739 एक मिशन आदि संगठन आदि संगठन चल रहे हैं जिसके कारण देसिक शिक्षक भी अव सहमा हुआ है किस संघ में जाये व किस संघ में न जाये। वर्ष 2015 में यूटा संघ उप्र में राजऋषि शिवराज सिंह शिकारवार द्वारा गठिति हुआ

जिसका मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार पर वार था लेकिन स्वार्थ की राजनीति के फलस्वरूप

यूटा भी 2 भागों में विभक्त हो गया जिसमें एक जिसका रजि नं. 389 है वह उप्र के कुछ

जिलों तक सीमित है व एक पूरे उप्र में व अन्य राज्यों में भी चल रहा है जिसमें राष्ट्रीय

अध्यक्ष राजऋषि शिवराज सिंह शिकारवार व प्रांतीय संयोजक उप्र शेरे हिन्द विक्रान्त

पटेरिया हैं विदित हो यूटा 1739 एक मिशन है जो भ्रष्टाचार पर कार्य कर रहा है व

करता रहेगा।

हम किसी भी संघ के विरोधी नहीं है बस इतना चाहते हैं कि शिक्षक संवर्ग में न बंटे धर्म के आधार पर न वंटे जातियों के आधार पर न वंटे। यदि आप एक सूत्र में वंधे रहेंगे तो आप पर कोई भी गलत टिप्पणी नही कर पायेगा और न कोई भी अहित नही कर पायेगा।

इसलिए हमारा सभी संघों से विनम्र अनुरोध है कि अपना-अपना स्वार्थ त्यागकर एक

हो जाये। इस दिशा में प्राथमिक शिक्षक संघ अपने 05 संघों को एक करे जूनियर शिक्षक

संघ प्राथमिक में विलय करे। एससी/एसटी/ओबीसी संगठन भी एक संगठन बनाये या

विलय करे इसके अलावा अन्य संगठन भी आपस मे विलय करें व एक मजवूत संगठन की आधारशिला रखें। वरना वह दिन दूर नहीं जिसमें हमारी इतनी वड़ी संख्या होने के बावजूद भी हम अलग-अलग कर दिए जाएंगे। आज जिनकी संख्या प्रदेश में हज़ारों में है उनमें एकता है लेकिन शिक्षकों की संख्या लाखों में होने के बावजूद भी एक नही है। भाइयों यूटा केवल मिशन के तौर पर केवल और केवल भ्रष्टाचार पर कार्य कर रहा है और साथ ही सभी को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान करता है। आइए इस दिशा में कार्य करें। क्योंकि शिक्षक का दर्जी भगवान तुल्य होता है ये संदेश सभी शिक्षक व संघों

को भेजें। आओं सब एक हो जाओ।।

जय शिक्षक जय भारत।