जुनून: शिक्षामित्र से बने असिस्टेंट प्रोफेसर, फिर चढ़ा ऐसा जुनून कि बन गए DSP

 मऊ: क्या आपने कभी सुना है कि कोई व्यक्ति किसी विभाग से परेशान होकर उसी क्षेत्र में नौकरी करने का निर्णय ले? अगर नहीं, तो मिलिए डॉक्टर अजय विक्रम सिंह से, जो मुरादाबाद जनपद के सिहारी माला के निवासी हैं. उनका जन्म 25 जून 1980 को हुआ और वर्तमान में वे मऊ जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना में डीएसपी के पद पर तैनात हैं.




डीएसपी डॉक्टर अजय विक्रम सिंह बताते हैं कि वे पहले शिक्षा विभाग में ज्योग्राफी के असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुके हैं. उसी दौरान एक पुलिसकर्मी ने उन्हें परेशान किया, जिससे आहत होकर उन्होंने निर्णय लिया कि वे अब पुलिस अधिकारी बनकर रहेंगे. इसके बाद उन्होंने पीसीएस की तैयारी शुरू की और 2018 बैच में उनका चयन हुआ. 2020 से वे पुलिस विभाग में डीएसपी के पद पर तैनात हैं.




बचपन में मां का निधन

उनका पालन-पोषण उनकी दादी और बहनों ने किया, क्योंकि उनकी माता का निधन उनके बचपन में ही हो गया था. जब बहनों की शादी हुई, तो घर में खाना बनाने में कठिनाई होने लगी, जिससे उन्होंने कम उम्र में ही 1997 में शादी कर ली. उनकी पत्नी ने हमेशा उनका समर्थन किया, और उनके सहयोग से ही वे इस महत्वपूर्ण पद तक पहुंच सके.


शिक्षामित्र से कैसे बने DSP?

अजय ने 2000 में ग्रेजुएशन किया और 2002 में शिक्षामित्र के रूप में चयनित हुए. 2011 में उन्होंने पीएचडी की और 2012 में डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यभार ग्रहण किया. जब वे प्रोफेसर थे, तब भी पुलिसकर्मियों द्वारा परेशान किए जाने की घटना ने उन्हें प्रेरित किया कि वे गरीबों और दुखियों की मदद करने के लिए पुलिस विभाग में जाएं


दूसरों के लिए प्रेरणा

डॉक्टर अजय विक्रम सिंह का मानना है कि जब कोई निर्दोष व्यक्ति परेशान होता है, तो वह उसकी परेशानी को अपनी समझते हैं. वे हर निर्दोष को न्याय दिलाने के लिए तत्पर रहते हैं, जिससे उनकी कहानी दूसरों के लिए एक प्रेरणा बन गई है.