रामपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा परिषदीय शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के फैसले से जिले के शिक्षकों में नाराजगी जरूर है, लेकिन इसके बावजूद अधिकांश शिक्षक अब परीक्षा की तैयारी में सक्रिय हो गए हैं। कई शिक्षकों ने व्हाट्सऐप समूह बनाकर पुराने प्रश्नपत्र, नोट्स और अध्ययन सामग्री साझा करना शुरू कर दिया है। कुछ शिक्षक टीईटी–सीटेट की बेहतर तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों का सहारा भी ले रहे हैं।
1200 शिक्षक अब तक टीईटी पास नहीं, आदेश के बाद बढ़ी चिंता
जिले में लगभग 1200 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक टीईटी उत्तीर्ण नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने भी परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
शिक्षकों का कहना है कि अब यह परीक्षा केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि नौकरी सुरक्षित रखने के लिए अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है। कई शिक्षक असंतोष के बावजूद इसे एक नई चुनौती की तरह स्वीकार कर रहे हैं।
लंबे अनुभव वाले शिक्षक भी तनाव में
कई अनुभवी शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है:
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मीना शर्मा, प्रधानाध्यापिका (23 वर्ष का अनुभव)—
"इस उम्र में दोबारा परीक्षा की तैयारी करना बेहद कठिन लगता है।" -
शिव कुमार, इंचार्ज प्रधानाध्यापक (28 वर्ष का अनुभव)—
"इतने वर्षों की सेवा के बाद भी आज नौकरी असुरक्षित लगती है।" -
नीतू आनंद, प्रधानाचार्य (28 वर्ष का अनुभव)—
"परिवार और नौकरी दोनों संभालते हुए ऐसी परीक्षा की अनिवार्यता पूरे घर को तनाव में डाल रही है।" -
रामकिशोर, प्रधानाध्यापक (30 वर्ष का अनुभव)—
"इस उम्र में परीक्षा का नाम लेना भी तनाव बढ़ाने वाला है।"
अनुभवी शिक्षकों का मानना है कि लंबे समय की सेवाओं को देखते हुए इतनी कठोर परीक्षा अनिवार्यता उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना रही है।
सुबह विद्यालय, शाम को कोचिंग — दोगुना बोझ
कई शिक्षक सुबह विद्यालय में पढ़ाने के बाद दोपहर या शाम में टीईटी/सीटेट की कोचिंग ले रहे हैं।
कुछ शिक्षक 55 वर्ष से अधिक आयु के हैं, जो परीक्षा की तैयारियों को लेकर विशेष रूप से परेशान हैं।
उनका कहना है कि दैनिक स्कूल कार्यभार, परीक्षा की तैयारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ तालमेल बैठाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
शिक्षकों की मांग—सेवा अवधि और अनुभव के आधार पर मिले राहत
कई शिक्षकों ने सरकार और न्यायालय से अपील की है कि:
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लंबे वर्षों की सेवा
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शिक्षण अनुभव
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विद्यालय प्रदर्शन
को देखते हुए किसी प्रकार की राहत या छूट दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि अनुभवी शिक्षकों को अनावश्यक मानसिक दबाव से बचाने के लिए नीति में संशोधन आवश्यक है।
निष्कर्ष
टीईटी अनिवार्यता को लेकर शिक्षक असंतुष्ट जरूर हैं, लेकिन परीक्षा के प्रति उनकी तैयारी और गंभीरता भी बढ़ गई है।
सरकार की ओर से परीक्षा प्रक्रिया तेज होने के साथ ही जिले में तैयारी, असंतोष, दबाव और उम्मीद—चारों स्थितियों का मिश्रित माहौल देखने को मिल रहा है।