केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ आरएमएसए की योजनाओं पर हुई
बैठक के बाद कहा गया है कि राज्य सरकार अब 50 प्रतिशत खर्च करे। इसी आधार
पर योजनाओं के प्रस्ताव बनाने को कहा गया है। अभी तक कुछ योजनाओं पर केंद्र
75 प्रतिशत तो कुछ पर 65 प्रतिशत धनराशि खर्च करता था।
बायट योजना
सर्व शिक्षा अभियान के तहत पहले चरण में 21 ब्लॉक में बायट खोलने को केंद्र ने मंजूरी दे दी थी। नई सरकार बनने के बाद अब केंद्र ने बायट खोलने से इनकार कर दिया है। करीब चार करोड़ की लागत से एक बायट का निर्माण होना था। केंद्र के हाथ खींचने के बाद प्रदेश सरकार ने भी सभी डायट प्राचार्यों और बीएसए को निर्देश दे दिए हैं कि निर्माण कार्य रोक दिए जाएं। चूंकि केंद्र से नौ करोड़ और समाज कल्याण विभाग से ढाई करोड़ रुपये मिले थे। ऐसे में राज्य सरकार ने श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर और बस्ती में ही तीन बायट के निर्माण का काम जारी रखने का निर्णय लिया है।
मॉडल स्कूल
आरएमएसए के तहत केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर पिछड़े विकास खंडों में मॉडल स्कूल खोले जाने की योजना तैयार की गई थी। यूपी में 293 मॉडल स्कूलों को मंजूरी भी मिल गई थी। इनमें से आधे की बिल्डिंग भी बनकर तैयार हो गई। सीबीएसई से इनके संचालन की योजना तैयार कर ली गई थी। शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन भी जारी कर दिया गया। उसके बाद केंद्र ने इनके लिए धनराशि देने से इनकार कर दिया। कहा गया कि प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से इन्हें चलाएं। बिल्डिंग बन चुकी हैं, इसलिए प्रदेश सरकार अब इनके संचालन के विकल्प तलाश रही है। इसमें निजी सहयोग से स्कूलों के संचालन पर भी विचार किया जा रहा है।
प्रदेश की कई जनहित योजनाओं में केंद्र ने कटौती की है। हम तो फिर भी अपने संसाधनों से योजनाएं चलाने का प्रयास कर रहे हैं। जो राज्य सक्षम नहीं हैं, वहां तो योजनाएं पूरी तरह बंद हो जाएंगी।
-महबूब अली, माध्यमिक शिक्षा मंत्री
यूं घटा बजट
ये योजनाएं हुईं धड़ाम
15,855
13,000
39,385
51,828
रह गया उच्च शिक्षा का बजट
करोड़ था पिछले साल उच्च शिक्षा का बजट
रह गया इस साल का बजट
करोड़ था पिछले साल स्कूली शिक्षा का बजट
शिक्षा पर दिखने लगा केंद्र की कटौती का असर
अभियान तो पहले से ही लागू था। इसी तरह माध्यमिक और उच्च शिक्षा में राज्य के स्कूल कॉलेजों को संसाधन मुहैया कराने के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की शुरुआत की थी। केंद्र में नई सरकार बनते ही शिक्षा का बजट बढ़ने की बजाय पहले से भी कम कर दिया गया। खासतौर से देश में स्कूली शिक्षा के बजट में करीब 12 हजार करोड़ की कटौती की गई है जो करीब 25 फीसदी होती है। वहीं उच्च शिक्षा का बजट दो हजार करोड़ बढ़ाया गया है। इस तरह कुल बजट में करीब 10 हजार करोड़ की कटौती की गई है। अब उसका असर यह दिख रहा है कि पहले से चल रही योजनाएं बंद होती जा रही हैं।•दीप सिंह, लखनऊ
केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा बजट में कटौती का असर अब दिखने लगा है। शिक्षा की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं धड़ाम होने लगी हैं। केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर खुलने वाले मॉडल स्कूलों की बिल्डिंग बनने के बाद केंद्र ने पैसा देने से इनकार कर दिया। यूपी सरकार अब इन्हें चलाने के लिए संसाधन तलाश रही है तो जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों(डायट) की तर्ज पर ब्लॉक प्रशिक्षण संस्थान (बायट) की योजना ही बंद कर दी गई है। इसी तरह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की अन्य योजनाओं पर भी केंद्र ने अपने हिस्से के 75 प्रतिशत की बजाय 50 प्रतिशत धनराशि देने का प्रस्ताव तैयार
किया है। प्राइमरी स्कूलों में सर्व शिक्षा
बायट योजना
सर्व शिक्षा अभियान के तहत पहले चरण में 21 ब्लॉक में बायट खोलने को केंद्र ने मंजूरी दे दी थी। नई सरकार बनने के बाद अब केंद्र ने बायट खोलने से इनकार कर दिया है। करीब चार करोड़ की लागत से एक बायट का निर्माण होना था। केंद्र के हाथ खींचने के बाद प्रदेश सरकार ने भी सभी डायट प्राचार्यों और बीएसए को निर्देश दे दिए हैं कि निर्माण कार्य रोक दिए जाएं। चूंकि केंद्र से नौ करोड़ और समाज कल्याण विभाग से ढाई करोड़ रुपये मिले थे। ऐसे में राज्य सरकार ने श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर और बस्ती में ही तीन बायट के निर्माण का काम जारी रखने का निर्णय लिया है।
मॉडल स्कूल
आरएमएसए के तहत केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर पिछड़े विकास खंडों में मॉडल स्कूल खोले जाने की योजना तैयार की गई थी। यूपी में 293 मॉडल स्कूलों को मंजूरी भी मिल गई थी। इनमें से आधे की बिल्डिंग भी बनकर तैयार हो गई। सीबीएसई से इनके संचालन की योजना तैयार कर ली गई थी। शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन भी जारी कर दिया गया। उसके बाद केंद्र ने इनके लिए धनराशि देने से इनकार कर दिया। कहा गया कि प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से इन्हें चलाएं। बिल्डिंग बन चुकी हैं, इसलिए प्रदेश सरकार अब इनके संचालन के विकल्प तलाश रही है। इसमें निजी सहयोग से स्कूलों के संचालन पर भी विचार किया जा रहा है।
प्रदेश की कई जनहित योजनाओं में केंद्र ने कटौती की है। हम तो फिर भी अपने संसाधनों से योजनाएं चलाने का प्रयास कर रहे हैं। जो राज्य सक्षम नहीं हैं, वहां तो योजनाएं पूरी तरह बंद हो जाएंगी।
-महबूब अली, माध्यमिक शिक्षा मंत्री
यूं घटा बजट
ये योजनाएं हुईं धड़ाम
15,855
13,000
39,385
51,828
रह गया उच्च शिक्षा का बजट
करोड़ था पिछले साल उच्च शिक्षा का बजट
रह गया इस साल का बजट
करोड़ था पिछले साल स्कूली शिक्षा का बजट
शिक्षा पर दिखने लगा केंद्र की कटौती का असर
अभियान तो पहले से ही लागू था। इसी तरह माध्यमिक और उच्च शिक्षा में राज्य के स्कूल कॉलेजों को संसाधन मुहैया कराने के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की शुरुआत की थी। केंद्र में नई सरकार बनते ही शिक्षा का बजट बढ़ने की बजाय पहले से भी कम कर दिया गया। खासतौर से देश में स्कूली शिक्षा के बजट में करीब 12 हजार करोड़ की कटौती की गई है जो करीब 25 फीसदी होती है। वहीं उच्च शिक्षा का बजट दो हजार करोड़ बढ़ाया गया है। इस तरह कुल बजट में करीब 10 हजार करोड़ की कटौती की गई है। अब उसका असर यह दिख रहा है कि पहले से चल रही योजनाएं बंद होती जा रही हैं।•दीप सिंह, लखनऊ
केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा बजट में कटौती का असर अब दिखने लगा है। शिक्षा की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं धड़ाम होने लगी हैं। केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर खुलने वाले मॉडल स्कूलों की बिल्डिंग बनने के बाद केंद्र ने पैसा देने से इनकार कर दिया। यूपी सरकार अब इन्हें चलाने के लिए संसाधन तलाश रही है तो जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों(डायट) की तर्ज पर ब्लॉक प्रशिक्षण संस्थान (बायट) की योजना ही बंद कर दी गई है। इसी तरह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की अन्य योजनाओं पर भी केंद्र ने अपने हिस्से के 75 प्रतिशत की बजाय 50 प्रतिशत धनराशि देने का प्रस्ताव तैयार
किया है। प्राइमरी स्कूलों में सर्व शिक्षा
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