शिक्षकों का शोषण करा रहे खंड शिक्षाधिकारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

पद समाप्त, फिर भी एनपीआरसी बने हैं शिक्षक
जागरण संवाददाता, रामपुर बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय पंचायत समन्वयक का पद चार साल पहले समाप्त कर दिया था, लेकिन जनपद में शिक्षक अब भी एनपीआरसी बने हैं। जिले में 75 शिक्षक स्कूल न जाकर सुपरवाइजर का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं उनसे खाता भी संचालित कराया जा रहा है। बेसिक शिक्षा के सुधार को केंद्र सरकार सर्वशक्षा अभियान चला रही है। इसके तहत करीब दर्जन भर योजनाएं संचालित की जा रही हैं। केंद्र सरकार हर साल बेसिक शिक्षा को करोड़ों रूपये दे रही है, लेकिन उसके पास धन खर्च करने और योजनाओं का संचालन करने के लिए नेटवर्क नहीं है। इसलिए विभाग से ही शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर रख लिया गया था। इन्हें न्याय पंचायत समन्वयक बनाया गया था। ताकि एसएसए की योजनाओं की देखभाल कर सकें। समय पूरा होने पर विभाग ने एनपीआरसी का पद वर्ष 2011 में समाप्त कर दिया। एनपीआरसी बने शिक्षकों को स्कूलों में भेजने का आदेश दिया, लेकिन शिक्षक इस पद से आसानी से हटने को तैयार नहीं हैं। वह क्षेत्र में खंड शिक्षाधिकारी का प्रतिनिधि बनकर घूमते हैं। विभाग से पद समाप्त किए जाने के बाद बीईओ ने अपने स्तर से उन्हें एनपीआरसी नियुक्त कर रखा है, जो शिक्षकों का शोषण भी करते हैं। स्कूलों का निरीक्षण भी करते हैं। जूनियर होने के बाद भी सीनियर शिक्षकों पर रौब गांठते हैं। समय-समय पर इसका विरोध भी होता रहा है।
विभाग ने एनपीआरसी का पद समाप्त कर संकुल प्रभाी बनाए थे। न्याय पंचायत स्तर पर जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक को संकुल प्रभारी बनाया था। स्कूलों से सूचनाएं लेकर बीआरसी केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उसी को सौंपी गई थी। एनपीआरसी का खाता भी प्रधानाध्यापक और उसी स्कूल के वरिष्ठ सहायक अध्यापक के नाम से ज्वाइंट खुलवा कर संचालित किए जाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन बीईओ द्वारा नियुक्त एनपीआरसी ही खाता भी संचालित कर रहे हैं। सरकारी पैसा खर्च किए जाने का कोई भी खाता ¨सगल व्यक्ति के नाम नहीं होता है, लेकिन बीईओ ने अधिकतर एनपीआरसी के नाम ¨सगल खाता ही खुलवा रखा है। ताकि मर्जी के मुताबिक धन खर्च किया जा सके। न्याय पंचायत क्षेत्र में भमण के लिए हर साल 24 हजार रुपये भी विभाग से दिए जाते हैं, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में यह पैसा मार्च के आखिर में पहुंचा। तब तक कुछ एनपीआरसी का प्रमोशन हो चुका था और कुछ को बदला जा चुका है, जिनके स्थान पर शिक्षकों ने पैसा निकाल लिया। मिलक और सैदनगर क्षेत्र में ऐसी कई शिकायतें विभाग को मिली हैं। जून माह में विभाग ने एनपीआरसी को स्कूलों में भेजने के लिए सख्ती शुरू की थी। बीईओ से इसकी सूचना भी मांगी गई थी, लेकिन बाद में इस पर अमल नहीं किया जा सका। प्राथमिक शिक्षक संघ की मंशा है कि एनपीआरसी के पद पर विधिवत चयन हो। ताकि पात्र शिक्षक ही आ सकें। बीएसए श्याम किशोर तिवारी का कहना है कि जल्द ही समस्त एनपीआरसी का कार्य देख रहे शिक्षकों को स्कूलों में भेजा जाएगा। एनपीआरसी का कार्य संकुल प्रभारी देखेंगे।
शफी अहमद

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