एडेड स्कूलों में भर्तियां अब होंगी ऑनलाइन
लखनऊ। राज्य सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में भर्तियों में होने वाले ‘खेल’ को रोकने के लिए वेबसाइट बनवाने जा रही है। इसमें स्कूलों का पूरा इतिहास दर्ज होगा। मसलन स्कूल को अनुदान सूची पर कब लिया गया, इसमें छात्र संख्या कितनी है, शिक्षकों के कितने पद रिक्त हैं और कितनों पर भर्तियां हुई हैं।
यही नहीं भर्ती से पहले वेबसाइट पर रिक्त पदों का ब्यौरा भी अपलोड किया जाएगा ताकि स्कूल प्रबंधन भर्ती के नाम पर मनचाहे लोगों की तैनाती न कर सके। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी करने की तैयारी है।
राज्य सरकार समय-समय पर वित्तविहीन स्कूलों को अनुदान सूची पर लेती रहती है। इसमें संस्कृत, अल्पसंख्यक के साथ इंटरमीडिएट कॉलेज शामिल होते हैं।
अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों, प्रधानाचार्यों के साथ बाबुओं की भर्ती का अधिकार स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के पास है। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों के संबद्ध प्राइमरी में स्कूल प्रबंधन जिला विद्यालय निरीक्षक से अनुमति लेकर भर्तियां करता है और प्रवक्ता व प्रधानाचार्य के पद पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड भर्तियां करता है। इसी तरह संस्कृत इंटर कॉलेजों और महाविद्यालयों में मंडलीय समिति को शिक्षकों की भर्ती का अधिकार है।
स्कूल प्रबंधन रिक्त पदों में नहीं कर पाएगा हेरफेर
यह है नियम
स्कूल प्रबंध समिति को भर्ती से पहले जिला विद्यालय निरीक्षक से अनुमति लेते हुए दो प्रतिष्ठ अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराना होता है। इसके बाद साक्षात्कार के लिए डीआईओएस से अनुमति लेकर पैनल बनाया जाता है। इसमें शिक्षा विभाग का एक अधिकारी भी होता है। साक्षात्कार के बाद पात्रों की सूची डीआईओएस को भेजकर अनुमोदन लिया जाता है। इसके बाद स्कूल का प्रबंधक नियुक्ति पत्र जारी करता है।
इस तरह होता है खेल
स्कूल प्रबंधन डीआईओएस से मिलकर मनमाने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराकर गुपचुप तरीके से साक्षात्कार करा लेता है। फिर नियुक्ति पत्र जारी कर शिक्षकों की जॉइनिंग करा दी जाती है। यही नहीं पद रिक्त होने की सूचना भी उच्च स्तर पर नहीं दी जाती है। इसके अलावा छात्र संख्या के नाम पर भी खेल किया जाता है। इसमें सबसे खराब स्थिति अल्पसंख्यक व संस्कृत स्कूलों का है।
गड़बड़ी रोकना ही मुख्य मकसद
सहायता प्राप्त स्कूलों का ब्यौरा ऑनलाइन करने का मुख्य मकसद गड़बड़ी रोकना है। सरकार चाहती है कि सरकारी स्कूलों में नियुक्ति न पाने वाले सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति पा सके। इसलिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू की जा रही है ताकि नियुक्ति पारदर्शी तरीके से सके। वेबसाइट पर यह भी जिक्र होगा कि कौन सा शिक्षक कब नियुक्ति हुआ और कब रिटायर हो रहा है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
लखनऊ। राज्य सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में भर्तियों में होने वाले ‘खेल’ को रोकने के लिए वेबसाइट बनवाने जा रही है। इसमें स्कूलों का पूरा इतिहास दर्ज होगा। मसलन स्कूल को अनुदान सूची पर कब लिया गया, इसमें छात्र संख्या कितनी है, शिक्षकों के कितने पद रिक्त हैं और कितनों पर भर्तियां हुई हैं।
यही नहीं भर्ती से पहले वेबसाइट पर रिक्त पदों का ब्यौरा भी अपलोड किया जाएगा ताकि स्कूल प्रबंधन भर्ती के नाम पर मनचाहे लोगों की तैनाती न कर सके। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी करने की तैयारी है।
राज्य सरकार समय-समय पर वित्तविहीन स्कूलों को अनुदान सूची पर लेती रहती है। इसमें संस्कृत, अल्पसंख्यक के साथ इंटरमीडिएट कॉलेज शामिल होते हैं।
अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों, प्रधानाचार्यों के साथ बाबुओं की भर्ती का अधिकार स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के पास है। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों के संबद्ध प्राइमरी में स्कूल प्रबंधन जिला विद्यालय निरीक्षक से अनुमति लेकर भर्तियां करता है और प्रवक्ता व प्रधानाचार्य के पद पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड भर्तियां करता है। इसी तरह संस्कृत इंटर कॉलेजों और महाविद्यालयों में मंडलीय समिति को शिक्षकों की भर्ती का अधिकार है।
स्कूल प्रबंधन रिक्त पदों में नहीं कर पाएगा हेरफेर
यह है नियम
स्कूल प्रबंध समिति को भर्ती से पहले जिला विद्यालय निरीक्षक से अनुमति लेते हुए दो प्रतिष्ठ अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराना होता है। इसके बाद साक्षात्कार के लिए डीआईओएस से अनुमति लेकर पैनल बनाया जाता है। इसमें शिक्षा विभाग का एक अधिकारी भी होता है। साक्षात्कार के बाद पात्रों की सूची डीआईओएस को भेजकर अनुमोदन लिया जाता है। इसके बाद स्कूल का प्रबंधक नियुक्ति पत्र जारी करता है।
इस तरह होता है खेल
स्कूल प्रबंधन डीआईओएस से मिलकर मनमाने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराकर गुपचुप तरीके से साक्षात्कार करा लेता है। फिर नियुक्ति पत्र जारी कर शिक्षकों की जॉइनिंग करा दी जाती है। यही नहीं पद रिक्त होने की सूचना भी उच्च स्तर पर नहीं दी जाती है। इसके अलावा छात्र संख्या के नाम पर भी खेल किया जाता है। इसमें सबसे खराब स्थिति अल्पसंख्यक व संस्कृत स्कूलों का है।
गड़बड़ी रोकना ही मुख्य मकसद
सहायता प्राप्त स्कूलों का ब्यौरा ऑनलाइन करने का मुख्य मकसद गड़बड़ी रोकना है। सरकार चाहती है कि सरकारी स्कूलों में नियुक्ति न पाने वाले सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति पा सके। इसलिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू की जा रही है ताकि नियुक्ति पारदर्शी तरीके से सके। वेबसाइट पर यह भी जिक्र होगा कि कौन सा शिक्षक कब नियुक्ति हुआ और कब रिटायर हो रहा है।
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