नई दिल्ली : टीचर भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में टीचरों के
खाली पदों पर चिंता जाहिर की है। साथ ही कहा है कि वह अगली सुनवाई में अब
इस मसले पर सुनवाई करेगी कि असिस्टेंट टीचरों की नियुक्ति के लिए टीईटी ही
मुख्य क्राइटेरिया होगा या फिर टीईटी के साथ अन्य एकेडेमिक क्राइटेरिया भी
होना चाहिए।
साथ ही क्या एनसीटीई के डाइडलाइंस मानने के लिए तमाम राज्य बाध्य हैं। यूपी में टीचरों के पद खाली होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते यूपी सरकार से पूछा है कि आखिरकार टीचरों के कितने पद खाली हैं।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि यूपी में कुल मिलाकर 3.3 लाख टीचरों की जरूरत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 7 दिसंबर तक कोर्ट को बताएं कि आखिरकार यूपी में कितने टीचरों की जरूरत है। साथ ही उस दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ यूपी सरकार की अपील पर विस्तार से सुनवाई होगी। यूपी सरकार ने कानून में बदलाव कर टीचरों की भर्ती के लिए टीईटी के साथ-साथ अकैडेमिक क्वॉलिफिकेशन का क्राइटेरिया तय कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दिया था जिसके बाद यूपी सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रखी है।
मामले की सुनवाई के दौरान यूपी के असिस्टेंट टीचर की भर्ती का मामला उठा और यूपी सरकार के अडिशनल एडवोकेट जनरल गौरव भाटिया ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अभी तक 43077 टीचरों की ट्रेनिंग के बाद नियुक्ति कर दी गई है। साथ ही 15 हजार अन्य की ट्रेनिंग हो रही है जिसके बाद उनकी भी भर्ती होगी। यूपी सरकार को 72,825 असिस्टेंट टीचरों की भर्ती करनी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें टीचरों की नियुक्ति के लिए बनाए गए क्राइटेरिया में बदलाव की गुहार लगाई गई थी। इसी बीच कुछ शिक्षा मित्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह सवाल उठाया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मामला हाई कोर्ट के सामने गया और हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद करीब 1.5 लाख शिक्षा मित्र सड़क पर आ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जब सुप्रीम कोर्ट के सामने एसएलपी दायर की जाएगी तब वह अलग से सुनेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर एक जांच कमिटी बनाने का आदेश दिया है जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि असिस्टेंट टीचर की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो क्राइटेरिया तय कर रखा है उस पर वह फिट बैठता है बावजूद इसके उसकी नियुक्ति नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह याचिकाकर्ता के दावे की जांच के लिए कमिटी का गठन करे और साथ ही कमिटी से कहा है कि वह तीन हफ्ते में उसकी जांच करे। साथ ही कोर्ट ने कमिटी से कहा है कि वह जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर डाले। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जिन जनरल कैटगरी के आवेदकों का टीईटी (टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट) में कम से कम 70 फीसदी मार्क्स आए हैं उनकी नियुक्ति की जाए। साथ ही निर्देश दिया गया था कि 65 फीसदी मार्क्स पाने वाले एससी, एसटी व ओबीसी आदि कैटगरी के आवेदकों की नियुक्ति की जाए। अदालत ने साफ किया था कि ये आदेश अंतरिम हैं और इस मामले की सुनवाई के बाद आखिरी फैसला मायने रखेगी।
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साथ ही क्या एनसीटीई के डाइडलाइंस मानने के लिए तमाम राज्य बाध्य हैं। यूपी में टीचरों के पद खाली होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते यूपी सरकार से पूछा है कि आखिरकार टीचरों के कितने पद खाली हैं।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि यूपी में कुल मिलाकर 3.3 लाख टीचरों की जरूरत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 7 दिसंबर तक कोर्ट को बताएं कि आखिरकार यूपी में कितने टीचरों की जरूरत है। साथ ही उस दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ यूपी सरकार की अपील पर विस्तार से सुनवाई होगी। यूपी सरकार ने कानून में बदलाव कर टीचरों की भर्ती के लिए टीईटी के साथ-साथ अकैडेमिक क्वॉलिफिकेशन का क्राइटेरिया तय कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दिया था जिसके बाद यूपी सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रखी है।
मामले की सुनवाई के दौरान यूपी के असिस्टेंट टीचर की भर्ती का मामला उठा और यूपी सरकार के अडिशनल एडवोकेट जनरल गौरव भाटिया ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अभी तक 43077 टीचरों की ट्रेनिंग के बाद नियुक्ति कर दी गई है। साथ ही 15 हजार अन्य की ट्रेनिंग हो रही है जिसके बाद उनकी भी भर्ती होगी। यूपी सरकार को 72,825 असिस्टेंट टीचरों की भर्ती करनी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें टीचरों की नियुक्ति के लिए बनाए गए क्राइटेरिया में बदलाव की गुहार लगाई गई थी। इसी बीच कुछ शिक्षा मित्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह सवाल उठाया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मामला हाई कोर्ट के सामने गया और हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद करीब 1.5 लाख शिक्षा मित्र सड़क पर आ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जब सुप्रीम कोर्ट के सामने एसएलपी दायर की जाएगी तब वह अलग से सुनेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर एक जांच कमिटी बनाने का आदेश दिया है जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि असिस्टेंट टीचर की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो क्राइटेरिया तय कर रखा है उस पर वह फिट बैठता है बावजूद इसके उसकी नियुक्ति नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह याचिकाकर्ता के दावे की जांच के लिए कमिटी का गठन करे और साथ ही कमिटी से कहा है कि वह तीन हफ्ते में उसकी जांच करे। साथ ही कोर्ट ने कमिटी से कहा है कि वह जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर डाले। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जिन जनरल कैटगरी के आवेदकों का टीईटी (टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट) में कम से कम 70 फीसदी मार्क्स आए हैं उनकी नियुक्ति की जाए। साथ ही निर्देश दिया गया था कि 65 फीसदी मार्क्स पाने वाले एससी, एसटी व ओबीसी आदि कैटगरी के आवेदकों की नियुक्ति की जाए। अदालत ने साफ किया था कि ये आदेश अंतरिम हैं और इस मामले की सुनवाई के बाद आखिरी फैसला मायने रखेगी।
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