प्रमुख संवाददाता, राज्य मुख्यालय शिक्षामित्रों के मामले में गुरुवार को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में
विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल करेगी। बेसिक शिक्षा विभाग की प्रमुख
सचिव डिम्पल वर्मा एसएलपी दायर करने के लिए दिल्ली पहुंच चुकी हैं। वर्मा ने बताया कि गुरुवार को याचिका दायर की जाएगी। एसएलपी तैयार करने में
सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
12 सितम्बर को आए फैसले के बाद से ही सरकार इसकी तैयारी कर रही थी। आला अधिकारी व मंत्री कई-कई दिन दिल्ली में डेरा डाले रहे। कई चक्रों में सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकीलों से इस बारे में सलाह ली गई है। न्याय विभाग की सलाह भी ली गई। अब सरकार पूरी तैयारी के साथ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रही है।
12 सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। इसमें से 1.30 लाख शिक्षामित्र समायोजित हो चुके हैं और बाकी को समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही थी। यूपी सरकार ने इस मसले को केन्द्र सरकार के साथ मिलकर सुलझाने की कोशिश भी की लेकिन केन्द्र ने भी राज्य के पाले में गेंद डाल दी है।
राज्य का तर्क है कि यूपी में शिक्षकों की कमी के चलते ही शिक्षामित्रों को रखा गया था।
वहीं शिक्षा का अधिकार कानून के आने के बाद इन्हें राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई)से अनुमति लेकर प्रशिक्षित भी किया गया। एनसीटीई ने पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को अध्यापक पात्रता परीक्षा से मुक्त रखा है लेकिन शिक्षामित्रों का समायोजन इसी आधार पर हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
12 सितम्बर को आए फैसले के बाद से ही सरकार इसकी तैयारी कर रही थी। आला अधिकारी व मंत्री कई-कई दिन दिल्ली में डेरा डाले रहे। कई चक्रों में सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकीलों से इस बारे में सलाह ली गई है। न्याय विभाग की सलाह भी ली गई। अब सरकार पूरी तैयारी के साथ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रही है।
12 सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। इसमें से 1.30 लाख शिक्षामित्र समायोजित हो चुके हैं और बाकी को समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही थी। यूपी सरकार ने इस मसले को केन्द्र सरकार के साथ मिलकर सुलझाने की कोशिश भी की लेकिन केन्द्र ने भी राज्य के पाले में गेंद डाल दी है।
राज्य का तर्क है कि यूपी में शिक्षकों की कमी के चलते ही शिक्षामित्रों को रखा गया था।
वहीं शिक्षा का अधिकार कानून के आने के बाद इन्हें राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई)से अनुमति लेकर प्रशिक्षित भी किया गया। एनसीटीई ने पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को अध्यापक पात्रता परीक्षा से मुक्त रखा है लेकिन शिक्षामित्रों का समायोजन इसी आधार पर हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
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