पार्टी का सिपाही हूं, जो जिम्मेदारी मिलेगी उसे निभाऊंगा : कठेरिया
लखनऊ। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री और प्रदेश में भाजपा के दलित चेहरे के तौर पर पेश किए जा रहे डॉ. रामशंकर कठेरिया कहते हैं कि उन्हें विवादों में फंसाने के लिए मायावती ने फर्जी शिकायत का खेल कराया था।
बसपा शासन में उनके खिलाफ 28 मुकदमे दर्ज कराए गए। कठेरिया प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल होने पर इतना ही कहते हैं कि पार्टी के सिपाही हैं, जो जिम्मेदारी मिलेगी, निभाएंगे। वे मानते हैं कि बिहार की तरह यूपी में जातीय गठबंधन संभव नहीं है। कठेरिया रविवार को राजधानी में थे। पेश है उनसे बातचीत के अंश :भाजपा के प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आपका नाम चल रहा है। कितना गंभीर है आपका दावा?
हम लोग पार्टी के सिपाही हैं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव से पहले राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार में जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी जो जिम्मेदारी देती है, उसे निभाते हैं। सवाल प्रदेश अध्यक्ष पद का नहीं, यूपी को सपा सरकार से मुक्ति दिलाने का है। मायावती के हाथों दलितों वोटों को बिकने से रोकने का है।
आप लगातार विवादों में रहे हैं, कभी फर्जी डिग्री तो कभी विश्वविद्यालय से वेतन लेने के आरोप लगे?
मैं कभी विवादों में नहीं रहा। ये विवाद बनाए गए। डिग्री का विवाद मायावती का खेल था। उन्होंने फर्जी फोटोकॉपी के आधार पर मेरे खिलाफ डिग्री की झूठी शिकायत कराई। मेरे खिलाफ 28 मुकदमे लिखवाए गए। कोई आरोप साबित नहीं हुआ। अदालत ने मुझे सही ठहराया है। मंत्री बनने के बाद मैंने यूनिवर्सिटी को वेतन न लेने के लिए चिट्ठी लिखी थी। इसके बावजूद खाते में वेतन आ गया, जिसे मैंने लौटा दिया।
बिहार के चुनाव नतीजों से भाजपा यूपी में कैसे उबरेगी?
बिहार के चुनावी नतीजों से यूपी में चिंतन स्वाभाविक है लेकिन जिस तरह का जातीय गठजोड़ बिहार में बना, वह यूपी में संभव नहीं है। भाजपा दलितों, पिछड़ों सभी की चिंता करती है। दलितों में यह भ्रम बना हुआ है कि मायावती उनकी हितैषी है। दलितों के बीच जाकर हमें यह भ्रम तोड़ना है। मायावती दलितों में भी सलेक्टिव हैं। बताइए, उन्होंने कितने वाल्मीकि प्रत्याशी बनाए? कांशीराम और डॉ. अंबेडकर के विचारों की हत्या सबसे ज्यादा मायावती ने की है।
भाजपा दलितों को कितने अवसर दे रही?
भाजपा के सर्वाधिक दलित सांसद हैं, 10-12 मंत्री दलित हैं। मोदी सरकार की सभी योजनाएं दलितों, गरीबों को ध्यान में रखकर बन रही हैं।
प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर दलित कार्मिक आंदोलन कर रहे हैं?
देखिए, प्रमोशन में आरक्षण का लाभ केंद्र की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने दिया था। उस वक्त मायावती एक शब्द नहीं बोली थीं। अब वह गरीब सवर्णों के आरक्षण का मुद्दा उठा रही हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृृति ईरानी यूपी से चुनाव लड़ी थीं, आप भी विभाग के राज्यमंत्री हैं। यूपी को लेकर आपके मंत्रालय का कोई खास काम?
यूपी को लेकर हमने बड़ा काम किया है। यहां के बड़े इंस्टीट्यूट आईआईटी कानपुर, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अनुसंधान का केंद्र बनाने जा रहे हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में 900 करोड़ रुपये की लागत से शिक्षक-शिक्षण मिशन शुरू किया गया है।
500 सबसे बेहतरीन प्रोफेसरों को टॉप यूनिवर्सिटी में एक-एक सेमेस्टर में पढ़ाने के लिए बुलाया जाएगा। हमारी कोशिश है कि दुनिया के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में यूपी का कोई विश्वविद्यालय शामिल हो। बड़े संस्थानों में आवश्यकता के अनुरूप पढ़ाई की जाएगी। भविष्य की जरूरत के लिहाज से जल, पर्यावरण, रक्षा समेत दस मुद्दे चुने गए हैं।
यूपी में संभव नहीं बिहार जैसा जातीय गठबंधन
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
लखनऊ। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री और प्रदेश में भाजपा के दलित चेहरे के तौर पर पेश किए जा रहे डॉ. रामशंकर कठेरिया कहते हैं कि उन्हें विवादों में फंसाने के लिए मायावती ने फर्जी शिकायत का खेल कराया था।
बसपा शासन में उनके खिलाफ 28 मुकदमे दर्ज कराए गए। कठेरिया प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल होने पर इतना ही कहते हैं कि पार्टी के सिपाही हैं, जो जिम्मेदारी मिलेगी, निभाएंगे। वे मानते हैं कि बिहार की तरह यूपी में जातीय गठबंधन संभव नहीं है। कठेरिया रविवार को राजधानी में थे। पेश है उनसे बातचीत के अंश :भाजपा के प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आपका नाम चल रहा है। कितना गंभीर है आपका दावा?
हम लोग पार्टी के सिपाही हैं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव से पहले राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार में जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी जो जिम्मेदारी देती है, उसे निभाते हैं। सवाल प्रदेश अध्यक्ष पद का नहीं, यूपी को सपा सरकार से मुक्ति दिलाने का है। मायावती के हाथों दलितों वोटों को बिकने से रोकने का है।
आप लगातार विवादों में रहे हैं, कभी फर्जी डिग्री तो कभी विश्वविद्यालय से वेतन लेने के आरोप लगे?
मैं कभी विवादों में नहीं रहा। ये विवाद बनाए गए। डिग्री का विवाद मायावती का खेल था। उन्होंने फर्जी फोटोकॉपी के आधार पर मेरे खिलाफ डिग्री की झूठी शिकायत कराई। मेरे खिलाफ 28 मुकदमे लिखवाए गए। कोई आरोप साबित नहीं हुआ। अदालत ने मुझे सही ठहराया है। मंत्री बनने के बाद मैंने यूनिवर्सिटी को वेतन न लेने के लिए चिट्ठी लिखी थी। इसके बावजूद खाते में वेतन आ गया, जिसे मैंने लौटा दिया।
बिहार के चुनाव नतीजों से भाजपा यूपी में कैसे उबरेगी?
बिहार के चुनावी नतीजों से यूपी में चिंतन स्वाभाविक है लेकिन जिस तरह का जातीय गठजोड़ बिहार में बना, वह यूपी में संभव नहीं है। भाजपा दलितों, पिछड़ों सभी की चिंता करती है। दलितों में यह भ्रम बना हुआ है कि मायावती उनकी हितैषी है। दलितों के बीच जाकर हमें यह भ्रम तोड़ना है। मायावती दलितों में भी सलेक्टिव हैं। बताइए, उन्होंने कितने वाल्मीकि प्रत्याशी बनाए? कांशीराम और डॉ. अंबेडकर के विचारों की हत्या सबसे ज्यादा मायावती ने की है।
भाजपा दलितों को कितने अवसर दे रही?
भाजपा के सर्वाधिक दलित सांसद हैं, 10-12 मंत्री दलित हैं। मोदी सरकार की सभी योजनाएं दलितों, गरीबों को ध्यान में रखकर बन रही हैं।
प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर दलित कार्मिक आंदोलन कर रहे हैं?
देखिए, प्रमोशन में आरक्षण का लाभ केंद्र की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने दिया था। उस वक्त मायावती एक शब्द नहीं बोली थीं। अब वह गरीब सवर्णों के आरक्षण का मुद्दा उठा रही हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृृति ईरानी यूपी से चुनाव लड़ी थीं, आप भी विभाग के राज्यमंत्री हैं। यूपी को लेकर आपके मंत्रालय का कोई खास काम?
यूपी को लेकर हमने बड़ा काम किया है। यहां के बड़े इंस्टीट्यूट आईआईटी कानपुर, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अनुसंधान का केंद्र बनाने जा रहे हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में 900 करोड़ रुपये की लागत से शिक्षक-शिक्षण मिशन शुरू किया गया है।
500 सबसे बेहतरीन प्रोफेसरों को टॉप यूनिवर्सिटी में एक-एक सेमेस्टर में पढ़ाने के लिए बुलाया जाएगा। हमारी कोशिश है कि दुनिया के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में यूपी का कोई विश्वविद्यालय शामिल हो। बड़े संस्थानों में आवश्यकता के अनुरूप पढ़ाई की जाएगी। भविष्य की जरूरत के लिहाज से जल, पर्यावरण, रक्षा समेत दस मुद्दे चुने गए हैं।
यूपी में संभव नहीं बिहार जैसा जातीय गठबंधन
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