पिछली 2 नवम्बर की सुनवाई में जज दीपक मिश्रा जयंत मेहता के अर्ग्यूमेनट से
सहमत थे, लेकिन बीच में ही कथित फर्जीवाड़ा पर एओआर शारदा देवी के बोलने पर
जज 90-105 और पद बढ़ने वाले मुददे से भटक
गये। अब सोमवार को फिर वही कहानी दोहरायी जा सकती है।
उल्टे सीधे छोटे मोटे मुददे उठाकर जज का ध्यान भटकाया जाएगा। जयंत मेहता हर बार अच्छी बहस करते हैं। जबकि परमादेश टीम तो पहले से ही 90-105 की विरोधी है। अब इनसे सावधान रहना चाहिए।
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उल्टे सीधे छोटे मोटे मुददे उठाकर जज का ध्यान भटकाया जाएगा। जयंत मेहता हर बार अच्छी बहस करते हैं। जबकि परमादेश टीम तो पहले से ही 90-105 की विरोधी है। अब इनसे सावधान रहना चाहिए।
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