इलाहाबाद। देश में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी चिंताजनक है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो यहां के संस्थान काफी पीछे हैं ही, स्थानीय जांच
एजेंसी की कसौटी पर भी ज्यादातर कालेज खरे नहीं उतरते। स्थिति यह है कि
मात्र नौ फीसदी कालेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक)
की ‘ए’ ग्रेडिंग प्राप्त है।
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यह आंकड़ा नैक ग्रेडिंग प्राप्त करने वाले संस्थानों का है। 40 फीसदी से अधिक कालेजों में तो नैक टीम का निरीक्षण ही नहीं हुआ है, जहां की स्थिति और खराब है। विश्वविद्यालयों की स्थिति भी बहुत जुदा नहीं हैं। मात्र 32 फीसदी को ‘ए’ ग्रेड मिला है. यानी, 68 फीसदी विश्वविद्यालय औसत दर्जे के हैं।
शिक्षा की वर्तमान स्थिति से चिंतित सरकार ने इसमें सुधार के
लिए कई कदम उठाए हैं। इसी क्रम में नई शिक्षा नीति की भी कवायद शुरू की गई
है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्य विश्वविद्यालयों और
कालेजों की नैक ग्रेडिंग से संबंधित रिपोर्ट जारी की गई है। यूजीसी से
मान्य प्राप्त 164 विश्वविद्यालयों में मात्र 140 ने नैक के लिए संपर्क
किया। इनमें से 32 फीसदी को ‘ए’ या इससे अच्छी ग्रेडिंग मिली है। कुल 4870
कालेजों में से 2780 ने नैक की ग्रेडिंग के लिए आवेदन किया। यानी, अनिवार्य
होने के बावजूद 2090 कालेजों ने नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन नहीं किया।
इसकी मुख्य वजह उनमें नैक के मानक के अनुसार सुविधाओं का न होना है। इसके
अलावा जिन्होंने नैक कराया उनमें भी मात्र नौ फीसदी कालेजों को ‘ए’ या इससे
ऊपर की ग्रेडिंग मिली। अन्य को ‘बी’ या ‘सी’ ग्रेडिंग प्राप्त है।
नैक ग्रेडिंग पर मिलेगा बजट
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी शिक्षण संस्थानों के लिए
नैक ग्रेडिंग अनिवार्य कर दी है। सरकार विश्वविद्यालयों और कालेजों को
अलग-अलग मद में मिलने वाले बजट को भी इससे संबद्ध करने जा रही है यानी,
जितनी अच्छी ग्रेडिंग, बजट को लेकर दावेदारी भी उतनी ही मजबूत होगी।
संस्थानों के विकास और प्लान के तहत मिलने वाले बजट पर इसका अधिक असर होगा।
संस्थान यदि नए केंद्र की मांग करते हैं तो उसमें भी ग्रेडिंग का महत्व
होगा। मंत्रालय ने अब शिक्षण संस्थानों के रैंकिंग की प्रक्रिया भी शुरू की
है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के अंतर्गत मंत्रालय ने
संस्थानों से आवेदन भी मांगा है।
नई शिक्षा नीति पर पहुंचे 29,109 सुझाव
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से नई शिक्षा नीति पर मंथन
किया जा रहा है। इसके लिए बिंदुवार विशेषज्ञों की टीम गठित करने के साथ आम
लोगों से भी सुझाव मांगे गए हैं और बीते 31 अक्तूबर तक ही मंत्रालय को
29,109 लोगों के सुझाव पहुंच चुके हैं।
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