वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में इन दिनों
अंकपत्रों के सत्यापन का दबाव बढ़ गया। सूबे के विभिन्न जनपदों से करीब तीस
हजार शिक्षामित्रों के अंकपत्र सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय आए हुए हैं।
इसे देखते हुए परीक्षा गोपनीय विभाग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी गई
है
ताकि अंकपत्रों का सत्यापन जल्द पूरा किया जा सके। वहीं दूसरी ओर सैकड़ों शिक्षामित्रों के अंकपत्र संदिग्ध मिले हैं। फिलहाल ऐसे अंकपत्रों का सत्यापन रोक दिया गया है।
सहायक कुलसचिव हरविंद्र प्रसाद पांडेय ने बताया कि अंकपत्रों
के सत्यापन के लिए 16 कर्मचारियों की टीम गठित की गई है। एक दिन में करीब
150-200 अंकपत्रों का सत्यापन किया जा रहा है।
संगणक केंद्र से हो रहा मिलान
परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी को देखते हुए सत्यापन में
विशेष सतर्कता बरती जा रही है। ऐसे में पहले संगणक केंद्र से अंकपत्रों का
मिलान किया जा रहा है। इसके बाद टेबुलेशन रजिस्टर से भी जांच की जा रही है।
कंप्यूटर व मैनुअल दोनों रिकार्ड में परीक्षार्थियों का विवरण मिलने पर ही
सत्यापन रिपोर्ट भेजी जा रही है। हालांकि ज्यादातर शिक्षामित्रों के
अंकपत्र वैध मिल रहे हैं।
अब रिपोर्ट पंजीकृत डाक से
सत्यापन रिपोर्ट में हेराफेरी रोकने के लिए अब विश्वविद्यालय
सीधे पंजीकृत डाक से संबंधित विभाग को प्रेषित कर रहा है। हाथों हाथ
रिपोर्ट देने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
सत्यापन में लग चुका है दाग
विशिष्ट बीटीसी के तहत शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान व्यापक
पैमाने पर संस्कृत विश्वविद्यालय के अंकपत्र फर्जी मिले थे। इतना ही नहीं
विश्वविद्यालय की ओर से भेजी गई सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर
हेराफेरी का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले में विश्वविद्यालय के कई
कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है। इसकी जांच अब एसआइटी कर रहा है।
इसे देखते हुए अब कर्मचारी पूरी तरह जांच पड़ताल करने के बाद ही रिपोर्ट
प्रेषित कर रहे हैं।
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