प्रभात उपाध्याय, नोएडा । सरकार ने गैर सरकारी कर्मचारियों के प्रोवीडेंट फंड (पीएफ) निकालने के संबंध में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब कर्मचारी नौकरी छोड़ने पर नियोक्ता का अंशदान और पेंशन में जमा अंशदान नहीं निकाल पाएंगे। उन्हें सिर्फ अपना अंशदान ही निकालने की अनुमति होगी।
नियोक्ता का अंशदान 58 साल की उम्र होने पर ही निकाला जा सकेगा जबकि पेंशन के अंशदान से उसे पेंशन ही मिलेगी।
इस तरह अब कर्मचारी पीएफ का सारा पैसा एक साथ नहीं निकाला जा सकेगा।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने नियमों में बदलाव कर दिया है और इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।
अभी तक नौकरी छोड़ने पर कर्मचारी दूसरी नौकरी न मिलने की स्थिति में दो माह बाद पूरा पीएफ और पेंशन का योगदान निकाल लेते थे। लेकिन नए नियमों के तहत कोई भी सदस्य नौकरी छोड़ने के दो महीने के वेटिंग पीरियड के बाद पीएफ का अपना अंशदान ही निकाल सकेंगे।
नए नियम के अनुसार कर्मचारियों को पीएफ में जमा नियोक्ता के अंशदान पर पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा। पेंशन के अंशदान से उन्हें पेंशन मिलेगी। यह पैसा वे एकमुश्त नहीं निकाल पाएंगे। नियम के अनुसार पीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का 12-12 फीसद योगदान होता है। नियोक्ता के योगदान में से एक हिस्सा पेंशन में चला जाता है।
इस बारे में नोएडा के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त मनोज कुमार यादव ने दैनिक जागरण को बताया कि पहले सदस्य नौकरी छोड़ने पर पीएफ का सारा पैसा एक साथ निकाल सकते थे। पर अब नियमों में बदलाव कर दिया गया है। अब वे सिर्फ अपने हिस्से का ही पैसा निकाल सकेंगे। कंपनी का अंशदान 58 साल की आयु के बाद ही मिलेगा।
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नियोक्ता का अंशदान 58 साल की उम्र होने पर ही निकाला जा सकेगा जबकि पेंशन के अंशदान से उसे पेंशन ही मिलेगी।
इस तरह अब कर्मचारी पीएफ का सारा पैसा एक साथ नहीं निकाला जा सकेगा।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने नियमों में बदलाव कर दिया है और इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।
अभी तक नौकरी छोड़ने पर कर्मचारी दूसरी नौकरी न मिलने की स्थिति में दो माह बाद पूरा पीएफ और पेंशन का योगदान निकाल लेते थे। लेकिन नए नियमों के तहत कोई भी सदस्य नौकरी छोड़ने के दो महीने के वेटिंग पीरियड के बाद पीएफ का अपना अंशदान ही निकाल सकेंगे।
नए नियम के अनुसार कर्मचारियों को पीएफ में जमा नियोक्ता के अंशदान पर पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा। पेंशन के अंशदान से उन्हें पेंशन मिलेगी। यह पैसा वे एकमुश्त नहीं निकाल पाएंगे। नियम के अनुसार पीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का 12-12 फीसद योगदान होता है। नियोक्ता के योगदान में से एक हिस्सा पेंशन में चला जाता है।
इस बारे में नोएडा के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त मनोज कुमार यादव ने दैनिक जागरण को बताया कि पहले सदस्य नौकरी छोड़ने पर पीएफ का सारा पैसा एक साथ निकाल सकते थे। पर अब नियमों में बदलाव कर दिया गया है। अब वे सिर्फ अपने हिस्से का ही पैसा निकाल सकेंगे। कंपनी का अंशदान 58 साल की आयु के बाद ही मिलेगा।
यूएएन नंबर से ट्रांसफर होगा अंशदान
सदस्य अपने हिस्से का पैसा निकालने के बाद यदि किसी दूसरी कंपनी में ज्वाइन करता है तो वह बचे हुए पैसे यानी पिछली कंपनी के खाते का नियोक्ता का अंशदान नए अकाउंट में ट्रांसफर करवा सकेंगे। यूएएन की मदद से इसे ट्रांसफर किया जा सकता है।बचत को बढ़ावा देने के लिए पहल
अभी 50 वर्ष से कम उम्र के करीब 70-80 फीसद सदस्य नौकरी छोड़ने के बाद एक साथ पीएफ का सारा पैसा निकाल लेते हैं। ऐसे में उनके पास वृद्धावस्था के लिए कोई बचत नहीं रहती है। सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला लिया है।Sponsored links :
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