2011 टीईटी में हेराफेरी के मामले ने फिर पकड़ा तूल, बदले गए जाँच अधिकारी

दुनिया के सबसे अधिक परीक्षार्थी वाले शैक्षिक संस्थान की साख रह-रहकर तार-तार हो रही है। यहां आम तौर पर अंकपत्रों-प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी की शिकायतें रहती थी, लेकिन अब परीक्षार्थियों की पूरी कुंडली ही बदली जा रही है। यह जालसाजी भी विभागीय कर्मचारी ही कर रहे हैं।
पिछले पांच वर्षो में अभिलेखों में हेराफेरी के तीन अहम प्रकरण सामने आ चुके हैं। उन मामलों में प्रभावी कार्रवाई की जगह लीपापोती हो रही है। इसीलिए घटनाएं थमने की बजाय बढ़ रही हैं।
2011 टीईटी में हेराफेरी : माध्यमिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश की पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी 2011 में कराई थी। इस परीक्षा में युवाओं को उत्तीर्ण कराने के लिए लाखों रुपये लेकर रिजल्ट प्रभावित किया गया। इस प्रकरण में शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी को जेल तक जाना पड़ा और कानपुर देहात पुलिस अब भी इसकी जांच कर रही है। इस परीक्षा में व्हाइटनर का खूब प्रयोग हुआ और जो अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे ही नहीं, वह भी उत्तीर्ण हुए।
कंप्यूटर टीआर में फेरबदल : टीईटी 2011 परीक्षा में फेल 400 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने के लिए कंप्यूटर एजेंसी के टेबुलेशन रिकॉर्ड (टीआर) में बदलाव किया गया। 2014 में हुई इस हेराफेरी की जांच अब तक ठीक से शुरू नहीं हो सकी है। प्रथमदृष्टया दोषी मिले दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया, जिन्हें बहाल किया जा चुका है और जांच अधिकारी भी बदल गया है। इस प्रकरण में किन लोगों की शह पर हेराफेरी हुई और किसे इसका लाभ मिला उस पर पर्दा है।
एलटी ग्रेड शिक्षक बनने में धांधली : हाल में ही क्षेत्रीय कार्यालय के कर्मियों ने इलाहाबाद के कुछ विद्यालयों के टेबुलेशन रिकॉर्ड में हेराफेरी करके बाहरी युवाओं को उम्दा अंकों से उत्तीर्ण कर दिया है। उनमें से अधिकांश को एलटी ग्रेड शिक्षक के रूप में नौकरी मिली है। हालांकि प्रकरण खुलते ही वह फरार हो गए हैं। अब प्रकरण की जांच कराने की तैयारी है।
हेराफेरी की जांच पर भी उठे सवाल : यूपी बोर्ड मुख्यालय से लेकर क्षेत्रीय कार्यालय तक में हुए घोटालों की जांच को लेकर भी अफसरों की मंशा संदेह के घेरे में है। 2011 के घोटाले की पुलिस जांच चल रही है।
वहीं, कंप्यूटर टीआर में फेरबदल की जांच उस अधिकारी को दी गई जिसके निर्देश पर दो मातहत कर्मचारी निलंबित हुए। जांच अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में ही कंप्यूटर सेक्शन भी आता था, ऐसे में जांच का परिणाम न आने की पहले ही सुगबुगाहट थी आखिरकार वही हुआ भी। अब ताजा घोटाले में भी जिन क्षेत्रीय अपर सचिव ने पूरी धांधली उजागर की है, उन्हीं को जांच दी जा रही है।
बदले गए जांच अधिकारी
राब्यू, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय इलाहाबाद में गोपनीय दस्तावेजों में हेराफेरी के मामले की गंभीरता को देखते हुए सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद शैल यादव ने जांच अधिकारी को बदल दिया है। अभी तक जांच इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव प्रमोद कुमार से कराने की बात हो रही थी, लेकिन बोर्ड सचिव ने जांच को संयुक्त शिक्षा निदेशक इलाहाबाद मंडल महेंद्र कुमार यादव की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर कराने का निर्णय लिया है। कमेटी में जेडी इलाहाबाद मंडल के साथ ही क्षेत्रीय अपर सचिव बरेली विनोद कृष्ण और परिषद मुख्यालय के उप सचिव सत्येन्द्र सिंह को सदस्य के रूप में रखा गया है, ताकि जांच निष्पक्ष हो और काई अंगुली न उठ सके।

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