शिक्षामित्रों के दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण को निरस्त कराने व दूरस्थ प्रशिक्षण के आधार पर टेट उत्तीर्ण कर नियुक्ति प्राप्त किये हुए (अथवा भविष्य में करने वाले) शिक्षामित्रों के विरुद्ध हमारी टीम के अधिवक्ता श्रीमान्
आन्नद नंदन व श्री अमित पवन जी द्वारा दाखिल याचिका पर मा० सर्वोच्च न्यायालय में दि० 21.11.2016 को सुनवाई हुयी और शिक्षामित्रों के वरिष्ठतम अधिवक्ताओं के विरोध के बावजूद न सिर्फ याचिका को स्वीकृति प्राप्त हुयी वरन आगामी 07 दिसम्बर को प्रतिवादियों को भी तलब किया गया हैं!
(i) ISSUE a writ of mandamus commanding the respondent National Council for Teachers Education (hereinafter referred to as NCTE for brevity) to consider and annul the training of BTC granted to Shiksha Mitra’s in the State of Uttar Pradesh by distance learning mode;
(ii) ISSUE a writ of mandamus directing the State of Uttar Pradesh to refrain from allowing any Shiksha Mitra from appearing in the TET or being appointed as a Teacher in Government Schools on the basis of training imparted to them through the distance learning mode in the State Council for Educational Research and Training.;
उक्त याचिका की तैयारी उसी दिन से आरम्भ हो गयी थी, जिस दिन मा० उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने, अपने एक्ट और रेगुलेशन के विपरीत जाकर प्रशिक्षण की अनुमति प्रदान करने वाले संस्था NCTE द्वारा अपने काउंटर में अपनी गलती स्वीकार करने के बावजूद भी रिट allow कर प्रशिक्षण को निरस्त नहीं किया और सबकुछ NCTE पर छोड़ दिया!
ट्रेनिंग के सम्बन्ध में पूर्ण पीठ के ऑब्जरवेशन निम्न थे :-
“ …this would not preclude the NCTE from duly verifying compliance with the conditions prescribed by it and particularly whether the training imparted is in accord with NCTE norms and standards.”
सर्वप्रथम इसके लिए मैंने NCTE को प्रशिक्षण रद्द करने हेतु पत्र लिखा और विगत एक वर्ष तक अनवरत पत्राचार व RTI करता रहा! संक्षिप्त में कहूँ तो NCTE चेयरपर्सन, शिक्षामित्र और सरकार के विरुद्ध खांई खोदता रहा! क्योंकि यह कटु सत्य हैं कि अगर शिक्षामित्रों का बीटीसी प्रशिक्षण बरकरार रहा तो बीएड वालों के प्राथमिक स्कूलों में नियुक्ति पाने की सम्भावना नगण्य हैं! 15000 एवं 16000 बीटीसी भर्ती एवं हाईकोर्ट का आदेश इसका उदहारण हैं!
उपरोक्त याचिका में उल्लेखित किया गया हैं कि याची के बार-बार एप्लीकेशन देने के बावजूद भी NCTE ने कोई एक्शन नहीं लिया और अवैधानिक रूप से करायी गयी ट्रेनिंग पर मौन रहा,
"One of the petitioners also made a representation to the NCTE to consider and then declare the training granted to the Shiksha Mitra’s as illegal. However, despite repeated reminders respondent NCTE has not even cared to inform whether it has taken any action in the matter and petitioners cannot be blamed for assuming that it has not acted so far in this matter."
उपरोक्त याचिका की प्रेयर में मांग की गयी हैं कि नियमों के विपरीत जाकर दूरस्थ माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण की अनुमति देने वाली संस्था NCTE, शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को निरस्त एवं अमान्य करे! साथ ही साथ प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के टेट में प्रतिभागिता एवं टेट के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने पर रोक लगाये!
____आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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आन्नद नंदन व श्री अमित पवन जी द्वारा दाखिल याचिका पर मा० सर्वोच्च न्यायालय में दि० 21.11.2016 को सुनवाई हुयी और शिक्षामित्रों के वरिष्ठतम अधिवक्ताओं के विरोध के बावजूद न सिर्फ याचिका को स्वीकृति प्राप्त हुयी वरन आगामी 07 दिसम्बर को प्रतिवादियों को भी तलब किया गया हैं!
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(i) ISSUE a writ of mandamus commanding the respondent National Council for Teachers Education (hereinafter referred to as NCTE for brevity) to consider and annul the training of BTC granted to Shiksha Mitra’s in the State of Uttar Pradesh by distance learning mode;
(ii) ISSUE a writ of mandamus directing the State of Uttar Pradesh to refrain from allowing any Shiksha Mitra from appearing in the TET or being appointed as a Teacher in Government Schools on the basis of training imparted to them through the distance learning mode in the State Council for Educational Research and Training.;
उक्त याचिका की तैयारी उसी दिन से आरम्भ हो गयी थी, जिस दिन मा० उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने, अपने एक्ट और रेगुलेशन के विपरीत जाकर प्रशिक्षण की अनुमति प्रदान करने वाले संस्था NCTE द्वारा अपने काउंटर में अपनी गलती स्वीकार करने के बावजूद भी रिट allow कर प्रशिक्षण को निरस्त नहीं किया और सबकुछ NCTE पर छोड़ दिया!
ट्रेनिंग के सम्बन्ध में पूर्ण पीठ के ऑब्जरवेशन निम्न थे :-
“ …this would not preclude the NCTE from duly verifying compliance with the conditions prescribed by it and particularly whether the training imparted is in accord with NCTE norms and standards.”
सर्वप्रथम इसके लिए मैंने NCTE को प्रशिक्षण रद्द करने हेतु पत्र लिखा और विगत एक वर्ष तक अनवरत पत्राचार व RTI करता रहा! संक्षिप्त में कहूँ तो NCTE चेयरपर्सन, शिक्षामित्र और सरकार के विरुद्ध खांई खोदता रहा! क्योंकि यह कटु सत्य हैं कि अगर शिक्षामित्रों का बीटीसी प्रशिक्षण बरकरार रहा तो बीएड वालों के प्राथमिक स्कूलों में नियुक्ति पाने की सम्भावना नगण्य हैं! 15000 एवं 16000 बीटीसी भर्ती एवं हाईकोर्ट का आदेश इसका उदहारण हैं!
उपरोक्त याचिका में उल्लेखित किया गया हैं कि याची के बार-बार एप्लीकेशन देने के बावजूद भी NCTE ने कोई एक्शन नहीं लिया और अवैधानिक रूप से करायी गयी ट्रेनिंग पर मौन रहा,
"One of the petitioners also made a representation to the NCTE to consider and then declare the training granted to the Shiksha Mitra’s as illegal. However, despite repeated reminders respondent NCTE has not even cared to inform whether it has taken any action in the matter and petitioners cannot be blamed for assuming that it has not acted so far in this matter."
उपरोक्त याचिका की प्रेयर में मांग की गयी हैं कि नियमों के विपरीत जाकर दूरस्थ माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण की अनुमति देने वाली संस्था NCTE, शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को निरस्त एवं अमान्य करे! साथ ही साथ प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के टेट में प्रतिभागिता एवं टेट के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने पर रोक लगाये!
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____आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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