मित्रों बुरा न मानना कुछ ग्रूप पर लोग बड़ी बड़ी पोस्ट में सिर्फ़ झूठ लिखते है ।।मैं बात कर रहा हूँ जूनियर कि हाइकोर्ट में हियरिंग कि ,मैं निष्पक्ष हो के बता रहा हूँ कि मैं दोनों पक्षों के कुछ वकीलों व्यक्तिगत जानता हूँ ।
श्रीमान अशोक खरे जी एक ऐसे वकील है जिनके पास आप कुछ पूछने जावौ तो सही बताते है और उसकी वो फीस नहीँ लेते ।खरे जी तभी खड़े होते है जब वो केस को अपने पक्ष में समझ्ते है ,वो केस में दम नहीँ रहता तो भी बता देते है क्लायण्ट को ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में ये मामला क्यों भेजा क्योंकि फैसले में एक रूपता रहे दूसरा ये मामला सुप्रीम कोर्ट में सॉल्व होने से एक नियमावली भारत के लिये बन जाये ।सही बात ये है कि हाइकोर्ट में टेट विल्कुल हारा नहीँ है और न ही अकेडमिक जीती है ।कोर्ट ने कहा है कि वो फिलहाल यथास्थिति बरकार रख रही है सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने तक ।ठीक वैसे ही जैसे इस समय स्थिति शिक्षा मित्रों कि है सुप्रीम कोर्ट में ।।।।।।।।कोर्ट ने सरकार और अकेडमिक के वकील से कुछ सवाल पूछे थे कि what is difference between base of selection mode of selection and criteria of selection ,ये तीनो प्रश्न अलग अलग समय पर अलग पूछे गये थे जज द्वारा क्योंकि ncte सरकार और अकेडमिक के वकील एक मत नहीँ थे फलतः जज संतुष्ट नहीँ हुए अकेडमिक की दलींलों से जज ने दूसरा सवाल ये पूछा कि संशोधन कि आवश्यकता क्यों पड़ी और टेट मेरिट में क्या बुरायी है ?????????????????????? और तीसरा सवाल ये था कि टेट वेटेज को फालो करने में क्या आपत्ति है ??????????????? कोर्ट ने ये भी कहा की राज्य कुछ भी नियम नहीँ बना सकती है ।हाइकोर्ट राज्य सरकार के किसी भी नियम को खारिज कर देती पर असली शंका ncte में है जो केंद्रीय संस्था है बेहतर ये है की सुप्रीम कोर्ट निर्णय ले ये ही सोच है जज की । मित्रों 72825 के अलावा कोई भी भर्ती टेट मेरिट से नहीँ हुई है ये बात सुप्रीम कोर्ट कभी हज़म नहीँ करेगा कुल मिला के बिना टेट मेरिट से हुई सारी भर्ती सुप्रीम कोर्ट से रद्द हो जायेगी ,जो लोग ये कहते थे कि 72825 से एक पद आगे नहीँ होगा ,उनके लिये बूरी ख़बर है ,कुल मिलाकर फिलहाल (फिलहाल शब्द पर ध्यान दे ) अकेडमिक से हुई भर्ती हाइकोर्ट ने वेंटीलेटर पर ही डाला है सुप्रीम कोर्ट में अकेडमिक का समापन हो जायेगा ,कई बातें तो 30 nov के हाइकोर्ट के ऑर्डर में स्पष्ट हो जायेगी,
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श्रीमान अशोक खरे जी एक ऐसे वकील है जिनके पास आप कुछ पूछने जावौ तो सही बताते है और उसकी वो फीस नहीँ लेते ।खरे जी तभी खड़े होते है जब वो केस को अपने पक्ष में समझ्ते है ,वो केस में दम नहीँ रहता तो भी बता देते है क्लायण्ट को ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में ये मामला क्यों भेजा क्योंकि फैसले में एक रूपता रहे दूसरा ये मामला सुप्रीम कोर्ट में सॉल्व होने से एक नियमावली भारत के लिये बन जाये ।सही बात ये है कि हाइकोर्ट में टेट विल्कुल हारा नहीँ है और न ही अकेडमिक जीती है ।कोर्ट ने कहा है कि वो फिलहाल यथास्थिति बरकार रख रही है सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने तक ।ठीक वैसे ही जैसे इस समय स्थिति शिक्षा मित्रों कि है सुप्रीम कोर्ट में ।।।।।।।।कोर्ट ने सरकार और अकेडमिक के वकील से कुछ सवाल पूछे थे कि what is difference between base of selection mode of selection and criteria of selection ,ये तीनो प्रश्न अलग अलग समय पर अलग पूछे गये थे जज द्वारा क्योंकि ncte सरकार और अकेडमिक के वकील एक मत नहीँ थे फलतः जज संतुष्ट नहीँ हुए अकेडमिक की दलींलों से जज ने दूसरा सवाल ये पूछा कि संशोधन कि आवश्यकता क्यों पड़ी और टेट मेरिट में क्या बुरायी है ?????????????????????? और तीसरा सवाल ये था कि टेट वेटेज को फालो करने में क्या आपत्ति है ??????????????? कोर्ट ने ये भी कहा की राज्य कुछ भी नियम नहीँ बना सकती है ।हाइकोर्ट राज्य सरकार के किसी भी नियम को खारिज कर देती पर असली शंका ncte में है जो केंद्रीय संस्था है बेहतर ये है की सुप्रीम कोर्ट निर्णय ले ये ही सोच है जज की । मित्रों 72825 के अलावा कोई भी भर्ती टेट मेरिट से नहीँ हुई है ये बात सुप्रीम कोर्ट कभी हज़म नहीँ करेगा कुल मिला के बिना टेट मेरिट से हुई सारी भर्ती सुप्रीम कोर्ट से रद्द हो जायेगी ,जो लोग ये कहते थे कि 72825 से एक पद आगे नहीँ होगा ,उनके लिये बूरी ख़बर है ,कुल मिलाकर फिलहाल (फिलहाल शब्द पर ध्यान दे ) अकेडमिक से हुई भर्ती हाइकोर्ट ने वेंटीलेटर पर ही डाला है सुप्रीम कोर्ट में अकेडमिक का समापन हो जायेगा ,कई बातें तो 30 nov के हाइकोर्ट के ऑर्डर में स्पष्ट हो जायेगी,
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