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आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ रही शिक्षकों की अर्हता, बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में भर्तियों के साथ जुड़ रही नई योग्यता

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में जिस रफ्तार से शिक्षकों की भर्तियां हो रही हैं, कमोबेश उसी गति से नई-नई अर्हता भी बढ़ रही हैं। लगभग हर भर्ती के समय अभ्यर्थी अदालत में दस्तक देकर दावेदारी कर रहे हैं। इससे दावेदारों की भीड़ बढ़ने के साथ ही भर्ती पूरी होने की समय सीमा निरंतर बढ़ रही है।
इसका स्याह पक्ष यह है कि लगातार आवेदनों के कारण भर्ती में विवाद भी गहरा रहे हैं। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में इधर भर्तियां तेजी से हो रही हैं। एक प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है कि दूसरी शुरू हो जाती है। इन दिनों प्राथमिक स्कूलों में 16460 सहायक अध्यापकों की भर्ती चल रही है। इसके लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही अभ्यर्थियों के एक वर्ग ने हाईकोर्ट में दस्तक देकर इसमें शामिल कराने की गुहार लगाई, न्यायालय ने बीएड (विशेष शिक्षा) के अभ्यर्थियों को भी दावेदार बनाने का आदेश दिया है। दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद की अध्यापक तैनाती नियमावली में बड़े बदलाव की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है, लेकिन विभागीय अफसर छिटपुट या यह कहें कि कामचलाऊ संशोधन करा रहे हैं। इससे आए दिन समस्याएं बढ़ रही हैं और नियमावली आदि को चुनौती दी जा रही है। अभी तक अध्यापक सेवा नियमावली 1981 (अद्यतन तथा संशोधित) तथा विद्यालयों में अध्यापक तैनाती नियमावली 2008 (अद्यतन तथा संशोधित) के तहत ही प्रदेश भर में नियुक्ति हो रही है। इसमें हाल के ही कुछ पाठ्यक्रमों का पहले जिक्र नहीं था। मसलन विशेष शिक्षा यानी डीएड, बीएलएड एवं केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की तर्ज पर 82 अंक को बेसिक शिक्षा परिषद ने भी मान्यता दिया है। यही नहीं, 2010 तक बीटीसी के प्रशिक्षितों को वरिष्ठता के आधार पर स्कूलों में तैनाती दी जाती थी, लेकिन अब मेरिट एवं टीईटी को वेटेज दिया जा रहा है। ऐसे ही अन्य और भी प्रकरण यहां-वहां उठते रहे हैं।


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