इलाहाबाद. हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में 12 हजार 460 सहायक अध्यापकों की भर्ती में बीएड (विशेष शिक्षा) व डीएड (विशेष शिक्षा) की योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को भी इस भर्ती में शामिल होने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने सरिता श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि 12 हजार 460 असिस्टेंट टीचरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में बीएड व डीएड (विशेष शिक्षा) धारण करने वाले अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया है। याची के अधिवक्ता एस.के.उपाध्याय का कहना था कि बीएड (स्पेशल एजूकेशन) डिग्री धारक भी सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने के लिए अर्ह है। परन्तु इन्हें जारी विज्ञापन में शामिल नहीं किया गया है। यू.पी.बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के अधिवक्ता ए.के.यादव ने कोर्ट को बताया कि अभी हाल में यूपी बेसिक शिक्षा (टीचर) सर्विस रूल्स 1981 में संशोधन कर उक्त बीएड व डीएड (विशेष शिक्षा) को शामिल कर लिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि याची सहायक टीचर भर्ती में आवेदन करता है तो उसे परीक्षा में शामिल किया जाए।
आदेश की अवहेलना पर बीएसए पर पांच हजार हर्जाना, कोर्ट में तलब
हाईकोर्ट ने कोर्ट आदेश की अवहेलना करने पर वाराणसी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जयकरन यादव पर पांच हजार रूपये हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने यादव को अनुपालन रिपोर्ट के साथ दस जनवरी को तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल ने अध्यापिका श्रीमती उषा श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका के अनुसार याची 31 मार्च 15 को सेवानिवृत्त हो रही थी जिसे सत्र लाभ देते हुए 31 मार्च 16 तक कार्यरत रहना था किन्तु 30 जून 15 को ही उसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। साथ ही जुलाई 15 से नवम्बर 15 तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया। रमेश चन्द्र तिवारी केस में हाईकोर्ट ने कहा है कि जो अध्यापक एक अप्रैल 15 से 31 मार्च 16 तक सेवानिवृत्त हो रहे हैं उन्हें सत्र लाभ देते हुए 31 मार्च 16 तक कार्य करने दिया जायेगा। कोर्ट ने याची के बकाया वेतन पेंशन निर्धारण के संबंध में बीएसए को 6 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसका पालन न करने पर अवमानना याचिका दाखिल की गयी है। कोर्ट ने बीएसए को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी माना और नोटिस जारी कर 9 जनवरी को अनुपालन हलफनामा दाखिल करने अथवा हाजिर होने का आदेश दिया था। बीएसए ने न तो हलफनामा दाखिल किया और न ही हाजिर हुआ जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और पांच हजार हर्जाना लगाया। कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना राशि हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा किया जाए तथा बीएसए कोर्ट में हाजिर हो। सुनवाई दस जनवरी को होगी।
शिक्षा डिप्लोमा धारकों को जूनियर बेसिक स्कूल अध्यापक भर्ती में शामिल करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने दो वर्षीय शिक्षा डिप्लोमाधारक याचियों को जूनियर बेसिक स्कूल के सहायक अध्यापक चयन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि नियुक्ति पर विचार किया जाए किन्तु बिना कोर्ट की अनुमति लिए याचियों को नियुक्ति पत्र जारी न किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 30 जनवरी को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने इलाहाबाद के अजय कुमार व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र चन्द्र त्रिपाठी ने बहस की। मालूम हो कि 23 दिसम्बर 16 को जूनियर बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती विज्ञापन निकाला गया। जिसमें शिक्षा में डिप्लोमा को शामिल नहीं किया गया। याची का कहना है कि एन.सी.टी.ई. के 23 अगस्त 10 व 29 जुलाई 22 की अधिसूचना से शिक्षा डिप्लोमा को मान्यता प्रदान की है। सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल में 45 फीसदी अंक के साथ 2 वर्षीय एलिमेन्ट्री शिक्षा में डिप्लोमा को अर्ह माना गया है। जिसमें बीटीसी, जेबीटी, डीएड एवं डिप्लोमा इन एजुकेशन शामिल है। कोर्ट ने अन्तरिम आदेश से शिक्षा डिप्लोमा को भी अर्हता प्रदान करने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद सहायक अध्यापक भर्ती में शिक्षा डिप्लोेमा धारकों के आवेदन स्वीकार नहीं किये जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि याचीगण योग्यता प्रमाण पत्र के साथ आवेदन देते हैं तो बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव उसे स्वीकार करें और 23 दिसम्बर 16 के विज्ञापन के तहत भर्ती में शामिल करने से शिक्षा डिप्लोमा के आधार पर इंकार न करें और उनके आवेदन पर विचार किया जाए।
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यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने सरिता श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि 12 हजार 460 असिस्टेंट टीचरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में बीएड व डीएड (विशेष शिक्षा) धारण करने वाले अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया है। याची के अधिवक्ता एस.के.उपाध्याय का कहना था कि बीएड (स्पेशल एजूकेशन) डिग्री धारक भी सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने के लिए अर्ह है। परन्तु इन्हें जारी विज्ञापन में शामिल नहीं किया गया है। यू.पी.बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के अधिवक्ता ए.के.यादव ने कोर्ट को बताया कि अभी हाल में यूपी बेसिक शिक्षा (टीचर) सर्विस रूल्स 1981 में संशोधन कर उक्त बीएड व डीएड (विशेष शिक्षा) को शामिल कर लिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि याची सहायक टीचर भर्ती में आवेदन करता है तो उसे परीक्षा में शामिल किया जाए।
आदेश की अवहेलना पर बीएसए पर पांच हजार हर्जाना, कोर्ट में तलब
हाईकोर्ट ने कोर्ट आदेश की अवहेलना करने पर वाराणसी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जयकरन यादव पर पांच हजार रूपये हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने यादव को अनुपालन रिपोर्ट के साथ दस जनवरी को तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल ने अध्यापिका श्रीमती उषा श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका के अनुसार याची 31 मार्च 15 को सेवानिवृत्त हो रही थी जिसे सत्र लाभ देते हुए 31 मार्च 16 तक कार्यरत रहना था किन्तु 30 जून 15 को ही उसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। साथ ही जुलाई 15 से नवम्बर 15 तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया। रमेश चन्द्र तिवारी केस में हाईकोर्ट ने कहा है कि जो अध्यापक एक अप्रैल 15 से 31 मार्च 16 तक सेवानिवृत्त हो रहे हैं उन्हें सत्र लाभ देते हुए 31 मार्च 16 तक कार्य करने दिया जायेगा। कोर्ट ने याची के बकाया वेतन पेंशन निर्धारण के संबंध में बीएसए को 6 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसका पालन न करने पर अवमानना याचिका दाखिल की गयी है। कोर्ट ने बीएसए को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी माना और नोटिस जारी कर 9 जनवरी को अनुपालन हलफनामा दाखिल करने अथवा हाजिर होने का आदेश दिया था। बीएसए ने न तो हलफनामा दाखिल किया और न ही हाजिर हुआ जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और पांच हजार हर्जाना लगाया। कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना राशि हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा किया जाए तथा बीएसए कोर्ट में हाजिर हो। सुनवाई दस जनवरी को होगी।
शिक्षा डिप्लोमा धारकों को जूनियर बेसिक स्कूल अध्यापक भर्ती में शामिल करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने दो वर्षीय शिक्षा डिप्लोमाधारक याचियों को जूनियर बेसिक स्कूल के सहायक अध्यापक चयन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि नियुक्ति पर विचार किया जाए किन्तु बिना कोर्ट की अनुमति लिए याचियों को नियुक्ति पत्र जारी न किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 30 जनवरी को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने इलाहाबाद के अजय कुमार व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र चन्द्र त्रिपाठी ने बहस की। मालूम हो कि 23 दिसम्बर 16 को जूनियर बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती विज्ञापन निकाला गया। जिसमें शिक्षा में डिप्लोमा को शामिल नहीं किया गया। याची का कहना है कि एन.सी.टी.ई. के 23 अगस्त 10 व 29 जुलाई 22 की अधिसूचना से शिक्षा डिप्लोमा को मान्यता प्रदान की है। सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल में 45 फीसदी अंक के साथ 2 वर्षीय एलिमेन्ट्री शिक्षा में डिप्लोमा को अर्ह माना गया है। जिसमें बीटीसी, जेबीटी, डीएड एवं डिप्लोमा इन एजुकेशन शामिल है। कोर्ट ने अन्तरिम आदेश से शिक्षा डिप्लोमा को भी अर्हता प्रदान करने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद सहायक अध्यापक भर्ती में शिक्षा डिप्लोेमा धारकों के आवेदन स्वीकार नहीं किये जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि याचीगण योग्यता प्रमाण पत्र के साथ आवेदन देते हैं तो बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव उसे स्वीकार करें और 23 दिसम्बर 16 के विज्ञापन के तहत भर्ती में शामिल करने से शिक्षा डिप्लोमा के आधार पर इंकार न करें और उनके आवेदन पर विचार किया जाए।
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