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राज्य विश्वविद्यालय में बदला जाएगा मूल्यांकन का मानक, ये होंगे संभावित बदलाव

इलाहाबाद : राज्य विश्वविद्यालयों में मूल्यांकन में अधिक सख्ती के संकेत मिल रहे हैं। यहां सख्ती का मतलब अंकों की कटौती नहीं बल्कि मूल्यांकन में पारदर्शिता है। शासन की मंशा विश्वविद्यालयों में नकल विहीन परीक्षा कराना और निर्धारित मानकों पर उचित अंक प्रदान करना है।
विभिन्न पाठ्यक्रमों की परीक्षा एवं उनके मूल्यांकन में अधिक अधिकार प्रदान किये जाएंगे। 1गत दिनों राजभवन में हुई कुलपतियों की बैठक में नकलविहीन परीक्षा प्रणाली लागू करने और परीक्षा परिणाम समय से घोषित करने का निर्देश दिया गया है। 1इलाहाबाद राज्य विवि के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि शासन की मंशा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम लाना है। उन्होंने बताया कि बैठक में राज्यों के कुलपतियों को अधिकार दिये जाने पर सहमति बनी ताकि वे परीक्षा व मूल्यांकन प्रक्रिया को प्रभावी तरीके से पूरा करा सकें। बैठक में चर्चा के बाद परीक्षा प्रणाली व मूल्यांकन व्यवस्था में नयी तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने पर सहमति बनी। तय हुआ कि मूल्यांकन की मौजूदा दर को बढ़ाने के साथ समय से उसका भुगतान सुनिश्चित किया जाए। मूल्यांकन कार्य में तेजी लाने के लिए इस काम में नियमित शिक्षकों को भी लगाये जाने का फैसला हुआ।
ये होंगे संभावित बदलाव1.स्नातक, परास्नातक और प्रोफेशनल कोर्स की उत्तर पुस्तकों का मूल्यांकन पूरी उदारता के साथ किया जाएगा।
2.मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य, कला आदि संकायों के विषयों प्रश्नपत्रों में पूछे गए उत्तरों को गहनता के साथ पढ़ा जाएगा।
3.प्रत्येक उत्तर पुस्तिका पर पर्याप्त समय दिया जाएगा। प्रश्नों पर उत्तर के अतिरिक्त टिप्पणी, विमर्श एवं सारांश पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
4.शब्दों की सीमा पर कम तथ्यों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
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