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शिक्षक भर्ती में जर्नल के मामले में यूजीसी का निर्णय अव्यावहारिक

इलाहाबाद : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने शिक्षक भर्ती के लिए जिन रिसर्च जर्नल की सूची जारी है उस पर शिक्षकों ने सवाल उठने शुरू कर दिए हैं।
सोमवार को हुई बैठक में इलाहाबाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यूजीसी का अधिकांश भारतीय जर्नल्स के साथ एक अव्यवहारिक निर्णय है। शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था और भारतीय जर्नल्स के साथ एक और मजाक किया है। रिसर्च जर्नल्स की सूची जो 10 जनवरी को जारी हुई है उसमें लगभग 38653 जर्नल्स में देश के तमाम प्रतिष्ठित जर्नल्स नदारद हैं। इससे भी हास्यास्पद बात यह है कि जारी की गई हर सूची में केवल तीन इंडेक्सिंग एजेन्सीज का विवरण है। 1 इंडेक्स्ड जर्नल्स को छोड़कर चौथी किसी एजेंसी द्वारा सूचीबद्ध जर्नल्स या किसी भी स्वतंत्र जर्नल्स को स्थान ही नहीं दिया गया है। यूजीसी ने जर्नल्स की लिस्ट शिक्षा की गुणवत्ता को कायम रखने के लिए जारी की है लेकिन उसने यह काम उपरोक्त तीनों एजेंसी के सूचीबद्ध जर्नलों के बल पर किया तो प्रश्न उठता है कि क्या यूजीसी के पास अपना कोई पैनल या विवेक अथवा भारतीय जर्नल्स की गुणवत्ता परखने का तरीका नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि एक उससे भी महत्वपूर्ण बात यह भी निकलकर आई कि भारत जैसे देश में जहां की मातृभाषा हंिदूी है।
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