कल एस सी ई आर टी द्वारा जारी किये गए विभागीय आदेश के बाद उत्पन्न हुए विवाद के निपटारे हेतु आप सभी को कुछ पहलुओं पर शांत होकर विचार करना होगा। यदि समझना चाहेंगे तो समझ आएगा अन्यथा आप अतिरिक्त समझदार तो है ही।
At this juncture, Mr. Rakesh Dwivedi, learned senior counsel, Mr. Neeraj Jain, Mr. Siddharth Dave, Mr. Sanjay Hegde, Mr. Vikas Singh, Mr. Anand Nandan, Mr. Arvind Srivastava, Mr. Ajay Jain, Ms. Rachana Shrivastava, Mr. Avnish Singh, Mr. D.K. Tiwary, Mr. Rajiv Dubey, Ms. S. Janani, Mr. Ashok Kuamr Sharma and Mr. Manoj Prasad learned counsel submit that they represent approximately (लगभग) 1100 people and some arrangement should be made for them. On being asked, Mr. Vijay Bahadur Singh, learned Advocate General submitted that the State has no objection to offer them appointment on ad hoc basis subject to result of the special leave petitions.
यहाँ स्पस्ट रूप से लिखा है कि उक्त-उक्त एडवोकेट्स द्वारा लगभग 1100 अभ्यर्थियों को रिप्रिजेंट किया जा रहा है और कोर्ट ने सरकार से प्रश्न किया है कि आपको किसी तरह की कोई प्रॉब्लम तो नही है और जब सरकार ने "नो ऑब्जेक्शन" बोला है इसके बाद कोर्ट ने एडहॉक नियुक्ति का आदेश किया है।
उक्त आदेश के समय सभी याचियों के कोर्ट में सिर्फ नाम, पिता का नाम, और पूरा पता इतना ही लिखा हुआ था। इसके बाद सभी ने एक प्रत्यावेदन सरकारी अधिवक्ता द्वारा मांगे जाने पर उनको अपने एडवोकेट्स के माध्यम से दिया। जिस पर आगे करवाई हुई और लगभग 861अभ्यर्थियों ने एडहॉक नियुक्ति प्राप्त की।
कुछ अभ्यर्थियों के एडवोकेट 7दिसम्बर को कोर्ट रूम में नही थे जिससे वो अपनी संख्या वहां लिखवा पाएं अतः उन्होंने बाद में अपने याचियों की लिस्ट सरकारी अधिवक्ता को दी जिसे कई कारण दिखाकर सरकार ने उन्हें तब कंसीडर नही किया।
इसकी अगली सुनवाई पर जब 24 फरबरी 2016 को आप सभी याचियों के लिए अगला आदेश हुआ तो आप सभी की लिस्ट सरकार को रिसीव कराई गई किन्तु उन सभी अभ्यर्थियों (रेस्पोंडेंट/कुछ IA) के एडवोकेट्स ने पुनः प्रत्यावेदन ही भेजा और यह दावा किया है यह 7दिसम्बर से पूर्व ही कोर्ट में उपस्तिथि हुए है अतः इनको कंसीडर किया जाये।
इसके बाद जब अगली सुनवाई पर सरकार ने 24अगस्त को अपना हलफनामा लगाया जिसमें 68,015 याचियों की बात स्वीकारी गयी जिसमे लगभग 34,905 एक से अधिक IA में बताए गए में केबल 580 की ही पूरी जानकारी है सरकार द्वारा कहा गया। (ओरली तो कोर्ट ने इनका हलफनामा उसी दिन डिसमिस कर दिया था जब 24अगस्त को IA नोट करा रहे थे। दीपक मिश्रा जी द्वारा उनकी टेबल पर नोट की गयी IA में हमारी 431/2016 सामिल थी।)
दोस्तों सरकार जानबूझकर इस तरह का एफिडेविट फाइल की ताकि यह दिखाया जाये कि याचिका फाइल करने वाले एडवोकेट्स की गलती है हम क्या करें। जबकि दुनियाँ के किसी भी कोर्ट में नाम, पिता का नाम और पूरा पता इसके अतिरिक्त कोर्ट में कुछ भी फाइल नही किया जाता है। आप मेल है अथवा फीमेल, आर्ट से है या साइंस से, 2011 के आवेदक है या नही है, आरक्षित है या नही है, आयु कम है या ज्यादा है, फ्रीडम फाइटर है या चोर-उचके है, ऐसा सिर्फ आवेदन या प्रत्यावेदन में ही दिया जाता है कोर्ट में नही। यहाँ तो सभी ने टेट रोल नंबर और टेट प्राप्तांक आदि भी फाइल किया हुआ है। यदि सरकार चाहती तो टेट रोल नंबर से ही पूरा डाटा प्राप्त कर सकती थी किन्तु सरकार क्यों चाहेगी यह बताना शायद आपको आवश्यक नही है।
अतः बिना बजह आरोप-प्रत्यारोप लगाना प्रारम्भ मत कीजिये। ये 580 की लिस्ट भी 12,091 की लिस्ट की भाँति ही है जिसमे आज तक किसी को कोई लाभ नही मिला है सिवाय बँटवारे के और आप सभी की काबलियत भी इतनी अधिक है कि टेट मेरिट, गुणांक मेरिट, बॉर्डरलाइन, सफेदायुक्त, सफेदामुक्त, 90/105 से ऊपर 90/105से नीचे, 12091में शामिल, 12091 से अलग, मयंक तिवारी के याची, अथवा अजय ठाकुर, रामकुमार पटेल, हिमांशु गुट आदि के वेरिफिकेसन युक्त याची, या याची बनाकर गायब नेताओ के याची, सक्रीय याची, याची बनकर खुद गयाब याची, सहयोगी याची, आरोपात्मक गुणसूत्र वाले याची, विश्वनीय याची, विश्वास ना कर पाने वाले याची, इसके बाद फेसबुक पर पियक्कड़ याची, परेशान याची, ठगा याची, याची की आवाज, याची की पीड़ा, बेबस याची, याची का मरहम, याची की लूट, ना जाने कितने गुटों में बंट जाते है। और इसके बाद तुलना करते है शिक्षामित्रों से। अगर उनसे ही तुलना करनी है तो इस बात की कीजिये कि एक आवाज़ में देश के किसी कोने में एकजुट होते है, अपना घर-बार सब छोड़कर एक पैर पर आंदोलनों में खड़े रहते है और हर सुनवाई स्वतः ही आर्थिक सहयोग पहुंचाते है।
आप सब ऑन रिकॉर्ड तो 2लाख92 हजार है और योग्यता-मानक आदि जरूरत से ज्यादा पूरा करते है लेकिन ऑन ग्राउंड कभी 500 या 1000 से ज्यादा नही दिखाई दिए। आज जो कुछ भी है सब इसी का परिणाम है। जब आप सभी से लखनऊ में एकजुट होने के लिए कहा गया तो पर्याप्त संख्या नही और जब स्थानीय स्तर पर ही प्रयास को कहा गया फिर भी पर्याप्त लोग नही। लेकिन फेसबुक/व्हात्सप्प/फोन करने और आरोप लगाने में आप इतने सक्रीय है कि क्या कहा जाये।
आज पुनः स्पस्ट रूप से कहा रहा हूँ, हम आपके लिए सिर्फ प्रयास ही कर सकते है इसके अतिरिक्त ओर कुछ भी नही और वो हमने कोर्ट में बिना किसी लूट के सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायधीश एल नागेस्वर रॉव जी को एडवोकेट के रूप में से लेकर के वेणुगोपाल जी, के वी विश्वनाथन जी, ध्रुव मेहता जी, सी एस वैद्यनाथन जी, वी मोहना जी जैसे सीनियर्स को पैरवी हेतु खड़ा किया। वहीँ केबल और केबल आप सभी के भविष्य के लिए सैफई से लेकर दिल्ली-लखनऊ तक कोई दरबार नही छोड़ा जहाँ कोशिस ना की हो जो इनके दरबार में मयंक तिवारी स्वयं अपने हित के लिए कभी नही करता।
फ़िलहाल अब सब आपके हाथ है। आप सभी आपके लिए प्रयास कर रहे साथियों पर सही कार्य करने का दबाब तो बनाएं किन्तु बिना सही जानकारी के आरोप ना लगाये तथा भविष्य में इस तरह के प्रतिकूल शासनादेश से बचने के लिए कल से प्रारम्भ हो रहे इस विधान सभा चुनाव 2017 के पहला चरण से ही इस बार ऐसा संकल्प लें कि इस "नसमाजवादी पार्टी का एक भी उम्मीदवार ना जितने पाये।"
टेट पास का एक उद्देश्य
"सपा मुक्त उत्तर प्रदेश"
शेष सुप्रीम कोर्ट में हम अपना कार्य सर्वश्रेष्ठ तरीके से कर ही रहे है और निश्चित रूप से अंतिम परिणाम भी आपके पक्ष में ही होगा। इन्ही शुभ कामनाओं के साथ
आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
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- कुछ बीएड 2011-12 के लोग मूर्खता के कारण अन्य टेट मेरिट में याची बन गए उनको इस लेटर से झटका
At this juncture, Mr. Rakesh Dwivedi, learned senior counsel, Mr. Neeraj Jain, Mr. Siddharth Dave, Mr. Sanjay Hegde, Mr. Vikas Singh, Mr. Anand Nandan, Mr. Arvind Srivastava, Mr. Ajay Jain, Ms. Rachana Shrivastava, Mr. Avnish Singh, Mr. D.K. Tiwary, Mr. Rajiv Dubey, Ms. S. Janani, Mr. Ashok Kuamr Sharma and Mr. Manoj Prasad learned counsel submit that they represent approximately (लगभग) 1100 people and some arrangement should be made for them. On being asked, Mr. Vijay Bahadur Singh, learned Advocate General submitted that the State has no objection to offer them appointment on ad hoc basis subject to result of the special leave petitions.
यहाँ स्पस्ट रूप से लिखा है कि उक्त-उक्त एडवोकेट्स द्वारा लगभग 1100 अभ्यर्थियों को रिप्रिजेंट किया जा रहा है और कोर्ट ने सरकार से प्रश्न किया है कि आपको किसी तरह की कोई प्रॉब्लम तो नही है और जब सरकार ने "नो ऑब्जेक्शन" बोला है इसके बाद कोर्ट ने एडहॉक नियुक्ति का आदेश किया है।
उक्त आदेश के समय सभी याचियों के कोर्ट में सिर्फ नाम, पिता का नाम, और पूरा पता इतना ही लिखा हुआ था। इसके बाद सभी ने एक प्रत्यावेदन सरकारी अधिवक्ता द्वारा मांगे जाने पर उनको अपने एडवोकेट्स के माध्यम से दिया। जिस पर आगे करवाई हुई और लगभग 861अभ्यर्थियों ने एडहॉक नियुक्ति प्राप्त की।
कुछ अभ्यर्थियों के एडवोकेट 7दिसम्बर को कोर्ट रूम में नही थे जिससे वो अपनी संख्या वहां लिखवा पाएं अतः उन्होंने बाद में अपने याचियों की लिस्ट सरकारी अधिवक्ता को दी जिसे कई कारण दिखाकर सरकार ने उन्हें तब कंसीडर नही किया।
इसकी अगली सुनवाई पर जब 24 फरबरी 2016 को आप सभी याचियों के लिए अगला आदेश हुआ तो आप सभी की लिस्ट सरकार को रिसीव कराई गई किन्तु उन सभी अभ्यर्थियों (रेस्पोंडेंट/कुछ IA) के एडवोकेट्स ने पुनः प्रत्यावेदन ही भेजा और यह दावा किया है यह 7दिसम्बर से पूर्व ही कोर्ट में उपस्तिथि हुए है अतः इनको कंसीडर किया जाये।
इसके बाद जब अगली सुनवाई पर सरकार ने 24अगस्त को अपना हलफनामा लगाया जिसमें 68,015 याचियों की बात स्वीकारी गयी जिसमे लगभग 34,905 एक से अधिक IA में बताए गए में केबल 580 की ही पूरी जानकारी है सरकार द्वारा कहा गया। (ओरली तो कोर्ट ने इनका हलफनामा उसी दिन डिसमिस कर दिया था जब 24अगस्त को IA नोट करा रहे थे। दीपक मिश्रा जी द्वारा उनकी टेबल पर नोट की गयी IA में हमारी 431/2016 सामिल थी।)
दोस्तों सरकार जानबूझकर इस तरह का एफिडेविट फाइल की ताकि यह दिखाया जाये कि याचिका फाइल करने वाले एडवोकेट्स की गलती है हम क्या करें। जबकि दुनियाँ के किसी भी कोर्ट में नाम, पिता का नाम और पूरा पता इसके अतिरिक्त कोर्ट में कुछ भी फाइल नही किया जाता है। आप मेल है अथवा फीमेल, आर्ट से है या साइंस से, 2011 के आवेदक है या नही है, आरक्षित है या नही है, आयु कम है या ज्यादा है, फ्रीडम फाइटर है या चोर-उचके है, ऐसा सिर्फ आवेदन या प्रत्यावेदन में ही दिया जाता है कोर्ट में नही। यहाँ तो सभी ने टेट रोल नंबर और टेट प्राप्तांक आदि भी फाइल किया हुआ है। यदि सरकार चाहती तो टेट रोल नंबर से ही पूरा डाटा प्राप्त कर सकती थी किन्तु सरकार क्यों चाहेगी यह बताना शायद आपको आवश्यक नही है।
अतः बिना बजह आरोप-प्रत्यारोप लगाना प्रारम्भ मत कीजिये। ये 580 की लिस्ट भी 12,091 की लिस्ट की भाँति ही है जिसमे आज तक किसी को कोई लाभ नही मिला है सिवाय बँटवारे के और आप सभी की काबलियत भी इतनी अधिक है कि टेट मेरिट, गुणांक मेरिट, बॉर्डरलाइन, सफेदायुक्त, सफेदामुक्त, 90/105 से ऊपर 90/105से नीचे, 12091में शामिल, 12091 से अलग, मयंक तिवारी के याची, अथवा अजय ठाकुर, रामकुमार पटेल, हिमांशु गुट आदि के वेरिफिकेसन युक्त याची, या याची बनाकर गायब नेताओ के याची, सक्रीय याची, याची बनकर खुद गयाब याची, सहयोगी याची, आरोपात्मक गुणसूत्र वाले याची, विश्वनीय याची, विश्वास ना कर पाने वाले याची, इसके बाद फेसबुक पर पियक्कड़ याची, परेशान याची, ठगा याची, याची की आवाज, याची की पीड़ा, बेबस याची, याची का मरहम, याची की लूट, ना जाने कितने गुटों में बंट जाते है। और इसके बाद तुलना करते है शिक्षामित्रों से। अगर उनसे ही तुलना करनी है तो इस बात की कीजिये कि एक आवाज़ में देश के किसी कोने में एकजुट होते है, अपना घर-बार सब छोड़कर एक पैर पर आंदोलनों में खड़े रहते है और हर सुनवाई स्वतः ही आर्थिक सहयोग पहुंचाते है।
आप सब ऑन रिकॉर्ड तो 2लाख92 हजार है और योग्यता-मानक आदि जरूरत से ज्यादा पूरा करते है लेकिन ऑन ग्राउंड कभी 500 या 1000 से ज्यादा नही दिखाई दिए। आज जो कुछ भी है सब इसी का परिणाम है। जब आप सभी से लखनऊ में एकजुट होने के लिए कहा गया तो पर्याप्त संख्या नही और जब स्थानीय स्तर पर ही प्रयास को कहा गया फिर भी पर्याप्त लोग नही। लेकिन फेसबुक/व्हात्सप्प/फोन करने और आरोप लगाने में आप इतने सक्रीय है कि क्या कहा जाये।
आज पुनः स्पस्ट रूप से कहा रहा हूँ, हम आपके लिए सिर्फ प्रयास ही कर सकते है इसके अतिरिक्त ओर कुछ भी नही और वो हमने कोर्ट में बिना किसी लूट के सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायधीश एल नागेस्वर रॉव जी को एडवोकेट के रूप में से लेकर के वेणुगोपाल जी, के वी विश्वनाथन जी, ध्रुव मेहता जी, सी एस वैद्यनाथन जी, वी मोहना जी जैसे सीनियर्स को पैरवी हेतु खड़ा किया। वहीँ केबल और केबल आप सभी के भविष्य के लिए सैफई से लेकर दिल्ली-लखनऊ तक कोई दरबार नही छोड़ा जहाँ कोशिस ना की हो जो इनके दरबार में मयंक तिवारी स्वयं अपने हित के लिए कभी नही करता।
फ़िलहाल अब सब आपके हाथ है। आप सभी आपके लिए प्रयास कर रहे साथियों पर सही कार्य करने का दबाब तो बनाएं किन्तु बिना सही जानकारी के आरोप ना लगाये तथा भविष्य में इस तरह के प्रतिकूल शासनादेश से बचने के लिए कल से प्रारम्भ हो रहे इस विधान सभा चुनाव 2017 के पहला चरण से ही इस बार ऐसा संकल्प लें कि इस "नसमाजवादी पार्टी का एक भी उम्मीदवार ना जितने पाये।"
टेट पास का एक उद्देश्य
"सपा मुक्त उत्तर प्रदेश"
शेष सुप्रीम कोर्ट में हम अपना कार्य सर्वश्रेष्ठ तरीके से कर ही रहे है और निश्चित रूप से अंतिम परिणाम भी आपके पक्ष में ही होगा। इन्ही शुभ कामनाओं के साथ
आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
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- 22 फरवरी की अति महत्वपूर्ण सुनवाई के सन्दर्भ में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री पी पी राव जी सुनवाई के लिए हायर : एस के पाठक
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