राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : आयोग ने पीसीएस 2015 की उत्तर पुस्तिका बदल जाने से सबक सीखा है और आगे से कॉपियों की सामान्य कोडिंग कराने के बजाये बार कोडिंग कराये जाने का भी निर्णय लिया गया है, ताकि किसी भी दशा में दोबारा ऐसी नौबत न आए। यही नहीं आयोग बीते 17 मार्च को ही दो कर्मचारियों को पहले ही हटा चुका है और अब दो अफसरों पर कार्रवाई हुई है।
सुहासिनी को समाजकार्य प्रथम में ही कम अंक मिले
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा में सुहासिनी को केवल समाजकार्य प्रथम प्रश्नपत्र व इंटरव्यू में ही कम अंक मिले हैं, बाकी सभी विषयों में उसने उम्दा अंक अर्जित किए हैं। इसी पत्र में रवींद्र तिवारी के अंक भी दर्ज हैं। ऐसे में प्रथम प्रश्नपत्र के अंक एक-दूसरे को दर्ज हो गए थे। यह गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद सुहासिनी को मेंस में उत्तीर्ण करार देकर 16 फरवरी को साक्षात्कार कराया गया था और 22 फरवरी को जारी रिजल्ट में उसे अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया।
आयोग अध्यक्ष डा.अनिरुद्ध यादव ने जांच शुरू कराई। जांच रिपोर्ट दो माह में आनी थी, लेकिन इसी बीच सूबे की नई सरकार ने आयोग के साक्षात्कार व परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी। जांच रिपोर्ट 15 दिन में सामने आ गई है। आयोग के सचिव अटल कुमार राय ने बताया कि प्रकरण की जांच अब संयुक्त सचिव रिजवानुर्रहमान को सौंपी गई है। उधर, सुहासिनी का कहना है कि उसकी उत्तर पुस्तिका का सही से मूल्यांकन नहीं हुआ है और साक्षात्कार में भी उसे जानबूझकर फेल किया गया है। युवती ने कहा कि हर इंटरव्यू में बोर्ड को लिखित परीक्षा के अंक मालूम नहीं होते हैं, लेकिन उसके प्रकरण में यह जगजाहिर था।
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सुहासिनी को समाजकार्य प्रथम में ही कम अंक मिले
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा में सुहासिनी को केवल समाजकार्य प्रथम प्रश्नपत्र व इंटरव्यू में ही कम अंक मिले हैं, बाकी सभी विषयों में उसने उम्दा अंक अर्जित किए हैं। इसी पत्र में रवींद्र तिवारी के अंक भी दर्ज हैं। ऐसे में प्रथम प्रश्नपत्र के अंक एक-दूसरे को दर्ज हो गए थे। यह गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद सुहासिनी को मेंस में उत्तीर्ण करार देकर 16 फरवरी को साक्षात्कार कराया गया था और 22 फरवरी को जारी रिजल्ट में उसे अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया।
आयोग अध्यक्ष डा.अनिरुद्ध यादव ने जांच शुरू कराई। जांच रिपोर्ट दो माह में आनी थी, लेकिन इसी बीच सूबे की नई सरकार ने आयोग के साक्षात्कार व परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी। जांच रिपोर्ट 15 दिन में सामने आ गई है। आयोग के सचिव अटल कुमार राय ने बताया कि प्रकरण की जांच अब संयुक्त सचिव रिजवानुर्रहमान को सौंपी गई है। उधर, सुहासिनी का कहना है कि उसकी उत्तर पुस्तिका का सही से मूल्यांकन नहीं हुआ है और साक्षात्कार में भी उसे जानबूझकर फेल किया गया है। युवती ने कहा कि हर इंटरव्यू में बोर्ड को लिखित परीक्षा के अंक मालूम नहीं होते हैं, लेकिन उसके प्रकरण में यह जगजाहिर था।
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