RTE Act : लागू होने के बाद कोई भी राज्य चाहे विशेष राज्य हो या सामान्य राज्य बिना टेट किसी को भी सहायक अध्यापक नहीं बना सकती

शिक्षा मित्र नेताओं ने खुद शिक्षा मित्रों का गला घोट दिया आगे राम जाने ।।।। आइये इसके बारे में डालते है।
ये मामला संविदा शिक्षक नहीं बल्कि rte act का मामला है। त्रिपुरा सरकार ने rte act 23 अगस्त 2010 के बाद शिक्षक भर्ती क़ि किन्तु rte act को नहीं मानते हुए विशेष राज्य कि शक्ति दिखाते हुए बिना टेट के भर्ती कर डाली और कारण बताया कि हमारे पास टेट पास नहीं है किंतु ये गोलमाल था।
इसके विरोध में लोग कोर्ट गये और 2014 में हाइकोर्ट के cj ने भर्ती रद्द कर दी जिसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट आयी जहा पे स्ते हो गया जिसके बाद लोग वेतन का आनंद ले रहे थे सुप्रीम कोर्ट में डेट पे डेट के बाद किन्तु करीब चार साल तक चले मामले में 28 मार्च और 29 मार्च को पूरा दिन सुनवाई हुई जिसके बाद आज आदेश किया सुप्रीण कोर्ट ने ।
सुप्रीम कोर्ट ने आज के आदेश में हिघकोर्ट के आदेश को सही माना और सभी शिक्षको को बरखस्त कर दिया और सरकार को निर्देश दिया कि 31 दिसम्बर तक इनकी सेवाएं लेते रहो जिससे व्यवस्था बनी रहे और 31 दिसम्बर के पहले टेट परीक्षा करा के टेट पास लोगो कि भर्ती इन रद्द हुए पदों पे करो।
अब सोचो जब सीधी भर्ती रद्द हो गयी बिना टेट के तो समायोजन का क्या हश्र होगा।
शिक्षामित्त के विधिक ज्ञानी जो बिना टेट जीत का सपना रोज दिखाया करते है वो बता रहे है क़ि उत्तर प्रदेश की 72825 और एकेडमिक भर्ती से सम्भन्धित मामला है ।
ये गलत है क्योकि यहाँ दोनों भर्ती में टेट के बाद ही नियुकित मिली है।
पुरे मामले को सीधे शब्दों में ये कह सकते है
" rte act लागू होने के बाद कोई भी राज्य चाहे विशेष राज्य हो या सामान्य राज्य बिना टेट किसी को भी सहायक अध्यापक नहीं बना सकती।
अगर बहुत प्रेम है यो राज्य के मद से वेतन दे किन्तु अगर केंद्र से वेतन का 65 % लेना है तो टेट से कोई छूट नहीं और अगर किया तो सुप्रीम कोर्ट घर वापसी करवा देगा।
आज के बाद सपनो के सौदागर नहीं दिख रहे जो रोज सोशल मीडिया पे जीत दिलवाया करते है बिना टेट के।
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