लखनऊ, 17 अप्रैल 2017, सीएम योगी के शपथ लेते ही उनके आवास 5 कालिदास मार्ग पर उम्मीदों का ताता लगा रहता है. दूर-दूर से लोग सीएम के पास ये सोच कर आते हैं कि मुख्यमंत्री उनकी परेशानियों को सुनेंगे.
बुधवार सुबह सीएम आवास पर हुई भगदड़ में लोगों को धक्के खाने पड़े , कुछ लोगों को चोट भी आई. योगी जी जनता की समस्याओं के प्रति शुरुआत से बेहद संवेदनशील नजर आएं, और पुलिस थानों से लेकर तमाम सरकारी दफ्तरों पर उन्होंने लोगों के लिए खास तौर से व्यवस्था चाहे वह पानी की हो या शौचालय की करने के आदेश दिए हैं. यही नहीं पुलिस से उन्होंने कहा है कि लोगों के लिए एक स्वागत कक्ष भी बनाए. ऐसे में सीएम आवास के बाहर इस तरह की अव्यवस्था बदइंतजामी उनकी छवि के एकदम बीच विपरीत कई सवाल खड़ी करती है.
खासतौर से इसमें से जो विकलांग थे वह धक्का-मुक्की का सबसे ज्यादा शिकार हुए ,क्योंकि सीएम आवास पर ना तो कोई व्यवस्था है विकलांगों के लिए ना कोई स्पेशल लाइन. ऐसे में तमाम विकलांग जो बहुत उम्मीद लेकर सीएम आवास आए थे उनको मायूस होकर ही यहां से जाना पड़ा.
कमलेश कुमारी को उम्मीद की जगह मिली चोटें
लखीमपुर खीरी से आई कमलेश कुमारी बेहद परेशान थी. बुधवार सुबह सीएम आवास पर हुई भगदड़ में लोगों ने उनको गिरा दिया,उनके साथ खूब धक्का मुक्की हुई. उसके चलते उनके सर पर भी चोट आई है और तो और पुलिस प्रशासन की बेरुखी और कठोर रवैया से वह खासा हताश थी. CM आवास तक हाथों के बल चलकर पहुंची कमलेश की योगी जी से मुलाकात भी नहीं हुई. दरअसल वो शिक्षा मित्र हैं वो उनको नौकरी से निष्काषित कर दिया गया था. इसी की शिकायत लेकर वह बड़ी उम्मीदों के साथ योगी के दरबार में आई मगर बदले में उनको मिली सर पर चोट और पुलिस वालों की गालियां.
रूप श्री जो कमलेश कुमारी के साथ आई थी, वह CM आवास से निकलने के बाद बेहद दुखी थी. हांलाकि खुद के मकान और रोजी-रोटी के लिए दर-बदर भटक रही है पर यह सोच कर अपनी सहेली के साथ आई थी कि उसका सहारा बनेंगे मगर सीएम आवास के बाहर और व्यवस्था ने उनकी मुश्किलें बहुत बढ़ा दे अपनी सहेली को भगदड़ में बचाते-बचाते खुद उनके हाथ में चोट आ गई.
कृष्ण गोपाल को भी मिले धक्के
कृष्ण गोपाल बदायूं से आएं थे. योगी के दरबार में नौकरी की दरखास्त लेकर आए थे. विकलांग कृष्ण गोपाल के घर में खाने के लाले हैं , उनकी मां भी विकलांग है. मगर आज जब वह 5 कालिदास मार्ग पहुंचे तो यहां भीड़ का आलम देख कर दंग रह गए. ना तो यहां पर विकलांगों की अलग लाइन थी और ना ही उनकी गुहार सुनने वाला कोई. जब इन्होंने पुलिस वालों से कहा कि विकलांगों की अलग लाइन होनी चाहिए या उनको पहले जाने दिया जाए तो पुलिस वालों ने उनको डांट के लाइन में लगा दिया. उसके बाद एकाएक CM की आवास में आगे जाने के लिए लोग धक्का-मुक्की करने लगे. बस फिर क्या था इस लाठी के सहारे कृष्णा ने सोचा कि वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे. मगर यहां पर उन्हें धक्का मारकर गिरा दिया गया. और तो और अपनी जान बचाने के लिए उनको लाइन से बाहर हटना पड़ा. हालांकि वह अपनी अर्जी सीएम तक पहुंचा चुके हैं पर सीएम के दर्शन करने आए कृष्णा CM से मिल नहीं पाए.
बनारस से आए छात्र-छात्रा बैठे धरने पर
इसी अफरा-तफरी के बीच कॉलेज की छात्रा शिबा सेबा भी पिस रही थी. वो सुबह 3:00 बजे सीएम आवास पर पहुंच गई थी. इससे पहले वह अपनी कॉलेज की छात्राओं के साथ स्टेशन पर रात भर रुकी रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र से बनारस से आई यह छात्रा योगी जी से मिलने के लिए घंटों खड़ी रही. सोचा था कि PM के क्षेत्र से आए हैं तो शायद इनकी सुनवाई होगी लेकिन योगी के दरबार में आकर इनके हाथ निराशा ही लगी. इंतज़ार के बाद भी इनकी मुलाकात सीएम से नहीं हुई. बनारस में एपेक्स कॉलेज में यह लोग नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. वहां पर पिछले 2 साल से परीक्षा ही नहीं हुई है. जब बनारस में इनको कोई मदद नहीं मिली तो यह लखनऊ चली आई इनके साथ लगभग 60 छात्र-छात्राएं हैं. मगर यहां पर उनको इंतजार बेहद भारी पड़ा बार बार पुलिस वालों ने इन छात्रों को धमकी दी कि उन पर लाठियां चलाई जाएंगी नहीं तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा आगर वह इस तरह सड़क पर बैठी रही. उनके साथ जो बर्ताव सीएम आवास पर हुआ और जो आश्वासन मिले उसे वह असंतुष्ट हैं. यहीं वजह है कि एक पेड़ की छांव में तपती गर्मी में यह लोग तब तक यूं ही बैठे रहेंगे जब तक इनकी सीएम से मुलाकात नहीं होती. इस भीषण गर्मी गर्मी में ये सब लोग भूखी-प्यासी बैठी हुई थी.
8 महीने की सुमन अपनी मां के साथ कानपुर से CM आवास के बाहर बैठी थी. गर्मी में उसका रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. वह कानपुर वापस नहीं जा सकती, क्योंकि वहां पर दबंगों ने जान से मारने की धमकी दी है. सुकन्या अपने तीन बच्चों को हमीरपुर में डर के मारे छोड़ कर आई. पर योगी के दरबार में इंतज़ार नहीं खत्म हो रहा है. सुबह 4:00 बजे से इंतजार करते करते अब ढूध भी खत्म हो गया है और पीने का पानी भी. गर्मी में सीएम आवास पर मदद की भीख मांग रही थी. पर इन सब को निराशा ही हाथ लगी.
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बुधवार सुबह सीएम आवास पर हुई भगदड़ में लोगों को धक्के खाने पड़े , कुछ लोगों को चोट भी आई. योगी जी जनता की समस्याओं के प्रति शुरुआत से बेहद संवेदनशील नजर आएं, और पुलिस थानों से लेकर तमाम सरकारी दफ्तरों पर उन्होंने लोगों के लिए खास तौर से व्यवस्था चाहे वह पानी की हो या शौचालय की करने के आदेश दिए हैं. यही नहीं पुलिस से उन्होंने कहा है कि लोगों के लिए एक स्वागत कक्ष भी बनाए. ऐसे में सीएम आवास के बाहर इस तरह की अव्यवस्था बदइंतजामी उनकी छवि के एकदम बीच विपरीत कई सवाल खड़ी करती है.
खासतौर से इसमें से जो विकलांग थे वह धक्का-मुक्की का सबसे ज्यादा शिकार हुए ,क्योंकि सीएम आवास पर ना तो कोई व्यवस्था है विकलांगों के लिए ना कोई स्पेशल लाइन. ऐसे में तमाम विकलांग जो बहुत उम्मीद लेकर सीएम आवास आए थे उनको मायूस होकर ही यहां से जाना पड़ा.
कमलेश कुमारी को उम्मीद की जगह मिली चोटें
लखीमपुर खीरी से आई कमलेश कुमारी बेहद परेशान थी. बुधवार सुबह सीएम आवास पर हुई भगदड़ में लोगों ने उनको गिरा दिया,उनके साथ खूब धक्का मुक्की हुई. उसके चलते उनके सर पर भी चोट आई है और तो और पुलिस प्रशासन की बेरुखी और कठोर रवैया से वह खासा हताश थी. CM आवास तक हाथों के बल चलकर पहुंची कमलेश की योगी जी से मुलाकात भी नहीं हुई. दरअसल वो शिक्षा मित्र हैं वो उनको नौकरी से निष्काषित कर दिया गया था. इसी की शिकायत लेकर वह बड़ी उम्मीदों के साथ योगी के दरबार में आई मगर बदले में उनको मिली सर पर चोट और पुलिस वालों की गालियां.
रूप श्री जो कमलेश कुमारी के साथ आई थी, वह CM आवास से निकलने के बाद बेहद दुखी थी. हांलाकि खुद के मकान और रोजी-रोटी के लिए दर-बदर भटक रही है पर यह सोच कर अपनी सहेली के साथ आई थी कि उसका सहारा बनेंगे मगर सीएम आवास के बाहर और व्यवस्था ने उनकी मुश्किलें बहुत बढ़ा दे अपनी सहेली को भगदड़ में बचाते-बचाते खुद उनके हाथ में चोट आ गई.
कृष्ण गोपाल को भी मिले धक्के
कृष्ण गोपाल बदायूं से आएं थे. योगी के दरबार में नौकरी की दरखास्त लेकर आए थे. विकलांग कृष्ण गोपाल के घर में खाने के लाले हैं , उनकी मां भी विकलांग है. मगर आज जब वह 5 कालिदास मार्ग पहुंचे तो यहां भीड़ का आलम देख कर दंग रह गए. ना तो यहां पर विकलांगों की अलग लाइन थी और ना ही उनकी गुहार सुनने वाला कोई. जब इन्होंने पुलिस वालों से कहा कि विकलांगों की अलग लाइन होनी चाहिए या उनको पहले जाने दिया जाए तो पुलिस वालों ने उनको डांट के लाइन में लगा दिया. उसके बाद एकाएक CM की आवास में आगे जाने के लिए लोग धक्का-मुक्की करने लगे. बस फिर क्या था इस लाठी के सहारे कृष्णा ने सोचा कि वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे. मगर यहां पर उन्हें धक्का मारकर गिरा दिया गया. और तो और अपनी जान बचाने के लिए उनको लाइन से बाहर हटना पड़ा. हालांकि वह अपनी अर्जी सीएम तक पहुंचा चुके हैं पर सीएम के दर्शन करने आए कृष्णा CM से मिल नहीं पाए.
बनारस से आए छात्र-छात्रा बैठे धरने पर
इसी अफरा-तफरी के बीच कॉलेज की छात्रा शिबा सेबा भी पिस रही थी. वो सुबह 3:00 बजे सीएम आवास पर पहुंच गई थी. इससे पहले वह अपनी कॉलेज की छात्राओं के साथ स्टेशन पर रात भर रुकी रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र से बनारस से आई यह छात्रा योगी जी से मिलने के लिए घंटों खड़ी रही. सोचा था कि PM के क्षेत्र से आए हैं तो शायद इनकी सुनवाई होगी लेकिन योगी के दरबार में आकर इनके हाथ निराशा ही लगी. इंतज़ार के बाद भी इनकी मुलाकात सीएम से नहीं हुई. बनारस में एपेक्स कॉलेज में यह लोग नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. वहां पर पिछले 2 साल से परीक्षा ही नहीं हुई है. जब बनारस में इनको कोई मदद नहीं मिली तो यह लखनऊ चली आई इनके साथ लगभग 60 छात्र-छात्राएं हैं. मगर यहां पर उनको इंतजार बेहद भारी पड़ा बार बार पुलिस वालों ने इन छात्रों को धमकी दी कि उन पर लाठियां चलाई जाएंगी नहीं तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा आगर वह इस तरह सड़क पर बैठी रही. उनके साथ जो बर्ताव सीएम आवास पर हुआ और जो आश्वासन मिले उसे वह असंतुष्ट हैं. यहीं वजह है कि एक पेड़ की छांव में तपती गर्मी में यह लोग तब तक यूं ही बैठे रहेंगे जब तक इनकी सीएम से मुलाकात नहीं होती. इस भीषण गर्मी गर्मी में ये सब लोग भूखी-प्यासी बैठी हुई थी.
8 महीने की सुमन अपनी मां के साथ कानपुर से CM आवास के बाहर बैठी थी. गर्मी में उसका रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. वह कानपुर वापस नहीं जा सकती, क्योंकि वहां पर दबंगों ने जान से मारने की धमकी दी है. सुकन्या अपने तीन बच्चों को हमीरपुर में डर के मारे छोड़ कर आई. पर योगी के दरबार में इंतज़ार नहीं खत्म हो रहा है. सुबह 4:00 बजे से इंतजार करते करते अब ढूध भी खत्म हो गया है और पीने का पानी भी. गर्मी में सीएम आवास पर मदद की भीख मांग रही थी. पर इन सब को निराशा ही हाथ लगी.
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