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बिना भारांक भर्ती नहीं हो सकती हैं , जब तक निर्णय न आ जाए तब तक तो सब अधर में ही हैं चाहे वे 839 ही क्यों न हो : हिमांशु राणा

यथार्थ :- जैसा कि "एन्ड ऑफ़ दा कोर्ट" ने विशेष अनुज्ञा याचिका 1121/2017 के पृष्ठ 48 पर 11 फरवरी 2011 को एनसीटीई के क्लॉज़ 9 B एवं उपरोक्त उल्लेखित याचिका के ही पृष्ठ 733 पर लगी आरटीआई के बीच पैदा हो रहे विवाद को लेकर लिखित में हलफनामा दाखिल करने को कहा था |
हलफनामा मैंने भी देखा था जिसमे कोई किसी भी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण न देकर एनसीटीई ने ज्यो के त्यों गाइडलाइन्स लगाकार दी है |
अधिवक्ताओं से बात करने पर पता चलता है कि कोर्ट का रुख कुछ स्पष्ट नहीं है क्यूंकि केवल पहले दिन और आखिरी दिन ही कोर्ट ने टिप्पणी की है कि हमारे अंतरिम आदेश के तहत नियुक्त शिक्षकों को हम नहीं हाथ लगाएंगे, इसके अलावा सभी पकड़ों को सुना और लिखा है |
इस बार कोर्ट रूम में अधिवक्ताओं एवं उत्तर-प्रदेश के अंग्रेजी न समझने वाले अधिवक्ता (टेट एवं शिक्षामित्र) मौजूद थे लेकिन 17 दिसंबर 2014 को मैं कोर्ट में मौजूद था जब एडवोकेट जनरल रणजीत कुमार से मा० न्यायाधीश ललित जी ने भारांक पर पूछा था जिसमे निष्कर्ष निकालकर श्री रणजीत कुमार ने रख दिया था कि बिना भारांक भर्ती नहीं हो सकती हैं |
चूंकि अब बहुताय्तव में ऐसे लोग जिन्होंने टेट परीक्षा में बैठना और राज्य सरकार द्वारा बैठाना भी पसंद तक नहीं किया गया था उन्हें देखकर टेट बिना भारांक की भर्ती को मर्सी पर कुछ मिल जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी वर्ना जब तक निर्णय न आ जाए तब तक तो सब अधर में ही हैं चाहे वे 839 ही क्यों न हो |
मैंने कभी निर्णय नहीं सुनाया केवल वो किस्से बताये हैं जिनसे रुबरु होकर समूचे उत्तर-प्रदेश को भविष्य में तैयार रहे ऐसा प्रयास है और सर्व-प्रथम ये मैं अपने पर लागू कर रहा हूँ |
समस्त पक्ष खुश हैं , मिठाई भी बाँट चुके हैं लेकिन आदेश लिखवाते समय "एन्ड ऑफ़ दा कोर्ट" के "मालिक" क्या लिखवाएं क्या नहीं ये सब किसी को नहीं पता |
बीएड/टेट उत्तीर्ण के पास 72825 के पश्चात खोने को कुछ नहीं था लेकिन आज पाने को सबकुछ है , ज्ञान कभी बेकार नहीं जाता है और आप बुद्धिजीवी हैं बुद्धि का उपयोग कर सकते हैं |
कोई कहता है परीक्षा होगी - मैंने मान लिया है होगी तो अब मैं रोऊँ या आज जो आने वाला भविष्य मेरे हाथों में है उसको संजोने के किये प्रयास करूँ ?
इंसान के पास जन्म लेते वक्त शरीर में सबकुछ एक जैसा होता है अगर वो नार्मल है तो लेकिन आगे उसका जीवन उसकी सोच एवं आत्म-शक्ति पर निर्भर करता है - राणा न कभी हारा था और न हारेगा बल्कि उस सांचे में खुद को ढाल लेगा जिससे उसे सफलता मिले | हो सकता है किसी को बुरा लगे लेकिन मैं भी तैयारी का मन औरों के कहने पर ही बनाया हूँ |
हर हर महादेव
धन्यवाद
आपका_हिमांशु राणा
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