सरकारी मकानों पर कब्जा जमाये कर्मचारियों, पूर्व सांसदों और मंत्रियों को हटाने में सरकार के पसीने छूट गये। सरकार ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए कानून में संशोधन करने का मन बनाया है। इससे सरकारी मकानों पर कब्जा जमाना आसान नहीं होगा।
सरकार इस कानून में संशोधन के लिए आगामी मानसून सत्र में विधेयक पेश करेगी। 1संसद से पारित होने के बाद यह कानून कारगर हो जाएगा। इससे निर्धारित समय से अधिक अवधि तक कब्जा जमाए रखना आसान नहीं होगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने बताया कि राजग सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में 2843 सरकारी मकानों को खाली कराने में सफलता मिली है। इसमें 411 आवासों पर पूर्व सांसदों व पूर्व मंत्रियों का कब्जा था। नायडू ने कहा कि यह अपने आप में एक कठिन चुनौती थी, जिससे निपटना आसान नहीं था। उन्हें उम्मीद है कि संसद में संशोधित कानून के पारित कराने में विपक्षी दल भी साथ खड़े होंगे। 1इस तरह की मुश्किलों से निपटने के लिए सरकारी आवास (अवैध कब्जा हटाना) अधिनियम-1971 को संशोधित कराने के लिए 12 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार को पूरी उम्मीद है कि यह संशोधन इसी सत्र में पारित हो जाएगा। इसके पास होने के बाद से सरकारी परिसरों पर अवैध रूप से कब्जा जमाना आसान नहीं होगा। सरकारी आवास पर कब्जा जमाने के लिए अब निचली अदालतों का सहारा लेना संभव नहीं होगा। नायडू ने बताया कि तीन सालों के दौरान सरकारी प्रयास से 95 मामलों में विभिन्न अदालतों में कब्जा करने वालों को मुंह की खानी पड़ी है। इनमें 13 मामले हाईकोर्ट में थे, जबकि चार सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (कैट) में विचाराधीन थे। जिला अदालतों में कुल 78 मामले थे, जिसमें सरकार को सफलता मिली है। हालांकि अभी भी विभिन्न अदालतों में कुल 190 मामले लंबित हैं, जिनमें 80 मामले में हाईकोर्ट व शीर्ष अदालत में है, जबकि बाकी 110 मामले जिला अदालतों में विचाराधीन हैं। सरकार को पूरी उम्मीद है कि कानून में संशोधन हो जाने के बाद स्थितियां ठीक हो जाएंगी।’>>पूर्व सांसदों और मंत्रियों से मकान खाली कराना है बड़ी चुनौती1’>>मानसून सत्र में केंद्र सरकार लाएगी कड़े प्रावधानों का संशोधित विधेयक
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सरकार इस कानून में संशोधन के लिए आगामी मानसून सत्र में विधेयक पेश करेगी। 1संसद से पारित होने के बाद यह कानून कारगर हो जाएगा। इससे निर्धारित समय से अधिक अवधि तक कब्जा जमाए रखना आसान नहीं होगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने बताया कि राजग सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में 2843 सरकारी मकानों को खाली कराने में सफलता मिली है। इसमें 411 आवासों पर पूर्व सांसदों व पूर्व मंत्रियों का कब्जा था। नायडू ने कहा कि यह अपने आप में एक कठिन चुनौती थी, जिससे निपटना आसान नहीं था। उन्हें उम्मीद है कि संसद में संशोधित कानून के पारित कराने में विपक्षी दल भी साथ खड़े होंगे। 1इस तरह की मुश्किलों से निपटने के लिए सरकारी आवास (अवैध कब्जा हटाना) अधिनियम-1971 को संशोधित कराने के लिए 12 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार को पूरी उम्मीद है कि यह संशोधन इसी सत्र में पारित हो जाएगा। इसके पास होने के बाद से सरकारी परिसरों पर अवैध रूप से कब्जा जमाना आसान नहीं होगा। सरकारी आवास पर कब्जा जमाने के लिए अब निचली अदालतों का सहारा लेना संभव नहीं होगा। नायडू ने बताया कि तीन सालों के दौरान सरकारी प्रयास से 95 मामलों में विभिन्न अदालतों में कब्जा करने वालों को मुंह की खानी पड़ी है। इनमें 13 मामले हाईकोर्ट में थे, जबकि चार सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (कैट) में विचाराधीन थे। जिला अदालतों में कुल 78 मामले थे, जिसमें सरकार को सफलता मिली है। हालांकि अभी भी विभिन्न अदालतों में कुल 190 मामले लंबित हैं, जिनमें 80 मामले में हाईकोर्ट व शीर्ष अदालत में है, जबकि बाकी 110 मामले जिला अदालतों में विचाराधीन हैं। सरकार को पूरी उम्मीद है कि कानून में संशोधन हो जाने के बाद स्थितियां ठीक हो जाएंगी।’>>पूर्व सांसदों और मंत्रियों से मकान खाली कराना है बड़ी चुनौती1’>>मानसून सत्र में केंद्र सरकार लाएगी कड़े प्रावधानों का संशोधित विधेयक
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