एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक
पढ़ाई की गाड़ी खींचने के लिए सरकार ने सेवानिवृत्त शिक्षकों का रुख किया
है।
राज्य विश्वविद्यालयों से लेकर माध्यमिक स्कूलों तक में मानदेय पर 70 साल की उम्र तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों को रखने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। सरकार की मंशा है कि जब तक स्थाई भर्तियां नहीं हो जाती हैं तब तक पढ़ाई बाधित न हो।
राजकीय एवं एडेड डिग्री कॉलेजों में सेवानिवृत्त शिक्षकों को पहले से ही मानदेय पर रखा जाता है। अब एडेड इंटर कॉलेजों में भी सरकार इस फॉर्म्युले को लागू करने के लिए विचार कर रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के अनुसार 70 वर्ष की आयु पूरी करने तक सेवानिवृत्त शिक्षक पढ़ा सकेंगे। इसके लिए उन्हें 20 हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इन कॉलेजों में 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। सरकार शिक्षा सेवा चयन आयोगों को भंग करके एक आयोग बनाने की तैयारी में है। इसके चलते माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग दोनों के ही अध्यक्ष एवं कई सदस्य अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब नए आयोग के गठन तक भर्ती संभव नहीं है। लिहाजा सेवानिवृत्त शिक्षकों को एक वर्ष की संविदा पर मानदेय पर रखने का रास्ता तलाशा गया है।
विश्वविद्यालयों में प्रति लेक्चर होगा भुगतान
डिग्री कॉलेजों के बाद राज्य विश्वविद्यालयों में भी 70 वर्ष तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय पर रखने का प्रस्ताव बनाया गया है। विश्वविद्यालयों में करीब 1200 शिक्षकों के पद खाली हैं। कुलपति सम्मेलन के बाद विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पदों पर भर्ती की कवायद तेज तो हुई है लेकिन फिर भी इसमें वक्त लगने के आसार हैं। लिहाजा कुलपति की अध्यक्षता में चयन समिति बनाकर सेवानिवृत्त शिक्षकों से पढ़वाया जाएगा। शिक्षकों को उनकी पेंशन के अलावा प्रति लेक्चर भु्गतान किया जाएगा। प्रफेसर के लिए यह 700 रुपए प्रति लेक्चर, असोसिएट प्रफेसर के लिए 600 और असिस्टेंट प्रफेसर के लिए 500 रुपए प्रति लेक्चर होगा। जल्द ही प्रस्तावों को कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
शिक्षामित्रों पर बढ़ाया दबाव
समयोजन रद् होने के बाद यूपी से दिल्ली तक आंदोलन कर रहे शिक्षामित्रों पर भी शासन ने दबाव बढ़ा दिया है। सभी बीएसए को स्कूलों में शिक्षामित्रों की उपस्थिति का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा गया है। आगे उपस्थिति के आधार पर ही मानदेय के भुगतान के निर्देश जारी किए गए हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 1.65 लाख से अधिक शिक्षामित्र पढ़ा रहे हैं। इनमें से 1.37 लाख का सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन हुआ था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया था। फिलहाल शासन के पास जो जानकारी आई है उसके अनुसार करीब 45 फीसदी शिक्षामित्र स्कूलों से गायब हैं। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा आरपी सिंह का कहना है कि अगर शिक्षामित्र विद्यालयों में नहीं लौटते हैं तो उनकी संविदा समाप्त कर सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय पर रखा जाएगा। दूसरी ओर शिक्षामित्र संगठनों ने इसे घुड़की करार दिया है। आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही का कहना है कि पचीस से अधिक सांसदों ने हमारे समर्थन में पीएम को पत्र लिखा है। हम अपर मुख्य सचिव की धमकी से डरने वाले नहीं है। 22 सितंबर को बनारस में पीएम से मिलकर उन्हें सच्चाई बताएंगे।
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राज्य विश्वविद्यालयों से लेकर माध्यमिक स्कूलों तक में मानदेय पर 70 साल की उम्र तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों को रखने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। सरकार की मंशा है कि जब तक स्थाई भर्तियां नहीं हो जाती हैं तब तक पढ़ाई बाधित न हो।
राजकीय एवं एडेड डिग्री कॉलेजों में सेवानिवृत्त शिक्षकों को पहले से ही मानदेय पर रखा जाता है। अब एडेड इंटर कॉलेजों में भी सरकार इस फॉर्म्युले को लागू करने के लिए विचार कर रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के अनुसार 70 वर्ष की आयु पूरी करने तक सेवानिवृत्त शिक्षक पढ़ा सकेंगे। इसके लिए उन्हें 20 हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इन कॉलेजों में 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। सरकार शिक्षा सेवा चयन आयोगों को भंग करके एक आयोग बनाने की तैयारी में है। इसके चलते माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग दोनों के ही अध्यक्ष एवं कई सदस्य अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब नए आयोग के गठन तक भर्ती संभव नहीं है। लिहाजा सेवानिवृत्त शिक्षकों को एक वर्ष की संविदा पर मानदेय पर रखने का रास्ता तलाशा गया है।
डिग्री कॉलेजों के बाद राज्य विश्वविद्यालयों में भी 70 वर्ष तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय पर रखने का प्रस्ताव बनाया गया है। विश्वविद्यालयों में करीब 1200 शिक्षकों के पद खाली हैं। कुलपति सम्मेलन के बाद विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पदों पर भर्ती की कवायद तेज तो हुई है लेकिन फिर भी इसमें वक्त लगने के आसार हैं। लिहाजा कुलपति की अध्यक्षता में चयन समिति बनाकर सेवानिवृत्त शिक्षकों से पढ़वाया जाएगा। शिक्षकों को उनकी पेंशन के अलावा प्रति लेक्चर भु्गतान किया जाएगा। प्रफेसर के लिए यह 700 रुपए प्रति लेक्चर, असोसिएट प्रफेसर के लिए 600 और असिस्टेंट प्रफेसर के लिए 500 रुपए प्रति लेक्चर होगा। जल्द ही प्रस्तावों को कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
शिक्षामित्रों पर बढ़ाया दबाव
समयोजन रद् होने के बाद यूपी से दिल्ली तक आंदोलन कर रहे शिक्षामित्रों पर भी शासन ने दबाव बढ़ा दिया है। सभी बीएसए को स्कूलों में शिक्षामित्रों की उपस्थिति का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा गया है। आगे उपस्थिति के आधार पर ही मानदेय के भुगतान के निर्देश जारी किए गए हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 1.65 लाख से अधिक शिक्षामित्र पढ़ा रहे हैं। इनमें से 1.37 लाख का सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन हुआ था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया था। फिलहाल शासन के पास जो जानकारी आई है उसके अनुसार करीब 45 फीसदी शिक्षामित्र स्कूलों से गायब हैं। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा आरपी सिंह का कहना है कि अगर शिक्षामित्र विद्यालयों में नहीं लौटते हैं तो उनकी संविदा समाप्त कर सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय पर रखा जाएगा। दूसरी ओर शिक्षामित्र संगठनों ने इसे घुड़की करार दिया है। आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही का कहना है कि पचीस से अधिक सांसदों ने हमारे समर्थन में पीएम को पत्र लिखा है। हम अपर मुख्य सचिव की धमकी से डरने वाले नहीं है। 22 सितंबर को बनारस में पीएम से मिलकर उन्हें सच्चाई बताएंगे।
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