झांसी निज संवाददाता हजार दंडी और एक बुन्देलखंडी’ सुनते ही हॉल में तालियां गूंज गईं। इसके बाद भारत माता के जयकारे लगवाए गए और इसका महत्व भी सभी को बताया।
ये माहौल रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आयोजित मेधावी छात्र-छात्रओं के सम्मान समारोह के दौरान बना। बुन्देलखण्ड विवि सभागार में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा बतौर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि माहौल ऐसा बनाएं कि सुखी मन टीचर का हो और तनाव मुक्त छात्र-छात्रएं हों। बोले, शिक्षकों से अभी शिक्षा के अलावा कई कार्य कराए जाते हैं। आगामी समय में उन्हें अन्य कार्यों से मुक्ति दिलाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही छात्रों को नौकरी के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए प्लेसमेंट का लक्ष्य होगा। बोले, व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी जोर रहेगा। पाठ्यक्रमों में लघु उद्योगों की जानकारियां भी बच्चों को दी जाएगी। ..तब धोती कुर्ता में गया था: उपमुख्यमंत्री ने भारतीय-पाश्चात्य संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि पहली बार जब लखनऊ में मेयर बना तब एक मित्र के यहां जन्मदिन पर धोती कुर्ता में गए। मेरा पीए कोट-टाई में था। उनके घर पहुंचे तो वे बच्चे से बोले, अंकल को नमस्ते करो, उसने कोट टाई वाले को अंकल समझा। यानी हमारी संस्कृति की झलक बच्चों की समझ से ही स्पष्ट होती है।
डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा
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ये माहौल रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आयोजित मेधावी छात्र-छात्रओं के सम्मान समारोह के दौरान बना। बुन्देलखण्ड विवि सभागार में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा बतौर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि माहौल ऐसा बनाएं कि सुखी मन टीचर का हो और तनाव मुक्त छात्र-छात्रएं हों। बोले, शिक्षकों से अभी शिक्षा के अलावा कई कार्य कराए जाते हैं। आगामी समय में उन्हें अन्य कार्यों से मुक्ति दिलाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही छात्रों को नौकरी के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए प्लेसमेंट का लक्ष्य होगा। बोले, व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी जोर रहेगा। पाठ्यक्रमों में लघु उद्योगों की जानकारियां भी बच्चों को दी जाएगी। ..तब धोती कुर्ता में गया था: उपमुख्यमंत्री ने भारतीय-पाश्चात्य संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि पहली बार जब लखनऊ में मेयर बना तब एक मित्र के यहां जन्मदिन पर धोती कुर्ता में गए। मेरा पीए कोट-टाई में था। उनके घर पहुंचे तो वे बच्चे से बोले, अंकल को नमस्ते करो, उसने कोट टाई वाले को अंकल समझा। यानी हमारी संस्कृति की झलक बच्चों की समझ से ही स्पष्ट होती है।
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