देश भर में पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ा रहे बीएड डिग्री धारक शिक्षकों को अब छह माह का अनिवार्य ब्रिज कोर्स करना होगा। इसके बगैर वे अप्रशिक्षित माने जाएंगे। केंद्र सरकार ने ब्रिज कोर्स कराने की जिम्मेदारी एनआइओएस (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग) को सौंपी है।
दरअसल, पिछले दिनों केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में संशोधन किया था। इसके बाद सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए 31 मार्च 2019 तक का आखिरी मौका दिया है। अभी देश के विभिन्न राज्यों में 14 लाख से ज्यादा अप्रशिक्षित शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें से दो लाख से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जो बीएड करने के बाद पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ा रहे हैं। चूंकि बीएड डिग्री धारक शिक्षक छठवीं कक्षा से उपर के छात्रों को ही पढ़ा सकता है, ऐसे में पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ा रहे शिक्षक अप्रशिक्षित की श्रेणी में आ गए हैं।
ब्रिज कोर्स के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि बीएड की डिग्री के दौरान विषय की पढ़ाई कराई जाती है लेकिन प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों की मनोदशा को समझने के लिए शिक्षकों को इलेमेंट्री एजुकेशन कोर्स किया हुआ होना चाहिए|
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दरअसल, पिछले दिनों केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में संशोधन किया था। इसके बाद सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए 31 मार्च 2019 तक का आखिरी मौका दिया है। अभी देश के विभिन्न राज्यों में 14 लाख से ज्यादा अप्रशिक्षित शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें से दो लाख से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जो बीएड करने के बाद पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ा रहे हैं। चूंकि बीएड डिग्री धारक शिक्षक छठवीं कक्षा से उपर के छात्रों को ही पढ़ा सकता है, ऐसे में पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ा रहे शिक्षक अप्रशिक्षित की श्रेणी में आ गए हैं।
ब्रिज कोर्स के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि बीएड की डिग्री के दौरान विषय की पढ़ाई कराई जाती है लेकिन प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों की मनोदशा को समझने के लिए शिक्षकों को इलेमेंट्री एजुकेशन कोर्स किया हुआ होना चाहिए|
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