इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण और अनुत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों का नया मानक तय कर दिया गया है। परीक्षा में सामान्य व पिछड़ी जाति के वही अभ्यर्थी सफल माने जाएंगे जिन्हें 45 फीसदी अंक मिलेंगे।
वहीं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण होने के लिए 40 फीसदी अंक लाना होगा। साथ ही परीक्षा की समय सीमा में भी बदलाव हुआ है अब इम्तिहान तीन घंटे का होगा।
परिषदीय स्कूलों के सहायक अध्यापकों की लिखित परीक्षा पहली बार होनी है। इसके लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव इलाहाबाद उप्र ने एससीईआरटी को प्रस्ताव भेजा था। उसमें परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए 60 फीसदी अंक अनिवार्य किया था। इसकी वजह यह थी कि उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी में भी इतने ही फीसदी अंक पाकर अभ्यर्थी सफल होते हैं। विभाग की ओर से कहा गया था कि ऐसे में दूसरी परीक्षा में सफलता का प्रतिशत घटाने का औचित्य नहीं है। यह अंक प्रतिशत सामने आने पर अभ्यर्थी विरोध कर रहे थे, उनका कहना था कि इतना अधिक सफलता प्रतिशत रखना ठीक नहीं है। इसके बजाए सिर्फ प्रमाणपत्र की वैधता तय होनी चाहिए। वहीं, एससीईआरटी की ओर से स्पष्ट किया गया था कि 60 फीसदी अंकों को सफलता का प्रतिशत न माना जाए, बल्कि अभ्यर्थी को लिखित परीक्षा में जितने अंक मिलेंगे उसका साठ फीसदी अंक मेरिट में जोड़ा जाएगा। 1इस परीक्षा की तैयारियों को लेकर मंगलवार को एससीईआरटी में शिक्षा विभाग के अफसरों की बैठक हुई। इसमें यह प्रकरण प्रमुखता से उठा और अभ्यर्थियों की मांग को देखते हुए यह तय किया गया कि परीक्षा में सफल और असफल परीक्षार्थियों का प्रतिशत तय होना जरूरी है, अन्यथा परिणाम तैयार करने के साथ ही योग्य अभ्यर्थियों का नुकसान भी होगा। ऐसे में निर्णय हुआ कि सामान्य व पिछड़ा वर्ग के 45 फीसदी अंक पाने वाले अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण माने जाएंगे, वहीं अनुसूचित जाति व जनजाति का सफलता प्रतिशत 40 होगा। यही नहीं परीक्षा की समय सीमा पहले ढाई घंटे तय हुई थी, उसमें संशोधन करके तीन घंटे कर दिया गया है। इसके बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह ने बुधवार को शिक्षक भर्ती का संशोधित प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अब इस पर अंतिम निर्णय और अगले निर्देश वहीं से जारी होंगे।
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वहीं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण होने के लिए 40 फीसदी अंक लाना होगा। साथ ही परीक्षा की समय सीमा में भी बदलाव हुआ है अब इम्तिहान तीन घंटे का होगा।
परिषदीय स्कूलों के सहायक अध्यापकों की लिखित परीक्षा पहली बार होनी है। इसके लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव इलाहाबाद उप्र ने एससीईआरटी को प्रस्ताव भेजा था। उसमें परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए 60 फीसदी अंक अनिवार्य किया था। इसकी वजह यह थी कि उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी में भी इतने ही फीसदी अंक पाकर अभ्यर्थी सफल होते हैं। विभाग की ओर से कहा गया था कि ऐसे में दूसरी परीक्षा में सफलता का प्रतिशत घटाने का औचित्य नहीं है। यह अंक प्रतिशत सामने आने पर अभ्यर्थी विरोध कर रहे थे, उनका कहना था कि इतना अधिक सफलता प्रतिशत रखना ठीक नहीं है। इसके बजाए सिर्फ प्रमाणपत्र की वैधता तय होनी चाहिए। वहीं, एससीईआरटी की ओर से स्पष्ट किया गया था कि 60 फीसदी अंकों को सफलता का प्रतिशत न माना जाए, बल्कि अभ्यर्थी को लिखित परीक्षा में जितने अंक मिलेंगे उसका साठ फीसदी अंक मेरिट में जोड़ा जाएगा। 1इस परीक्षा की तैयारियों को लेकर मंगलवार को एससीईआरटी में शिक्षा विभाग के अफसरों की बैठक हुई। इसमें यह प्रकरण प्रमुखता से उठा और अभ्यर्थियों की मांग को देखते हुए यह तय किया गया कि परीक्षा में सफल और असफल परीक्षार्थियों का प्रतिशत तय होना जरूरी है, अन्यथा परिणाम तैयार करने के साथ ही योग्य अभ्यर्थियों का नुकसान भी होगा। ऐसे में निर्णय हुआ कि सामान्य व पिछड़ा वर्ग के 45 फीसदी अंक पाने वाले अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण माने जाएंगे, वहीं अनुसूचित जाति व जनजाति का सफलता प्रतिशत 40 होगा। यही नहीं परीक्षा की समय सीमा पहले ढाई घंटे तय हुई थी, उसमें संशोधन करके तीन घंटे कर दिया गया है। इसके बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह ने बुधवार को शिक्षक भर्ती का संशोधित प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अब इस पर अंतिम निर्णय और अगले निर्देश वहीं से जारी होंगे।
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