देहरादून : उत्तराखंड से कार्यमुक्त हुए शिक्षकों को उत्तर प्रदेश में कार्यभार ग्रहण नहीं कराए जाने से झटका तो लगा है, लेकिन वापसी की उनकी उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुई हैं।
इस मामले के अब दोनों राज्यों के बीच शीर्ष स्तर पर बातचीत में सुलझने के आसार हैं। अलबत्ता, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए गए शिक्षकों के बारे में वस्तुस्थिति सामने रखते हुए शासन को पत्रवली भेज दी है।
उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश जाने के इच्छुक शिक्षकों को लंबे इंतजार के बाद राहत मिली थी। पिछली सरकार के कार्यकाल में ही उत्तरप्रदेश वापसी की बाट जोह रहे शिक्षकों को लेने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हामी भर दी थी। तब तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से शिक्षकों को उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जाने में देरी हुई। राज्य में नई सरकार के गठन और उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में एक ही दल की सरकारें बनने के बाद शिक्षकों की ओर से पुरजोर पैरवी की गई। ये पैरवी रंग लाई और उत्तराखंड सरकार ने तीन सूची में शामिल 208 शिक्षकों को उत्तरप्रदेश के लिए कार्यमुक्त कर दिया। 1सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश ने कई शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराया, लेकिन बाद में तीन दर्जन से ज्यादा शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण करने में अड़ंगा लग गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड से आने वाले शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने से इन्कार कर दिया है। इससे शिक्षकों में बेचैनी है। हालांकि, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इन शिक्षकों को दोबारा मूल स्थानों पर तैनाती की कवायद कर चुका है। फिलहाल सरकार की ओर से इन शिक्षकों को राहत मिलने के संकेत हैं। इस संबंध में निदेशालय की ओर से उत्तरप्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए गए शिक्षकों की पत्रवली को शासन को भेजा गया है। शासन ने इसे उच्च स्तर पर बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक शिक्षकों को राहत देने को अब दोनों राज्यों के बीच उच्चस्तरीय बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की ओर से भी इस संबंध में सकारात्मक संकेत मिलने से मायूस शिक्षकों को उम्मीद की किरण नजर आ रही है।
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इस मामले के अब दोनों राज्यों के बीच शीर्ष स्तर पर बातचीत में सुलझने के आसार हैं। अलबत्ता, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए गए शिक्षकों के बारे में वस्तुस्थिति सामने रखते हुए शासन को पत्रवली भेज दी है।
उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश जाने के इच्छुक शिक्षकों को लंबे इंतजार के बाद राहत मिली थी। पिछली सरकार के कार्यकाल में ही उत्तरप्रदेश वापसी की बाट जोह रहे शिक्षकों को लेने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हामी भर दी थी। तब तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से शिक्षकों को उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जाने में देरी हुई। राज्य में नई सरकार के गठन और उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में एक ही दल की सरकारें बनने के बाद शिक्षकों की ओर से पुरजोर पैरवी की गई। ये पैरवी रंग लाई और उत्तराखंड सरकार ने तीन सूची में शामिल 208 शिक्षकों को उत्तरप्रदेश के लिए कार्यमुक्त कर दिया। 1सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश ने कई शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराया, लेकिन बाद में तीन दर्जन से ज्यादा शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण करने में अड़ंगा लग गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड से आने वाले शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने से इन्कार कर दिया है। इससे शिक्षकों में बेचैनी है। हालांकि, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इन शिक्षकों को दोबारा मूल स्थानों पर तैनाती की कवायद कर चुका है। फिलहाल सरकार की ओर से इन शिक्षकों को राहत मिलने के संकेत हैं। इस संबंध में निदेशालय की ओर से उत्तरप्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए गए शिक्षकों की पत्रवली को शासन को भेजा गया है। शासन ने इसे उच्च स्तर पर बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक शिक्षकों को राहत देने को अब दोनों राज्यों के बीच उच्चस्तरीय बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की ओर से भी इस संबंध में सकारात्मक संकेत मिलने से मायूस शिक्षकों को उम्मीद की किरण नजर आ रही है।
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