0 vacancy 24 जनपद वालो को मात्र ऐसा करने पर मिल सकती है नियुक्ति - AG

0 vacancy 24 जनपद वालो को मात्र ऐसा करने पर मिल सकती है नियुक्ति - AG

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*1) शून्य रिक्ति वाले जिला वरीयता बचाने वालों के जाल में फंस गए जिसके कारण अब तक नियुक्ति पत्र से दूर हैं।*
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2) प्रशिक्षण जिला वरीयता का नियम 14(1)(a) ultravires है और यह मेरिट के आधार पर किसी कोर्ट से नहीं बचेगा। इसलिए 0 वालो को इसे बचाने पर जोर देने से नुकसान ही होगा जो प्रत्यक्ष है प्रमाण की आवश्यकता ही नहीं।
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*3) 0 जनपद विरोधियों की याचिका में प्रेयर (i) को देखें तो उन्होंने आधार केवल नियम 14(1)(a) को ही नहीं बनाया गया है बल्कि वो एक कदम आगे बढ़े हैं।*
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4) इस नियम के अगेंस्ट जो केस दाखिल हुआ उसमें सरकार द्वारा बचाव में लगाये गए कॉउंटर एफिडेविट को भी आधार बनाया गया है। यानी नियम के साथ साथ नियम के बचाव के लिए जो तर्क(कुतर्क) दिए गए हैं उनको आधार बनाया है।
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*5) उसकी रिलेवेंट प्रति अपलोड कर रहे हैं जिसमें मुख्यतः ये तर्क(कुतर्क) दिए गए हैं-*
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● लोकल डायलेक्ट - जनपद से ट्रेंड होने वाला कैंडिडेट उस जनपद के ट्रेडिशन, डायलेक्ट और डेमोग्राफी से परिचित होता है।
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● *उदाहरण दिया - गोरखपुर का "निवासी" या वहां से ट्रेंड ललितपुर में नियुक्त होने पर वहां के बच्चो से कम्युनिकेट नही कर पायेगा जिससे शिक्षण प्रभावित होगा।*
(अब गोरखपुर का निवासी यदि ललितपुर से ट्रेंड है तो उसकी  नियुक्ति वापस गोरखपुर में नहीं होगी कोर्ट ने जो रोक लगा दी है)
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● *आपके अपने ट्रेनिंग डिस्ट्रिक्ट में यदि पद कम हैं और नियुक्ति नहीं हो पाती है तो द्वितीय में अवसर दिया जा रहा है इसलिए कोई पक्षपात नहीं हो रहा है।*
(आरक्षण रोस्टर के कारण प्रथम कॉउंसीलिंग में जितने भी कैंडिडेट्स होते हैं उनको अनारक्षित या कहें तो जनरल सीट्स पर लिया जाता है द्वितीय में जनरल सब भर चुकी होती हैं तो जनरल तो कहीं का नहीं रहता। रोस्टर के कारण उससे रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है।)
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*6) अतः शून्य जनपद वाले यदि ये सोचते हैं कि नियम 14(1)(a) आपके फेवर में हैं तो आप गलत हैं इससे बड़ी मूर्खता कुछ हो ही नहीं सकती।*
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7) आपको खण्ड पीठ में कहना चाहिए कि जिस नियम का सहारा प्रतिवादी(51 जनपद वाले) ले रहे हैं वो नियम अंडर ज्यूडिशियल स्क्रूटनी है और जब तक निस्तारण नहीं होता है तब तक इस 19.04.2018 के आदेश पर स्टे दे देना चाहिए।
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*8) साथ ही एकल जज के सामन IA फ़ाइल करके यही बात रखकर याचिका खारिज करने की मांग रखनी चाहिए।*
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9) यह सेटलड लॉ है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कोई नियम कोर्ट में अवैध घोषित नहीं होता है तब तक वो फ़ोर्स में रहेगा ही रहेगा चाहे कोर्ट में चैलेंज्ड ही क्यों न हो।
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*10) 6ख दिशानिर्देशों का एक क्लॉज़ है जो 0 जनपद वालो को प्रोटेक्ट करता है लेकिन 6(ख) नियम से ऊपर नहीं जा सकता। नियम दादा जी हैं और क्लॉज़ पड़ पोता। इसलिए दादा जी की बात में ही वजन रहेगा। यदि 6(ख) नियम विपरीत जाता है तो जज इसकी धज्जियां उड़ाने का अधिकार रखते हैं बशर्ते नियम उस दिन तक पॉवर में हो।*
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11) इसलिए 0 जनपद वालो को कोर्ट के समक्ष Writ A - 31594/2016 में परिषद द्वारा लगाए गए कॉउंटर के पैरा 3(G), पैरा 5, 8(iv) और 8(vii) को भी आधार बनाना चाहिए जिसमे परिषद द्वारा 6ख का बचाव किया गया है।
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*12) इसके अलावा सभी रास्ते आपको नियुक्ति से दूर रखेंगे और आज नहीं तो कल नियम 14(1)(a) जाना ही जाना है इसलिए जब तक सुप्रीम कोर्ट से नहीं चला जाता है तब तक नियुक्ति पाने के लिए यही एक मार्ग है इसके अलावा सभी मार्ग आपको मंजिल तक नहीं लेजा पाएंगे। मिश्रा को इंगेज करने का consequence आप भुगत चुके हैं और नहीं सम्भले तो आगे भी भुगतेंगे।*
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~AG